कोलकाता एयरपोर्ट के विस्तार को लेकर केंद्र के साथ टकराव, जमीन देने से ममता का इन्कार

Publish Date:Fri, 14 Feb 2020 09:13 PM (IST)

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के साथ बंगाल की ममता सरकार का टकराव खत्म नहीं हो रहा है। अब कोलकाता स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के विस्तार को लेकर टकराव शुरू हो गया है। बंगाल सरकार ने एयरपोर्ट के विस्तार के लिए जमीन देने से साफ इन्कार कर दिया है।
प्रतिवर्ष कोलकाता एयरपोर्ट पर यात्रियों की संख्या बढ़ती जा रही
दरअसल, प्रतिवर्ष कोलकाता एयरपोर्ट पर यात्रियों की संख्या बढ़ती जा रही है। ऐसे में यात्रियों की सुविधा के लिए एयरपोर्ट के विस्तार की आवश्यकता है।
एयरपोर्ट के विस्तार के लिए जमीन देने से ममता सरकार का इन्कार
एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने कोलकाता के आसपास जमीन उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार से अनुरोध किया था, लेकिन कुछ दिन पहले बंगाल के मुख्य सचिव राजीव सिन्हा ने एयरपोर्ट अथॉरिटी के चेयरमैन अरविंद सिंह को साफ कह दिया कि कोलकाता में जमीन का प्रबंध करना संभव नहीं है।

राज्य ने विकल्प के तौर पर अंडाल एयरपोर्ट का दिया प्रस्ताव, केंद्र को मंजूर नहीं
राज्य सरकार ने इसके बदले विकल्प के तौर पर दुर्गापुर में अंडाल एयरपोर्ट का इस्तेमाल करने का प्रस्ताव दिया, लेकिन केंद्र इसे मानने को तैयार नहीं है।
केंद्र व राज्य के टकराव से कोलकाता एयरपोर्ट के विस्तार का मामला लटका
नागरिक उड्डयन मंत्रालय का कहना है कि यह मुमकिन नहीं है, क्योंकि कोलकाता से अंडाल की दूरी काफी अधिक है। केंद्र व राज्य सरकार के बीच इस टकराव से अब कोलकाता एयरपोर्ट के विस्तार का मामला लटकता दिख रहा है। इस बारे में एयरपोर्ट अथॉरिटी का कहना है कि वह जमीन की व्यवस्था नहीं कर सकता। राज्य सरकार को ही इसकी व्यवस्था करनी होगी।

यात्रियों की संख्या के मद्देनजर विस्तार जरूरी
इस समय कोलकाता एयरपोर्ट के टर्मिनल की क्षमता सालाना दो करोड़ 60 लाख यात्रियों की है। इस समय दो करोड़ 30 लाख यात्री आवाजाही कर रहे हैं। कोलकाता एयरपोर्ट के निदेशक कौशिक भट्टाचार्य का कहना है कि आने वाले समय में वर्तमान टर्मिनल का ही विस्तार किया जाएगा। रनवे और टर्मिनल की क्षमता को थोड़ा बढ़ाया जा सकता है, जो कुछ वर्षों तक चल सकता है।

2014 के बाद से एयरपोर्ट से यात्रियों की आवाजाही बढ़कर दोगुनी से अधिक हो गई
उन्होंने कहा कि 2014 तक इस एयरपोर्ट से एक करोड़ यात्रियों की आवाजाही थी, जो पिछले पांच वर्षो में बढ़कर दोगुनी से अधिक हो गई है। एयरपोर्ट अधिकारियों का कहना है कि अगर इसी तरह यात्रियों की संख्या बढ़ती रही तो एयरलाइंसों को जगह उपलब्ध कराने के लिए वैकल्पिक एयरपोर्ट की आवश्यकता होगी।

कोलकाता छोड़कर कई शहरों में वैकल्पिक एयरपोर्ट की तैयारी शुरू
दिल्ली, मुंबई, बंगलुरु, हैदराबाद समेत कई बड़े शहरों में वैकल्पिक एयरपोर्ट की तैयारी का काम शुरू हो चुका है, सिर्फ कोलकाता को लेकर समस्या है। अरविंद सिंह का कहना है कि पिछले साल दिसंबर में ही केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इस बाबत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बंगाल के मुख्य सचिव से बात की थी। उस समय भी राज्य सरकार की ओर से जमीन नहीं देने की बात कही गई।

कोलकाता से 180 किमी दूर है अंडाल
अरविंद सिंह का कहना है कि विकल्प के तौर पर अंडाल के बारे में राज्य की ओर से कहा जा रहा है। वह कोलकाता से करीब 180 किलोमीटर दूर है। दुनिया में कहीं भी वैकल्पिक एयरपोर्ट तैयार हो रहा है तो उसकी दूरी मुख्य एयरपोर्ट से 50-60 किलोमीटर की होती है ताकि यात्रियों को मुख्य एयरपोर्ट से उतरकर वहां पहुंचने में सहूलियत हो।
Posted By: Bhupendra Singh

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Source: Jagran.com

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