किसान बिल पर फूटः नाम के लिए था NDA, 10 साल में PM ने नहीं बुलाई एक भी बैठक- बोले ‘SAD’ बादल – Jansatta

सुखबीर सिंह बादल ने बताया कि “मुझे बीते 10 सालों में एक भी दिन याद नहीं है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चर्चा के लिए कोई बैठक बुलायी है और बताया हो कि उनके मन में क्या है।”

सुखबीर सिंह बादल बोले- एनडीए सिर्फ नाम के लिए बचा था। (फाइल फोटो)

एनडीए से गठबंधन तोड़ने के बाद शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल का गुस्सा फूटा है। उन्होंने कहा है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाला एनडीए अपनी विश्वसनीयता खो चुका था और सिर्फ ‘नाम का’ गठबंधन था। द इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि “बीते 7,8,10 सालों से एनडीए सिर्फ नाम का था और एनडीए में कुछ भी नहीं था, कोई बातचीत नहीं, कोई योजना नहीं और ना ही कोई बैठक। मुझे बीते 10 सालों में एक भी दिन याद नहीं है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चर्चा के लिए कोई बैठक बुलायी है और बताया हो कि उनके मन में क्या है।”

सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि “गठबंधन सिर्फ कागजों पर नहीं होना चाहिए। इससे पहले अटल बिहारी वाजपेयी के समय में अच्छे संबंध थे। मेरे पिता एनडीए के संस्थापक सदस्य हैं…यह दुखी करने वाला है कि हमने एनडीए बनाया लेकिन आज एनडीए ही यहां नहीं है।” बादल ने कहा कि अकालियों ने हमेशा राज्य में भाजपा को साथ रखा। गठबंधन उसी तरह चलना चाहिए जैसे मेरे पिता प्रकाश सिंह बादल ने चलाया। हर फैसले के लिए वह भाजपा से चर्चा करते थे।

शिअद प्रमुख ने कहा कि “जब भी हम राज्यपाल को कोई ज्ञापन सौंपते थे, उस वक्त भाजपा हमारे साथ होती थी। राज्य में हम बड़े सहयोगी हैं और वो अल्पसंख्यक सहयोगी। इसके बावजूद हमने उन्हें हर बात के लिए विश्वास में लिया।”

एनडीए छोड़ने के फैसले पर सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि “यह पार्टी का सर्वसम्मति से लिया गया फैसला है। जब हरसिमरत कौर बादल ने मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दिया था। मैंने तभी कहा था कि पार्टी जल्द ही बैठक करेगी और कोई फैसला लेगी। पार्टी ने कल बैठक की और उसमें फैसला लिया गया।”

ऐसी रिपोर्ट्स आ रही हैं कि पंजाब सरकार पूरे राज्य को Principal Market Yard घोषित करने पर विचार कर रही है। इस पर सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि “यह अच्छा होगा कि पूरे राज्य को ही Principal Market Yard घोषित कर दिया जाए जैसा कि हमने प्रस्ताव दिया था। यह हम किसानों के लिए कर रहे हैं। कोई खेल खेलने में हमारी रुचि नहीं है। अगर वो (पंजाब सरकार) ऐसा नहीं करते हैं तो जब हम सत्ता में आएंगे तो हम करेंगे।”

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