विपक्ष नंबर देखता रहा और ध्वनिमत से पास हो गया Agriculture Bill, आखिर आज सदन में क्या हुआ? – Navbharat Times

हाइलाइट्स:

  • लोकसभा के बाद आज राज्यसभा में भी कृषि के दो बिल पास हो गए
  • इस दौरान विपक्ष यही देखता रह गया कि अगर सरकार के पास नंबर नहीं है तो बिल पास कैसे होगा
  • इसी बीच ध्वनि मत से बिल पारित हो गया और विपक्ष हंगामा ही करता रह गया
  • सांसद नारेबाजी करते हुए वेल तक पहुंच गए और रूल बुक तक फाड़ दी गई

नई दिल्ली
राज्यसभा (Rajya Sabha) में सरकार के पास बिल पास कराने के लिए बहुमत का आंकड़ा कहां से आएगा, कौन कौन दल पक्ष में वोट डालेंगे और कौन वॉकआउट कर बिल पास करने का रास्ता साफ करेंगे? इन सब चर्चाओं के बीच सरकार ने राज्यसभा में दो कृषि बिल (ASgriculture Bill) ध्वनिमत से पास करवा लिए। विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। जानकारों के मुताबिक राज्य सभा में इस तरह का हंगामा इससे पहले महिला आरक्षण बिल को लेकर हुआ था।

रूल बुक फाड़ी, माइक तोड़ा, धक्का- मुक्की
बिल पर चर्चा के बाद उस वक्त विपक्ष ने हंगामा शुरू किया जब उपसभापति हरिवंश ने दोनों बिलों को सिलेक्ट कमिटी में भेजे जाने के प्रस्ताव पर मतविभाजन की मांग पर गौर नहीं किया। इससे पहले नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने मांग की कि दोनों बिलों पर हुई चर्चा का जवाब सोमवार के लिए स्थगित कर दिया जाए क्योंकि रविवार को बैठक का निर्धारित समय खत्म हो गया था। विपक्ष मत विभाजन चाहता था लेकिन बिल ध्वनिमत से पास कराया जाने लगा तो टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन सहित टीएमसी और कांग्रेस सदस्य वेल (Ruckus In Parliament) पर आ गए। डेरेक डिप्टी उपसभापति के आसन के एकदम पास आकर उन्हें रूल बुक दिखाने लगे तो किसी ने पीछे से रूल बुक आसन पर फेंकी भी।

मार्शल ने डेरेक को रोकने की कोशिश की। टीएमसी सांसद माइक खींचते भी दिखे। इसी बीच माइक टूट भी गया और राज्यसभा में कागज (बिल की कॉपी) के टुकड़े उड़ते दिखे। राज्यसभा टीवी की आवाज बंद हो गई और बाद में विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि देश उनकी बात न सुन सके इसलिए आवाज बंद की गई। विपक्षी सांसदों और मार्शल्स के बीच धक्का-मुक्की भी हुई। हंगामे के बाद कुछ देर सदन की कार्यवाही स्थगित की गई लेकिन कार्यवाही शुरू होने पर फिर विपक्ष की नारेबाजी जारी रही। इसी नारेबाजी के बीच ही दोनों बिल ध्वनिमत से पास कराए गए।

प्रतिष्ठा का सवाल
कृषि बिल सरकार के लिए प्रतिष्ठा का भी सवाल बन गया था। इसके विरोध में विपक्ष की तरफ से कई बातें कही गईं। एमएसपी को लेकर सवाल उठाए तो बिल के पक्ष में माहौल बनाने की कमान खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संभाल ली थी। चार कैबिनेट मंत्रियों को अलग अलग पार्टियों के सांसदों से बात करने की जिम्मेदारी दी गई थी।

बिल का विरोध करते हुए अकाली नेता हरसिमरत कौर के कैबिनेट से इस्तीफे के बाद तो बिल पास कराने के लिए सरकार की तरफ से और भी जोर लगाया गया। बिल पास होने के बाद पीएम ने ट्वीट किया कि भारत के कृषि इतिहास में आज एक बड़ा दिन है। उन्होंने लिखा ‘मैं पहले भी कह चुका हूं और एक बार फिर कहता हूं- एमएसपी की व्यवस्था जारी रहेगी, सरकारी खरीद जारी रहेगी। हम यहां अपने किसानों की सेवा के लिए हैं। हम अन्नदाताओं की सहायता के लिए हर संभव प्रयास करेंगे और उनकी आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहतर जीवन सुनिश्चित करेंगे।‘

पक्ष-विपक्ष दिखाने की कोशिश
विपक्षी दल चाहते थे कि मतविभाजन के जरिए यह साफ हो कि कौन इस बिल के पक्ष में है और कौन विरोध में। बिल के पक्ष में जाने वालों को वह किसान विरोधी बता रहे थे। लेकिन सरकार ने ध्वनिमत से बिल पास कराकर विपक्ष की इस रणनीति को चित्त कर दिया। बिल पास होने के साथ बीजेपी के चुनावी घोषणापत्र का एक और वादा पूरा हुआ।

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने किसानों को पिछले 70 सालों के अन्याय से आजादी दिलाई है। हमारी विपक्षी पार्टियां किसान विरोधी हैं जिन्होंने किसानों को मिली नई आजादी को रोकने की कोशिश की। नड्डा ने कहा कि राज्यसभा में जो कुछ हुआ उसकी मैं निंदा करता हूं। इस घटना ने साबित कर दिया है कि जो सभ्य आचरण एक सांसद का होना चाहिए और जो पार्टियां बार बार सभ्यता की बात करती हैं, उन्होंने सभ्यता को ताक पर रखकर जो किया वह दुर्भाग्यपूर्ण है।

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