स्वास्थ्यकर्मियों से की मारपीट तो होगी सात साल तक की जेल! केंद्र सरकार लाई अध्यादेश – Jansatta

IMA ने स्वास्थ्यकर्मियों पर हो रहे हमले के खिलाफ प्रदर्शन की चेतावनी दी थी, हालांकि बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह के आश्वासन के बाद संगठन ने विरोध वापस ले लिया।





केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर। (indian express)

केंद्र सरकार ने स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के लिए अध्यादेश तैयार कर लिया है। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि सरकार स्वास्थ्यकर्मियों के साथ हो रही हिंसा बर्दाश्त नहीं करेगी। स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला करने वालों को 3 महीने से 5 साल की सजा होगी। वहीं, गंभीर हमले पर 6 महीने से सात साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा उन पर 50 हजार से लेकर 2 लाख तक के जुर्माने का भी नियम बनाया गया है।

जावड़ेकर ने कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, “इसमें उनको पूरा संरक्षण देने वाला अध्यादेश लागू करने का फैसला हुआ है। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह लागू हो जाएगा। अब यह होगा कि इस तरह का अपराध गैर जमानती होगा। यह संज्ञान लेकर । 30 दिन में इसकी जांच पूरी होगी। सीनियर लेवल का इंस्पेक्टर मामले की जांच करेगा। जावड़ेकर ने बताया कि स्वास्थ्यकर्मियों के लिए 50 लाख तक का बीमा भी होगा। इसके अलावा संपत्ति के नुकसान पर दोगुना जुर्माना लगाया जाएगा।

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गौरतलब है कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने स्वास्थ्यकर्मियों पर हो रहे हमलों के खिलाफ 23 अप्रैल को ब्लैक डे का ऐलान किया था। इसके बाद केंद्र सरकार ने स्थितियों की निगरानी के लिए अलग-अलग 6 मंत्रालयों की टीम बनाई। गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को आईएमए के डॉक्टरों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की। शाह ने गंभीर समय में डॉक्टरों की भूमिका की तारीफ की। उन्होंने डॉक्टरों को पूरी सुरक्षा का भरोसा देते हुए गुरुवार को होने वाले सांकेतिक प्रदर्शन को टालने की अपील की। इसके बाद आईएमए ने विरोध वापस लेने का ऐलान किया।

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कोरोना वॉरियर्स पर हमले का पहला मामला इंदौर से आया था। यहां के टाटपट्टी बाखल इलाके में कोरोना स्क्रीनिंग करने गयी स्वास्थ्यकर्मियों की टीम पर हमला किया गया था। जिले के कलेक्टर ने हमलावरों पर रासुका के तहत कार्रवाई करते हुए इन लोगों को जेल भेज दिया था। हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में कोरोना संक्रमित को लेने गई टीम पर भी कुछ शरारती तत्वों ने हमला कर दिया था। इसके बाद एम्स रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन और आईएमए ने सरकार से स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के लिए कानून बनाने की मांग की थी।

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