कोरोना पॉजिटिव हुए नृत्यगोपाल दास, जानिए- अयोध्या और देश के लिए हैं कितने अहम – आज तक

  • नृत्य गोपाल दास कोरोना संक्रमण की चपेट में आए
  • अयोध्या आंदोलन के अगुवा रहे हैं नृत्यगोपाल दास

अयोध्या आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले महंत नृत्य गोपाल दास श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं. राममंदिर निर्माण की सबसे अहम जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर है. यही वजह है कि गुरुवार को जैसे ही नृत्यगोपाल दास के कोरोना पॉजिटिव होने की खबर आई तो हड़कंप मच गया. नृत्य गोपाल दास अयोध्या के सबसे रसूखदार और सबसे बड़े मठ छोटी छावनी के महंत हैं, जिनका धार्मिक और सामाजिक प्रभाव अयोध्या और उत्तर भारत में काफी ज्यादा है.

दरअसल, नृत्यगोपाल दास को बुधवार को हल्की खांसी और बुखार था. ऐसे में गुरुवार को सुबह उन्हें सांस में तकलीफ हुई तब डॉक्टरों को दिखाया गया. इसके बाद उनकी कोरोना की जांच हुई. कोरोना पॉजिटिव आते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुग्राम में मेदांता में उन्हें इलाज के लिए भिजवाया.

कोरोना काल में महंत गोपाल दास लगातार सक्रिय रहे हैं. हाल ही में उन्होंने भक्तों से लेकर नेताओं मंत्रियों और प्रधानमंत्री तक से मुलाकात की है. 5 अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम के अध्यक्ष भी थे और प्रधानमंत्री के साथ मंच पर भी मौजूद थे.

ये भी पढ़ें: राम जन्मभूमि ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास को कोरोना, मेदांता में हुए भर्ती

अयोध्या के सबसे ज्यादा श्रद्धा रखने वाले महंत जो कि हर तरीके से मजबूत और समृद्ध मठ है छोटी छावनी के नृत्यगोपाल दास महंत है और उनके शिष्य देश और दुनिया में फैले हुए हैं. महंत नृत्य गोपाल दास सिर्फ राम जन्म भूमि न्यास के अध्यक्ष नहीं, बल्कि कृष्ण जन्म भूमि न्यास के भी अध्यक्ष हैं. इसी नाते वो कृष्ण जन्माष्टमी में मथुरा में जन्माष्टमी के मौके पर शिरकत करते रहे हैं.

नृत्यगोपाल दास के प्रभाव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन हो रहा था तब शुरू में इनका नाम ट्रस्ट में नहीं था. इसके बाद पूरे अयोध्या में खलबली और हंगामा मच चुका था. बाद में इस ट्रस्ट में इसके अध्यक्ष के तौर पर महंत नृत्य गोपाल दास को लाया गया और उसके बाद साधु-संत संतुष्ट हो पाए थे.

सन 1938 में बरसाना मथुरा के कहोला गांव में जन्म लेने वाले नृत्य गोपाल दास ने महज 12 वर्ष की उम्र में ही संन्यास ले लिया था और मथुरा से बाल अवस्था में ही अयोध्या आ गए थे. नृत्य गोपालदास ने अयोध्या आने के बाद काशी संस्कृत की पढ़ाई करने गए थे. 1953 में वह वापस अयोध्या आए और मणिराम दास छावनी में रुके. उन्होंने राम मनोहर दास से दीक्षा ली थी.

नृत्यगोपाल दास दशकों तक राम मंदिर आंदोलन के संरक्षक की भूमिका में रहे हैं. वो लगातार मंदिर निर्माण के लिए होने वाले कार्यों में अगुवा की भूमिका निभाते रहे हैं. इनकी अगुवाई में लंबे समय से राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा भी एकत्र किया जाता रहा है. नृत्यगोपाल दास पर बाबरी विध्वंस में शामिल रहने का आरोप है और इस मामले में लखनऊ की सीबीआई कोर्ट में उनके खिलाफ मुकदमा भी चल रहा है.

राम मंदिर आंदोलन के अगुआ और शलाका पुरुष के नाम से विख्यात रामचंद्र परमहंस दास के गोलोकवासी होने के बाद 2003 में नृत्य गोपाल दास राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष बने. सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद जब राम मंदिर के लिए नया ट्रस्ट बना तो फिर से उन्हें अध्यक्ष बनाया गया. इसके पीछे समय-समय पर राम मंदिर आंदोलन के दौर में उनकी भूमिका ही अहम रही और अब राम मंदिर निर्माण की जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर है.

Related posts