दौरे से 3 महीने पहले ही सीक्रेट सर्विस के एजेंट पहुंच जाते हैं, राष्ट्रपति के रूट पर गाड़ी पार्क करने की भी मनाही

नई दिल्ली. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प 24-25 फरवरी को भारत के दौरे पर रहेंगे। वे गुजरात के अहमदाबाद जाएंगे और आगरा के ताजमहल भी जाएंगे। अमेरिका का राष्ट्रपति दुनिया का सबसे ताकतवर नेता होता है। इतना ताकतवर कि कुछ भी फैसला लेने से पहले सोचने की जरूरत भी नहीं होती। इतने ताकतवर शख्स की सिक्योरिटी भी बहुत खास होती है। भारत आने पर ही ट्रम्प थ्री-लेयर की हाई सिक्योरिटी में रहेंगे। पहले घेरे में अमेरिका की सिक्रेट सर्विस, इसके बाद एसपीजी और फिर अहमदाबाद क्राइम ब्रांच का दस्ता होगा। अमेरिकी न्यूज वेबसाइट ओरेगोनियन की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी राष्ट्रपति के किसी भी दौरे से पहले सीक्रेट सर्विस तीन महीने पहले ही वहां पहुंच जाती है और वहां की लोकल पुलिस के साथ मिलकर सिक्योरिटी की तैयारी शुरू कर देती है। राष्ट्रपति के आने से पहले ही एयरस्पेस क्लीयर करवा लिया जाता है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प एयरफोर्स वन विमान से भारत आएंगे। इसे दुनिया का सबसे सुरक्षित विमान कहा जाता है। ये विमान एक तरह से राष्ट्रपति ऑफिस की तरह ही रहता है। इसमें वह सारी सुविधाएं रहती हैं, जो एक ऑफिस में रहती है।

अमेरिकी राष्ट्रपति के आने से पहले किस तरह की तैयारी होती है?

  • राष्ट्रपति के दौरे से कम से कम 3 महीने पहले ही यूएस सीक्रेट सर्विस के एजेंट वहां पहुंच जाते हैं। एजेंट यहां पर लोकल पुलिस, एजेंसियों के साथ मिलकर राष्ट्रपति के दौरे का खाका तैयार करते हैं। ट्रेवल रूट और सबसे नजदीकी ट्रॉमा हॉस्पिटल की पहचान भी करते हैं। इसके साथ ही किसी भी तरह के संभावित हमले या इमरजेंसी से निपटने के लिए राष्ट्रपति के लिए सेफ लोकेशन भी तय करते हैं।
  • यूएस सीक्रेट सर्विस के एजेंट लोकल पुलिस के साथ मिलकर संभावित खतरे की भी पहचान होते हैं। जिन लोगों से राष्ट्रपति को खतरा हो सकता है, ऐसे लोगों की पहचान की जाती है और उन पर बारीकी से नजर रखी जाती है। ऐसे लोगों को चेतावनी भी दी जाती है।
  • राष्ट्रपति के दौरे से कुछ दिन पहले से स्नीफर डॉग्स को लाया जाता है। इनकी मदद से राष्ट्रपति के रूट की जांच की जाती है। पता लगाया जाता है कि कहीं बम तो नहीं लगा। इसके साथ ही उनके रूट के आसपास गाड़ियों को भी खड़ा नहीं होने दिया जाता, ताकि कोई कार या गाड़ी में बम न रख दे।

एयरफोर्स वन : दुनिया का सबसे सुरक्षित विमान, इसी से राष्ट्रपति सफर करते हैं
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका से भारत एयरफोर्स वन विमान से आएंगे। ये विमान बोइंग 747-200बी सीरीज का विमान होता है। ऐसे दो विमान होते हैं, जिन पर 28000 और 29000 कोड होता है। एयरफोर्स वन को मिलिट्री विमान की कैटेगरी में रखा गया है, क्योंकि ये किसी भी तरह का हवाई हमला तक झेल सकता है। ये न सिर्फ दुश्मन के रडार को जाम कर सकता है, बल्कि मिसाइल भी छोड़ सकता है। इस विमान में हवा में ही फ्यूल भरा जा सकता है। एयरफोर्स वन एक तरह से राष्ट्रपति ऑफिस की तरह ही काम करता है। इसमें वो सारी सुविधाएं होती हैं, जो राष्ट्रपति ऑफिस में होती है। इसमें एक कम्युनिकेशन सेंटर भी होता है, जिससे राष्ट्रपति जब चाहें, जिससे चाहें फोन पर बात कर सकते हैं। इसमें 85 ऑनबोर्ड टेलीफोन, कम्प्यूटर सिस्टम और रेडियो सिस्टम होते हैं।

