खास बातें
- नीतीश सरकार ने जारी किए हेल्पलाइन नंबर
- राज्य से बाहर फंसे लोगों के लिए भी नंबर
- कोरोना से बचने के लिए एडवाइजरी भी जारी हुई
पटना:
कोरोनावायरस से संबंधित जानकारी और मदद के लिए बिहार सरकार ने हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं. ये नंबर जिलों के हिसाब से हैं साथ ही बिहार के बाहर फंसे लोगों के लिए अलग नंबर दिए गए हैं. साथ ही इस रोग से बचाव के लिए एक एडवाइजरी भी अलग से जारी की गई है. गौरतलब है कि बिहार में अन्य राज्यों से प्रवासी मजदूर पहुंच गए हैं.जिनके ठहरने, भोजन और चिकित्सकीय जांच के लिए राज्य सरकार ने सीमावर्ती जिलों में व्यापक स्तर पर प्रबंध किए हैं. बिहार में अब तक कुल 15 संक्रमित मरीज पाए गए हैं. जिनमें से 10 तो एक शख्स से संक्रमित हुए हैं. राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बावजूद प्रवासी मजदूरों के बिहार आने से राज्य में उत्पन्न होने वाली स्थिति की समीक्षा के लिए सचिवालय में रविवार को बैठक के बाद गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव अमीर सुबहानी ने बताया कि अन्य राज्यों से प्रवासी मजदूर पहुंचने लगे हैं, ऐसे में सीमावर्ती जिलों में सरकारी स्कूलों अथवा कालेजों सभी व्यवस्थाओं के साथ बडे बडे कैंप बनाए गए हैं जहां ठहरने और भोजन की व्यवस्था है.
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उन्होने कहा कि सबसे पहले इन प्रवासी मजदूरों की मेडिकल जांच करायी जा रही है और जांच में किसी के भी कोरोना वायरस संक्रमित होने की संभावना होने पर उसे अलग रखा जाएगा.
बिहार के पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा कि हमलोगों ने कैमूर, औरंगाबाद, नवादा, जमुई, बांका, सिवान, गोपालगंज, बक्सर, किशनगंज आदि सीमावर्ती सभी जिलों में सभी सीमावर्ती जिलों में चेक प्वाइंट बनाए हैं और राहत केंद्र खोले गये हैं.
उन्होंने कहा कि प्रवासी मजदूरों के लिए खाने-पीने, ठहरने और 14 दिनों तक क्वॉरन्टीन कर रखे जाने की व्यवस्था की गयी है तथा उसके बाद उन्हें अपने अपने घर जाने दिया जाएगा.
उन्होंने कैमूर में 3000, नवादा में 5000, जमुई में 2000, बांका में 500, सिवान में 1500, गोपालगंज में 3000, बक्सर में 2000 लोगों के लिए भोजन, ठहरने और मेडिकल जांच की व्यवस्था किए जाने का उदाहरण देते हुए कहा कि सभी सीमावर्ती जिलों में ऐसी ही व्यवस्था की गयी है.
पांडये ने कहा, ‘यह बहुत ही दुर्भाग्य की बात है कि बडी संख्या में प्रवासी मजदूर हमारे यहां प्रवेश कर गए हैं. उन्हें नहीं आने दिया जाना चाहिए था. यह समय जो जहां हैं वहीं रहने का था. वहीं उनकी व्यवस्था की जानी थी. लेकिन कहीं न कहीं चूक हुई जिसके कारण इतनी संख्या में प्रवासी मजदूरों का बिहार में प्रवेश हुआ है. लेकिन अगर आ गए हैं तो उन्हें हम संभालने का हर संभव प्रयास करेंगे’.
स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने बताया कि 15 मार्च के बाद से विदेश से आए किसी भी व्यक्ति में किसी प्रकार लक्षण पाए जाने पर उनकी जिला अस्पताल में जांच करायी जाएगी.
उन्होंने कहा कि हम 22 से 23 मार्च तक बिहार आनेवाले लोगों की आज मेडिकल जांच करा रहे हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को कहा था कि विशेष बस से लोगों को भेजना एक गलत कदम है.
उन्होंने कहा था, ‘इससे बीमारी और फैलेगी जिसकी रोकथाम और उससे निबटना सबके लिए मुश्किल होगा. जो जहां हैं उनके लिये रहने खाने की व्यवस्था वहीं की जा रही है. यह फैसला लॉकडाउन को पूरी तरह फेल कर देगा.’ नीतीश ने सुझाव दिया था कि स्थानीय स्तर पर ही कैम्प लगाकर लोगों के रहने और खाने का इंतजाम किया जाए.
गौरतलब है कि दिल्ली-एनसीआर से हजारों की संख्या में लोगों के अपने घर जाने के लिए पैदल निकलने को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने नोएडा-गाजियाबाद में 200 बसों का इंतजाम किया था.
नीतीश ने कहा था कई दिनों से परेशानी झेल रहे इन यात्रियों के लिए राहत वाली बात हो सकती है लेकिन सच्चाई यह भी है कि इन यात्रियों में अगर कोई भी संक्रमित हुआ तो बड़ी दिक्कत खड़ी हो सकती है.
उन्होंने कहा था कि बिहार सरकार कोरोना सक्रंमण के कारण लोगों के लॉकडाउन में फंसे होने की स्थिति को आपदा मान रही है और ऐसे लोगों की मदद उसी तरह की जायेगी, जैसी अन्य आपदा पीड़ितों के लिये की जाती है.
मुख्यमंत्री के इस निर्देश के आलोक में राज्य के सभी सीमावर्ती जिलों यथा- पश्चिमी चम्पारण, पूर्वी चम्पारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, भागलपुर, बांका, जमुई, नवादा, गया, औरंगाबाद, भोजपुर, कैमूर, बक्सर, छपरा, सीवान एवं गोपालगंज के जिलाधिकारियों से त्वरित कार्रवाई का निर्देश दिया गया था. बिहार में अबतक कोरोना वायरस के 630 से अधिक संदिग्ध सैंपल की जांच की जा चुकी है जिसमें से 11 पाज़िटिव पाए गए हैं. (इनपुट भाषा से भी)