श्रम कानूनों की बंदिशों से राहत को करना होगा इंतजार, राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा अध्यादेश – दैनिक जागरण

Publish Date:Sat, 09 May 2020 09:03 PM (IST)

लखनऊ, जेएनएन। प्रदेश में लागू श्रम कानूनों की बंदिशों से छूट पाने के लिए कारखानों और मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों को थोड़ा इंतजार करना होगा। प्रदेश में लागू 38 श्रम अधिनियमों में से ज्यादातर केंद्रीय अधिनियम हैैं। लिहाजा उद्योगों को श्रम कानूनों से छूट देने के लिए लाए गए अध्यादेश को राज्य सरकार राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए केंद्र सरकार को भेजेगी। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद ही यह अध्यादेश प्रदेश में लागू होगा।

कोरोना संक्रमण से लडख़ड़ाए औद्योगिक क्रियाकलापों व आर्थिक गतिविधियों को पटरी पर लाने के लिए योगी सरकार ने प्रदेश के सभी कारखानों और मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों को उत्तर प्रदेश में लागू श्रम अधिनियमों से 1000 दिन (तीन साल) की अस्थायी छूट देने का बड़ा फैसला किया है। यह छूट कुछ शर्तों के साथ दी गई है। इसके लिए कैबिनेट ने बीते दिनों उत्तर प्रदेश कतिपय श्रम विधियों से अस्थायी छूट अध्यादेश 2020 के प्रारूप को मंजूरी दी है। प्रदेश में लागू 38 श्रम अधिनियमों में से सिर्फ पांच राज्य द्वारा बनाए गए हैं। शेष केंद्रीय अधिनियम हैं। केंद्रीय अधिनियमों के प्रावधानों से उद्योगों को छूट देने के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी जरूरी है।

लॉकडाउन के बीच सरकार ने कुछ शर्तों के साथ औद्योगिक गतिविधियों के संचालन की अनुमति दी है। उद्योगों को शारीरिक दूरी का पालन करने के लिए कहा गया है। लॉकडाउन की वजह से बड़ी संख्या में श्रमिक अपने घरों को लौट चुके हैं। लिहाजा उद्योगों के सामने श्रमिक संकट भी है। बाजार की गतिविधियां लगभग ठप होने से उद्योग बड़े पैमाने पर उत्पादन का जोखिम भी नहीं उठाना चाहते। इसलिए वे श्रम कानूनों के कठोर प्रावधानों से छूट दिए जाने की मांग कर रहे थे। श्रम कानूनों के प्रावधानों से छूट मिलने पर उद्योग न सिर्फ काम के घंटे बढ़ा सकेंगे, बल्कि उसमें अपनी सुविधानुसार बदलाव भी कर सकेंगे। वे कामगारों को अपनी जरूरतों के मुताबिक नियोजित कर सकेंगे। संविदा पर श्रमिकों को नियोजित करने की शर्तों से भी उन्हें छूट मिल सकेगी। कई प्रकार के रजिस्टर तैयार करने की जहमत भी नहीं उठानी होगी। कामगारों को बोनस देने की अनिवार्यता से भी रियायत मिल सकेगी। यदि उद्योग फायदे में हुआ तो वह कामगारों को बोनस देगा।

अध्यादेश में सरकार ने मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी का प्रावधान तो बरकरार रखा है लेकिन इससे अधिक मजदूरी देने के लिए नियोक्ता पर अन्यथा कोई दबाव नहीं होगा। नया अध्यादेश भले ही लागू न हुआ हो लेकिन राज्य सरकार ने कारखाना अधिनियम की धारा पांच में दी गई शक्तियों का प्रयोग करते हुए कारखानों में वयस्क कामगारों के काम के घंटों को बढ़ाकर रोजाना 12 घंटे तक करने के बारे में अधिसूचना जारी कर दी है। माना जा रहा है कि लॉकडाउन के कारण श्रमिक संकट का सामना कर रहे उद्योगों को इससे कुछ राहत मिलेगी। वे कम श्रमिकों की बदौलत भी ज्यादा उत्पादन कर सकेंगे।

चीन से पैर खींचने वाले उद्योगों को भी इशारा

उद्यमियों का मानना है कि श्रम अधिनियमों के कठोर और अप्रासंगिक हो चुके प्रावधानों से उद्योगों को छूट मिलने पर श्रम बाजार में लचीलापन आएगा। कोरोना वायरस संक्रमण की उत्पत्ति के लिए चीन पर जब अंगुलियां उठ रही हैं तो बहुतेरे विदेशी निवेशक वहां से अपने कदम वापस खींचना चाहते हैं। उद्योगों को श्रम कानूनों के कठोर प्रावधानों से छूट मुहैया कराकर उत्तर प्रदेश सरकार ने चीन से पलायन की योजना बना रहे ऐसे विदेशी निवेशकों को उप्र में निवेश करने का संदेश दिया है। अभी तक यह चिंता जताई जा रही थी कि कोरोना वायरस संक्रमण के कारण दुनिया में पूंजी का नए सिरे से जो नियोजन और निवेश होगा, उसमें कड़े श्रम कानून रुकावट बनेंगे। गौरतलब है कि कुछ अरसा पहले जब चीन में तेजी से मजदूरी बढ़ी थी तो भारत उसका फायदा इसलिए नहीं उठा पाया था क्योंकि यहां के श्रम कानून लचीले नहीं थे 

Posted By: Anurag Gupta

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