विमान में 4 हजार स्क्वायर फीट का एरिया, दो किचन, कमरे, कॉन्फ्रेंस रूम भी
तीन फ्लोर वाले इस विमान में 4 हजार स्क्वेयर फीट का एरिया होता है। इसमें राष्ट्रपति के लिए सुइट होता है। मेडिकल फैसिलिटी होती है। कॉन्फ्रेंस रूम, डाइनिंग रूम और जिम भी होता है। इसमें दो किचन भी होता है, जिसमें एक बार में 100 लोगों का खाना बन सकता है। इसके साथ ही इसमें प्रेस, सिक्योरिटी स्टाफ, ऑफिस स्टाफ और वीआईपी के लिए भी कमरे बने होते हैं।

राष्ट्रपति के पास न्यूक्लियर अटैकका बटन हमेशा साथ रहता है
2018 में उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग-उन ने ट्रम्प को धमकी देते हुए कहा था कि उनके पास न्यूक्लियर बम का बटन है। जवाब में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी कह दिया कि उनके पास उनसे ज्यादा शक्तिशाली और बड़ा बटन है। वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक, राष्ट्रपति के साथ हमेशा एक लेदर बैग लिए मिलिट्री वाला रहता है। इस बैग में न्यूक्लियर हथियारों के इस्तेमाल और उनके लॉन्च करने का कोड होता है। इस बैग को ‘फुटबॉल’कहते हैं। यह यूनिक कोड होता है, जो हमेशा राष्ट्रपति के साथ रहता है। राष्ट्रपति बाहर दौरे पर भी हैं, तो भी उनके साथ यह कोड होता है। अगर कोई इमरजेंसी आ जाए या युद्ध जैसे हालात हों, तो राष्ट्रपति दुनिया में कहीं से भीन्यूक्लियर हथियारों को लॉन्च करने का आदेश दे सकते हैं।

ट्रम्प की कार “द बीस्ट’: न्यूक्लियर अटैक तक झेल सकती है, टायर पंक्चर भी हो, फिर भी चलेगी

  • ट्रम्प के दौरे से पहले ही उनकी कार “द बीस्ट’ अमेरिकी एयरफोर्स के सी-17 ग्लोबमास्टर ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट से भारत आ चुकी हैं। इस कार को अमेरिकी कंपनी जनरल मोटर्स ने तैयार किया है। ट्रम्प की कार को दुनिया की सबसे सुरक्षित कार माना जाता है, जिसपर न्यूक्लियर अटैक और कैमिकल अटैक तक का भी असर नहीं होता। इस कार का वजन 20 हजार पाउंड यानी करीब 10 हजार किलो की होती है। इसकी कीमत 10 करोड़ रुपए के आसपास है।
  • इस कार में मशीन गन, टियर गैस सिस्टम, फायर फाइटिंग और नाइट विजन कैमरा जैसे इक्विपमेंट होते हैं। जरूरत पड़ने पर इस कार से दुश्मन पर हमला भी किया जा सकता है। कार की टायर की रिम मजबूत स्टील से बनी होती है। इसका मतलब है कि अगर टायर पंक्चर भी हो जाए तो भी कार की स्पीड पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इस कार में जो पेट्रोल डाला जाता है, उसमें खास तरह का फोम मिक्स किया जाता है, ताकि धमाका न हो।
  • कार के गेट 8 इंच मोटे होते हैं और इसकी विंडो बुलेट-प्रूफ होती है। हालांकि, कार की सिर्फ एक ही विंडो खुलती है जो ड्राइवर सीट के साइड में होती है। ड्राइवर का कैबिन और ट्रम्प के कैबिन के बीच में एक कांच की दीवार भी होती है, ताकि ट्रम्प सीक्रेट मीटिंग कर सकें और सीक्रेट बात भी। ट्रम्प के पास एक सैटेलाइट फोन होता है, जिसकी मदद से वे कभी भी किसी से भी बात कर सकते हैं। इस कार की डिग्गी में ट्रम्प के ब्लड ग्रुप वाला खून भी रहता है।

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Source: DainikBhaskar.com

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