मोहाली श्मशानघाट पर एंबुलेंस में डेढ़ घंटे रहा कोरोना संक्रमित का शव, अंतिम सफर में चार कंधे भी नसीब नहीं हुए

(मनोज जोशी/मोहित शंकर).मोहाली केनयागांव में रहने वाले65 साल के बुजुर्ग कीकोरोना संक्रमण के चलते मंगलवार को मौत हो गई थी।मंगलवार शाम करीब 5 बजे चंडीगढ़पीजीआई की एंबुलेंस से श्मशानघाट लाया गया। कुछ अधिकारी भीसाथ थे। मृतक का बेटा अपनी गाड़ी में आया।श्मशानघाट में अफसर गाड़ी में ही बैठे रहे। बेटा शव अकेले नहीं उतार सकता था। उसने श्मशानघाट में काम करने वाले लोगों से मिन्नतें कीं। लेकिन, कोई भी तैयार नहीं हुआ।

15 कदम दूरी लेकिन साथ देने कोई तैयार नहीं

एंबुलेंस से श्मशानघाट इलेक्ट्रिक यूनिट महज 15 कदम दूर थी। लेकिन, इस फासले को पूरा कराने के लिए न तोनगर काउंसिल के कर्मचारी आगे आए और न स्वास्थ्य विभाग का अमला। डेढ़ घंटे बाद निगम कमिश्नर ने जूनियर इंजीनियर को भेजा। उन्होंने पहले शव को सेनेटाइज कराया। फिर श्मशानघाट के दो कर्मचारियों कोकिट पहनाकर शव को इलेक्ट्रिक यूनिट तक पहुंचाया।

बेटे की मजबूरी
पिता का संस्कार करने के लिए परिवार से अकेला बेटाआयाथा। मास्क और एप्रेन पहनकर वो श्मशान के कर्मचारियों के पासगया। सभी का एक ही जवाब था- अधिकारियों के कहने और सेफ्टी किट पहनकर ही काम करेंगे। बेटे की लाचारी देखिए कि उसके पिता को अंतिम सफर में चार कंधे भी नहीं मिल सके।

निगम कमिश्नर ने दिखाए सक्रियता
श्मशान के पंडित ने मोहालीनिगम कमिश्नर कमल कुमार गर्ग को फोन पर जानकारी दी। कुछ देर में निगम के जेई नंदन बंसल पहुंचे। इसके बाद एंबुलेंस में बैठी टीम बाहर आई।तीन लोगों ने सेफ्टी किट पहनकर शव उठाया।शाम साढ़े 6 बजे संस्कार हुआ।

स्वास्थ्य विभाग की टीम श्मशान के बाहर ही दे गई सेफ्टी किट
कोरोना पेशेंट्स का संस्कार कैसे होगा। इसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग के अमले के पास नहीं थी। नयागांव के एसडीओ शव के साथ आए थे।उन्होंने कहा कि विभाग की टीम आई थी, लेकिन श्मशान के बाहर से ही सेफ्टी किट पकड़ाकर चलती बनी। हमें नहीं पता था कि अंतिम संस्कार कैसे करना है।

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मंगलवार को मोहाली में नगर निगम कर्मचारियों ने शव को श्मशानघाट तक पहुंचाया। लेकिन, उन्हें कोरोना पीड़ित के अंतिम संस्कार की जानकारी नहीं थी।

Source: DainikBhaskar.com

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