मध्यप्रदेश: सत्ता बचाने के लिए कैबिनेट में फेरबदल करेंगे कमलनाथ, बागियों को मिल सकती है जगह – अमर उजाला

सीएम कमलनाथ और विधायक संजय पाठक

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मध्यप्रदेश में दो दिनों से जारी सियासी ड्रामे ने कमलनाथ सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। माना जा रहा था कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दिग्विजय सिंह के साथ मिलकर डैमेज कंट्रोल कर लिया है, लेकिन गुरुवार दोपहर बाद फिर से राज्य की राजनीति ने करवट ले ली। तीन दिनों से लापता कांग्रेस विधायक हरदीप सिंह डंग ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि, उनका इस्तीफा अभी स्वीकार नहीं हुआ है। माना जा रहा है कि कुछ और विधायक इस्तीफा दे सकते हैं। दिनभर का अपडेट जानिए-

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कमलनाथ बोले- हमारे नेता बिकाऊ नहीं हैं

सीएम कमलनाथ ने कहा, यहां जो नेता हैं, वो बिकाऊ नहीं हैं। ये सिद्धांतों और सेवा की राजनीति करते हैं। हमें अपनी राजनीति की भी ऐसी पहचान बनानी हैं कि हमें गर्व हो, ऐसी पहचान बनाएं कि हम छाती ठोक के कह सकें कि हम मध्यप्रदेश से हैं। 
 

ज्योतिरादित्य जी उपेक्षा हुई तो छाएंगे काले बादल: मंत्री 

मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने कहा- कमलनाथ जी की सरकार को संकट तब तक नहीं होगा जब सरकार हमारे नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया जी की उपेक्षा या अनादर नहीं करेगी। तब निश्चित तौर से सरकार पर जो काला बादल छाएगा और वो क्या करके जाएगा, मैं कह नहीं सकता। 
 

संजय पाठक का कमलनाथ से मिलने से इनकार, कहा- मुझे अगवा करने की कोशिश हुई
भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री संजय पाठक ने कांग्रेस में शामिल होने की अफवाहों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि मैं भाजपा का हिस्सा था, मैं भाजपा का हिस्सा हूं और हमेशा भाजपा में रहूंगा। उन्होंने यह भी कहा कि मैंने मुख्यमंत्री कमलनाथ से मुलाकात नहीं की है। कल रात मुझे अगवा करने की कोशिश की गई। इस राजनीतिक खेल में मुझे उम्मीद है कि मेरा अपहरण या हत्या नहीं होगा। मुझ पर बहुत दबाव डाला जा रहा है। मैं हमेशा भाजपा में रहूंगा।

संकट से उबरने के लिए जल्द मंत्रिमंडल विस्तार कर सकते हैं कमलनाथ
सूत्रों के अनुसार राज्य में जारी सियासी संकट से उबरने के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ मंत्रिमंडल विस्तार का फॉर्मूला अपना सकते हैं। वह अपने मंत्रिमंडल में कई नाराज विधायकों को मंत्री पद दे सकते हैं। इसके अलावा भाजपा के विधायकों को भी तोड़ने की पूरी तैयारी की जा रही है। सरकार को संकट से निकालने के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, गुलामनबी आजाद और कपिल सिब्बल भी कमलनाथ की मदद कर रहे हैं। दिग्विजय सिंह ने कहा कि राज्य के बजट सत्र के बाद कैबिनेट का विस्तार हो सकता है।

ये विधायक दे सकते हैं इस्तीफा (सूत्र)

  • ऐंदल सिंह कंसाना (कांग्रेस), सुमावली
  • रघुराज कंसाना
  • रणवीर जाटव, (कांग्रेस) गोहद
  • कमलेश जाटव
  • बिसाहूलाल (कांग्रेस), अनूपपुर
  • गोपाल सिंह
  • विक्रम सिंह नातीराजा

