अमरीका की दादागिरी का ईरान क़रारा जवाब देगा: हसन रूहानी – BBC हिंदी

ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा है कि उनके देश पर दोबारा यूएन प्रतिबंध लगाने के मामले में अमरीका की हार हुई है.

रूहानी ने कहा कि अमरीका के यूरोपीय सहयोगियों ने ही इस एकतरफ़ा फ़ैसले को क़ानूनी रूप से अवैध क़रार दिया है.

राष्ट्र के नाम अपने संदेश में रूहानी ने कहा कि ‘ईरान अमरीका की दादागिरी का क़रारा जवाब देगा.’

उधर ट्रंप प्रशासन का कहना है कि ईरान पर दोबारा प्रतिबंध लगाने का फ़ैसला ईरान के साथ किए गए परमाणु समझौते की शर्तों के तहत ही किया गया है. अमरीका ने उस समझौते से ख़ुद को अलग कर लिया था.

लेकिन ब्रिटेन, फ़्रांस और जर्मनी ने कहा है कि अमरीका को ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है.

इन तीन देशों के अलावा चीन, रूस और अमरीका 2015 में हुए उस ऐतिहासिक समझौते में शामिल थे जिसके तहत ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को रोकने की बात मान ली थी.

लेकिन अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, ओबामा के कार्यकाल के दौरान हुए इस समझौते के आलोचक थे, और राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने साल 2018 में अमरीका को इस समझौते से अलग कर लिया था.

इसका नतीजा ये हुआ कि ईरान ने भी जो वादे किए थे उनमें से कुछ को पूरा करने में आना-कानी शुरू कर दी. ईरान ने यूरेनियम संवर्धन बढ़ा दिया था.

अमरीका का कहना है कि ईरान को इसकी सज़ा मिलनी चाहिए. अमरीका ने घोषणा की है कि ईरान पर लगाए गए सारे यूएन प्रतिबंधों को जिनको फ़िलहाल स्थगित कर दिया गया था, उसे दोबारा लागू किया जाएगा.

अमरीका का कहना है कि परमाणु समझौते के एक बिंदु ‘स्नैपबैक’ के तहत उसे ऐसा करने का अधिकार है. अमरीका का ये भी कहना है कि ईरान पर हथियारों का लगा पुराना प्रतिबंध भी अब 18 अक्टूबर को ख़त्म नहीं होगा.

हसन रूहानी

लेकिन अमरीका की इस घोषणा को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के लगभग सभी सदस्यों ने ख़ारिज कर दिया है.

रविवार को समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने नाम ज़ाहिर किए बग़ैर अमरीका के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से कहा कि अमरीका सोमवार से ईरान के परमाणु, मिसाइल और हथियार प्रोग्राम से जुड़े दो दर्जन से ज़्यादा लोगों पर प्रतिबंध लागू कर देगा.

ईरान की प्रतिक्रिया

राष्ट्र के नाम अपने संदेश में राष्ट्रपति रूहानी ने कहा, “प्रतिबंध लगाने की अपनी योजना में अमरीका निश्चित हार की तरफ़ बढ़ रहा है. उसने हार का सामना किया है और अंतरराष्ट्रीय बिरादरी से उसे नकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है.”

इससे पहले ईरान के विदेश मंत्रालय ने अमरीकी कोशिशों को निर्रथक क़रार देते हुए कहा कि “अमरीका का यह क़दम अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए एक गंभीर ख़तरा है और संयुक्त राष्ट्र तथा सुरक्षा परिषद के लिए अप्रत्याशित ख़तरा है.”

ईरानी विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, “ईरान ज़ोर देकर यह कहना चाहता है कि अगर अमरीका सीधे तौर पर या अपने सहयोगियों के साथ मिलकर इन ख़तरों की तरफ़ कोई क़दम उठाता है तो उसे उसका गंभीर परिणाम भुगतना पड़ेगा और वो इसके ख़तरनाक नतीजों का ज़िम्मेदार होगा.”

डोनाल्ड ट्रंप

दुनिया भर की प्रतिक्रिया

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के दो स्थायी सदस्य ब्रिटेन और फ़्रांस के अलावा जर्मनी ने कहा है कि अमरीका की इस घोषणा की कोई क़ानूनी वैधता नहीं है क्योंकि अमरीका ने उस समझौते की शर्तों का इस्तेमाल किया है जिस समझौते से वह अलग हो चुका है.

ब्रिटेन, फ़्रांस और जर्मनी ने एक बयान जारी कर कहा, “इसका यह भी अर्थ निकलता है कि उस आधार पर लिया गया कोई भी फ़ैसला या कोई भी कार्रवाई, उसकी भी कोई क़ानूनी वैधता नहीं होगी. हमलोगों ने इस परमाणु समझौते को बचाने के लिए अथक काम किया है और हमलोग इस समझौते को लेकर प्रतिबद्ध हैं.”

सुरक्षा परिषद के एक और स्थायी सदस्य रूस के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, “अमरीका की तरफ़ से उठाए गए ग़ैर-क़ानूनी क़दम का दूसरे देशों के लिए कोई अंतरराष्ट्रीय क़ानूनी वैधता नहीं हो सकती है.”

शनिवार को यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि वो कोई भी कार्रवाई नहीं कर सकते हैं क्योंकि अभी इस मामले में अनिश्चितता बनी हुई है.

लेकिन अमरीकी अधिकारियों का कहना है कि समझौते से अलग होने के बावजूद उन्हें अभी भी स्नैपबैक क्लॉज़ इस्तेमाल करने का अधिकार है.

अमरीकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने 30 दिन पहले इसकी सूचना दी थी कि अमरीका स्नैपबैक क्लॉज़ का इस्तेमाल करने जा रहा है.

शनिवार को अमरीकी विदेश मंत्री ने एक बयान जारी कर कहा, आने वाले दिनों में उन देशों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी जो ईरान के ख़िलाफ़ प्रतिबंधों को लागू नहीं कर रहे हैं. लेकिन उन्होंने तफ़्सील से इसकी जानकारी नहीं दी.

ईरान परमाणु समझौते से ख़ुद को अलग करने के बाद अमरीका ने ईरान पर एकतरफ़ा प्रतिबंध लागू कर दिया है. अमरीकी प्रतिबंध और तेल की गिरती क़ीमतों के कारण ईरान की अर्थव्यवस्था ख़स्ताहाल हो गई है जो कि पहले से ही कोरोना महामारी का शिकार रही है.

ईरान पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा अमरीका ने ऐसे समय में की है जब क़रीब छह हफ़्तों बाद वहां राष्ट्रपति के चुनाव होने वाले हैं. ट्रंप का मुक़ाबला डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडन से है जिन्होंने वादा किया है कि अगर वो चुनाव जीत जाते हैं तो अमरीका को दोबारा ईरान परमाणु समझौते में शामिल करेंगे.

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