साल 2008: डॉ. कलाम से मुलाकात हुई और अमर सिंह ने बचा ली थी यूपीए की गिरती सरकार – Navbharat Times

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हाइलाइट्स

  • साल 2008 में अमर सिंह के कारण बच गई थी कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार
  • न्यूक्लियर डील के मुद्दे पर लेफ्ट ने समर्थन वापस लिया तो खतरे में आ गई थी सरकार
  • अमर सिंह ने मुलायम सिंह यादव की डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम से कराई थी मुलाकात
  • डॉ. कलाम के समझाने के बाद न्यूक्लियर डील के समर्थन में आ गए थे मुलायम

लखनऊ

लगभग हर पार्टियों के नेताओं से अच्छे संबंध रखने वाले नेता अमर सिंह का निधन हो गया है। अमर सिंह को 2008 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए गठबंधन सरकार बचाने के लिए हमेशा याद किया जाता है। उस समय समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सदस्य अमर सिंह ने ही यूपीए सरकार को गिरने से बचा लिया था। दरअसल, न्यूक्लियर डील के मुद्दे पर लेफ्ट दलों ने यूपीए से समर्थन वापस ले लिया था और सरकार गिरने की कगार पर आ गई थी।

घटना साल 2008 की है। भारत-अमेरिका न्यूक्लियर डील के मुद्दे पर कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार से लेफ्ट पार्टियों ने समर्थन वापस ले लिया। अमर सिंह ने इसमें अहम भूमिका निभाई। तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम से मुलायम सिंह यादव और अमर सिंह ने मुलाकात की और समाजवादी पार्टी ने यूपीए सरकार का समर्थन कर दिया। दरअसल, न्यूक्लियर डील के बारे में डॉ. कलाम ने इन दोनों नेताओं को समझाया, जिससे ये सरकार का समर्थन करने को तैयार हो गए।

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फ्लाइट में हुई थी मुलायम सिंह यादव से मुलाकात

कहा जाता है कि साल 1996 में एक फ्लाइट में अमर सिंह और मुलायम सिंह यादव की मुलाकात हुई। इसी मुलाकात के बाद अमर सिंह समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। इसी साल वह समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद भी बन गए। हर पार्टी में अपने संबंधों, राजनीतिक समझ, व्यवसायियों से अच्छे रिश्ते, हर काम करा लेने की कला और बॉलिवुड स्टार अमिताभ बच्चन और जया प्रदा जैसे सितारों से दोस्ती के चलते अमर सिंह समाजवादी पार्टी के चहेते नेता बन गए।

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कई विवादों में भी अमर सिंह का नाम खूब उछला। 2008 के ही कैश फॉर वोट मे तो अमर सिंह गिरफ्तार भी हुए थे। साल 2008 में ही उन्हें कई संसदीय समितियों में जगह मिली। साल 2010 में उन्हें समाजवादी पार्टी से निकाल भी दिया गया। हालांकि, 2016 में वह फिर से पार्टी में वापस आए और राज्यसभा के लिए चुने गए।

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हालांकि, समाजवादी पार्टी में अखिलेश यादव के मजबूत होने के साथ ही अमर सिंह किनारे लगते चले गए। साल 2011 में उन्होंने अपनी पार्टी भी बनाई थी। 2012 के विधानसभा चुनाव में अमर सिंह की पार्टी चुनाव में उतरी लेकिन उसे कुछ भी हासिल नहीं हुआ।

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