हाथरस गैंगरेपः ‘वह दर्द से तड़पती और लड़खड़ाती जुबान से कहती रही, मुझे घर ले चलो, मुझे घर ले चलो’ – Navbharat Times

हाइलाइट्स:

  • हाथरस गैंगरेप पीड़िता की मौत के बाद लोगों में गुस्सा
  • भाई ने बताई घटना के दिन से लेकर मौत के दिन तक कि दास्तां
  • इलाज के दौरान बार-बार घर ले जाने की कर रही थी जिद
  • घरवालों ने दिलासा और मां ने जल्द ही घर ले जाने का किया था वादा

हाथरस
उत्तर प्रदेश के हाथरस में गैंगरेप पीड़िता ने दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में आखिरी सांसे लीं। इससे पहले वह दो हफ्तों तक अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज में जिंदगी के साथ जंग लड़ती रही। घटना के 9 दिन बाद उसे होश आया तो कटी जुबान से निकली टूटी-फूटी आवाज से कहती रही, ‘मुझे घर ले चलो, मुझे घर ले चलो।’ घरवाले उसे दिलासा देते रहे कि जल्द ही उसे घर ले चलेंगे। मां ने भी वादा किया लेकिन उसे नहीं उसका शव लेकर घर आएंगे, यह किसी ने नहीं सोचा था।

पीड़िता के भाई ने मीडिया से बात करते हुए घटना के दिन से लेकर अस्पताल तक और दिल्ली में अंतिम सांस लेने तक का हाल बयां किया। भाई ने जो बताया उस दर्द भरी दास्तां से हर कोई सिहर उठेगा।

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दुपट्टा गले में फंसाया और खेतों तक खींचते हुए ले गए
भाई ने बताया कि 14 सितंबर को उसकी बहन, मां और छोटा भाई खेत गए थे। भाई चारा लेकर वापस आ गया। मां और बहन खेतों में और चारा काट रही थीं। मां और बेटी में कुछ मीटर का ही फासला था। पहले से ताक में बैठे आरोपियों ने बच्ची के गले में पड़े दुपट्टे को खींचा जिससे उसके गले से आवाज तक नहीं निकल पाई।

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तोड़ी हैवानियत की इंतहां
उसे उठाकर खेतों के बीच ले गए और हैवानियत की। इस दौरान उसे इतना पीटा कि उसके गले में तीन फ्रैक्चर आए, रीढ़ की हड्डी टूट गई। उसकी जुबान काट दी। मां को जब काफी देर तक बच्ची की आवाज नहीं आई तो वह उसे ढूंढने निकली और कुछ दूरी पर उसे बेसुध पाया।

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घरवाले देते रहे दिलासा
अस्पताल में नौ दिनों तक बच्ची बेहोश रही। नौ दिनों के बाद उसे होश आया तो चिल्लाई, ‘मुझे घर ले चलो…., मुझे घर ले चलो….’ घरवाले उसे दिलासा देते कि जब वह ठीक हो जाएगी तो उसे घर ले चलेंगे। वह चिल्ला उठती कि सांस नहीं ले पा रही हूं….।

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