India China Meeting: अब अपनी बात से नहीं मुकर सकता चीन, भारत ने चली सैन्य संग कूटनीतिक चाल – Navbharat Times

नई दिल्ली
भारत और चीन (India China Meeting) की सेनाओं के बीच कोर कमांडरों की छठे दौर की बातचीत आज मोल्डो में होने जा रही है। इसमें मुख्य रूप से पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) में दोनों देशों के सौनिकों को पीछे हटाना और तनाव घटाने पर बनी पांच सूत्री सहमति के क्रियान्वयन पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित किया जाएगा। सरकारी सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी। ऐसा पहली बार होने जा रहा है कि इस मीटिंग में विदेश मंत्रालय का भी एक प्रतिनिधि बैठेगा। इसके क्या मायने हो सकते है।

पहली बार हिस्सा लेंगे MEA के प्रतिनिधि
सूत्रों के मुताबिक पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line Of Actual Control) से चीन की ओर मोल्डो में सुबह 9 बजे यह वार्ता शुरू होने वाली है। सूत्रों ने बताया कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल में पहली बार विदेश मंत्रालय से एक संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी के इसमें हिस्सा होने की उम्मीद है। आपको याद होगा कि पिछले कुछ दिनों पहले रूस की राजधानी मॉस्को में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ( Wang Yi) के बीच दो घंटे से लंबी बैठक हुई। इस बैठक में पांच सूत्रीय प्लान तय किया जिससे कि सीमा पर शांति कायम की जा सके

पांच बिंदुओं पर बनी थी सहमति
एस जयशंकर (S Jaishankar) और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ( Wang Yi) के बीच 5 बिंदुओं पर सहमति बनी थी। 1-दोनों देश मान रहे हैं कि आपसी मतभेदों को विवाद नहीं बनने दिया जाए। 2-सहमति बनी है कि विवाद वाली जगहों से सेना पीछे हटा ली जाए। 3-तय कार्यक्रम के अनुसार, विभिन्न स्तर पर वार्ता जारी रहेगी। 4-दोनों देश मौजूदा संधियों और प्रोटोकॉल्स को मानने के लिए सहमत हैं। 5-कोई देश ऐसा कदम नहीं उठाएगा जिससे तनाव और बढ़े। गौर करने वाली बात ये भी है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और यी के बीच इन मुद्दों पर दो महीने पहले भी सहमति बनी थी लेकिन ड्रैगन ने दे दिया था धोखा।

वादखिलाफी में माहिर है चीन
चीन के साथ भारत की शांति वार्ता कई दौर से होकर गुजर चुकी लेकिन परिणाम कुछ नहीं निकला। हर बार भारत को बदले में मिली तो सिर्फ वादाखिलाफी। चीन ने न तो सैन्य स्तर वाली बातचीत पर कोई अमल किया न ही कूटनितिक स्तर पर बातचीत को माना। वो हमेशा बस अपनी मनमानी पर उतारू रहा। दोनों नेताओं के बीच बातचीत में गर्मी दिखी। बातचीत के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सख्त लहजे से कहा कि भारत तब तक अपनी सेना को पीछे नहीं करेगा जब तक चीन की सेना भारत के सभी इलाकों से पूरी तरह नहीं हट जाती। उन्होंने कहा Le कि एलएसी के हर बिंदु पर चीन को अपनी जगह पर वापस लौटना होगा तभी सीमा पर शांति बहाल हो सकती है। दूसरी बात जोकि बहुत महत्वपूर्ण है वो ये है कि एस जयशंकर ने कहा कि अगर सीमा पर शांति बहाल नहीं होती तो चीन को हर तरह के संबंधों में खटास आएगी। जयशंकर के कहने का मतलब साफ था कि चीन इस भ्रम में न रहे कि वो सीमा पर तनाव रखेगा और भारत से उसका व्यापार भी फलता फूलता रहेगा।

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ये है मतलब
अब जो इस बार छठे दौर की बैठक हो रही है उसमे विदेश मंत्रालय के एक प्रतिनिधि को भी शामिल किया गया है ताकि चीन को मास्को में तय हुए पांच सूत्रीय कार्यक्रम की याद दिलाई जा सके। इस बैठक में चीन के ओर से भी एक विदेशी मंत्रालय के प्रतिनिधि के शामिल होने की खबर है। कमांडर स्तर की बातचीत के वक्त चीन को मास्को की मीटिंग याद दिलाई जाएगी और ये काम होगा विदेश मंत्रालय के प्रतिनिधि का। वो चीन को कूटनीतिक स्तर पर हुए समझौतों का जिक्र करेंगे। हर बार क्या होता था कि कमांडर स्तर की बातचीत में कूटनीतिक स्तर वाली बातचीत का जिक्र होता था लेकिन चीन मानता नहीं था और यहां से कोई भी ऐसा अधिकारी मौजूद नहीं होता था। जिसके कारण बातचीत खटास में पड़ जाती थी। अब जब बेहद तनाव के बीच छठे दौर की बातचीत हो रही है तो भारत पूरी तैयारी के साथ वहां पर मौजूद होगा।

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मौजूदा संकट पर क्या बोले थे एस जयशंकर
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एस जयशंकर ने मौजूदा संकट के बारे में चीनी समकक्ष से कहा था, ‘ सीमा पर ऐसी स्थिति तब हुई जब चीन की सेना से अप्रैल और मई महीनों में अवैध निर्माण किए गए और मौजूदा समझौतों को तोड़ा गया। सीमा पर ऐसी स्थिति होने के बाद ही दोनों देशों के बीच तनाव जैसी स्थिति पैदा हुई।’ सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भारत एलएसी का निरीक्षण करेगा और देखेगा कि क्या चीन अपने वादे पर खरा उतरा या नहीं। क्योंकि पहले चीन की वादखिलाफी देखी जा चुकी है। कमांडर स्तर की बैठक में जो फैसले किए जाते थे चीनी सेना अगले ही दिन उन फैसलों को तोड़ देती थी।

इस धोखे में थे चीनी
दिलचस्प बात ये है कि चीन बार-बार भारत से एक ही गुहार लगा रहा था कि सीमा विवाद को हम सुलझा लेंगे लेकिन बाकी दोनों के बीच जो संबंध वो वैसै ही बरकरार रहने दिए जाएं। चीनी बयान के अनुसार जयशंकर ने कहा कि ‘भारत के अनुसार भारत-चीन के रिश्‍तों का विकास सीमा तय करने पर निर्भर नहीं है और भारत पीछे नहीं जाना चाहता।’ मीटिंग में मौजूद अधिकारियों ने टोओआई से कहा कि रिश्‍ता शांतिपूर्ण सीमा पर निर्भर करता है, भारत ने इसपर जोर दिया था। चीन जान-बूझकर इस विचार को आगे बढ़ा रहा है कि सीमा विवाद को किनारे रखकर भी द्विपक्षीय संबंध बरकरार रखे जा सकते हैं।’

सांकेतिक तस्वीर।

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