भाजपा के ये विधायक पार्टी से नाराज, जल्द कांग्रेस में हो सकते हैं शामिल

कांग्रेस ने भी हालात से निपटने और पलटवार करने की तैयारी की हुई है। मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह इस ऑपरेशन की कमान संभाले हुए हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कुछ भाजपा विधायक भी जल्द ही इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। इनमें भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी, शरद कौल के अलावा दो अन्य विधायकों के नाम की चर्चा हो रही है। बता दें कि भाजपा के ये दोनों विधायक राज्य और केंद्रीय नेतृत्व से नाराज बताए जा रहे हैं।

इसके अलावा जानकारी यह भी मिली है कि भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी और शरद कौल ने गुरुवार रात मुख्यमंत्री कमलनाथ से उनके बंगले पर मुलाकात भी की थी। इनके अलावा भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री संजय पाठक ने भी सीएम कमलनाथ से मुलाकात की है। बता दें कि कथित ऑपरेशन कमल में बड़ी भूमिका निभा रहे संजय पाठक के दो लौह अयस्क खदानों को प्रशासन ने सील कर दिया था।

लापता कांग्रेस विधायक डंग ने दिया इस्तीफा
मंदसौर जिले की सुवासरा विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक हरदीप सिंह डंग ने विधानसभा सदस्यता से कथित तौर पर इस्तीफा दे दिया है जिसकी प्रति सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। हालांकि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा है कि उन्हें डंग के इस्तीफे की खबर पता चली है लेकिन इस संबंध में उन्हें कोई औपचारिक संदेश नहीं मिला है। डंग ने इस्तीफे में आरोप लगाया है कि पिछले 14 माह से वह उपेक्षित महसूस कर रहे हैं और प्रदेश सरकार का कोई मंत्री उनके काम करने के लिए तैयार नहीं है। 

आंकड़ों में विधानसभा का गणित
230 विधानसभा सीटों वाले मध्यप्रदेश में 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। इस चुनाव में कांग्रेस को 114 सीटें मिली थीं, हालांकि वह बहुमत के आंकड़े से दो सीट दूर रह गई थी। बता दें कि मध्यप्रदेश में बहुमत के लिए 116 सीटें चाहिए। वहीं, भाजपा को 109 सीटें मिली थीं। इसके अलावा निर्दलीय को चार, बसपा को दो सीटें और सपा को एक सीट मिली थी।

मध्यप्रदेश में चुनाव परिणाम के बाद चार निर्दलीय, सपा के एक और बसपा ने एक विधायक ने कांग्रेस को समर्थन देने का एलान किया था। ऐसे में कमलनाथ को बहुमत से चार ज्यादा यानी 120 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। लेकिन, कमलनाथ सरकार में शामिल समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के विधायक अक्सर कांग्रेस से अपनी नाराजगी जाहिर करते भी दिखाई दिए हैं।

यदि कमलनाथ सरकार से पांच विधायक टूटते हैं तब एमपी में सरकार का गिरना तय है। वहीं अभी तक सूत्रों के हवाले से जो जानकारी मिल रही है उसमें भाजपा के पास कांग्रेस के तीन और एक निर्दलीय विधायक है। ऐसे में सरकार तो सुरक्षित है लेकिन भविष्य में इसके गिरने की संभावना ज्यादा है।

मंगलवार सुबह शुरू हुआ था घटनाक्रम
मंगलवार की सुबह कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर कहा कि भाजपा नेता भूपेंद्र सिंह बसपा से निलंबित विधायक रामबाई को लेकर चार्टर्ड प्लेन से दिल्ली पहुंचे हैं। हालांकि, रमाबाई के पति गोविंद ने इसका खंडन करते हुए कहा कि रमाबाई अपनी बेटी से मिलने के लिए दिल्ली गई हैं। इसके बाद मंगलवार रात को पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के दिल्ली जाने को लेकर भी राज्य में जमकर राजनीति हुई। 

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