अफ़ग़ानिस्तान: तालिबान ने किया पंजशीर घाटी को घेरने का दावा, विरोधी बोले- यहां से दूर रहना – BBC हिंदी

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अफ़ग़ानिस्तान की पंजशीर घाटी को लेकर तालिबान और उसकी विरोधी ताक़तों ने अलग-अलग दावे किए हैं. तालिबान ने पंजशीर घाटी को घेरने की जानकारी दी है तो विरोधी ताक़तों ने उसे इस इलाक़े से दूर रहने की चेतावनी दी है.

अफ़ग़ानिस्तान की पूर्व सरकार के समर्थन वाली सेना और तालिबान ने पंजशीर घाटी को लेकर बातचीत जारी होने की जानकारी भी दी है.

तालिबान के प्रवक्ता ज़बिउल्लाह मुजाहिद ने पंजशीर घाटी को तीन तरफ से घेरे जाने की जानकारी दी और ट्विटर पर लिखा, “अमीरात मामले को शांति के साथ सुलझाना चाहता है. “

तालिबान ने राजधानी काबुल समेत अफ़ग़ानिस्तान के ज़्यादातर हिस्सों पर कब्ज़ा कर लिया है लेकिन पंजशीर घाटी अब तक तालिबान के पहुंच से दूर रही है. हालांकि, सोमवार को तालिबान के बाहर भी तालिबान का विरोध होने की रिपोर्टें मिली हैं.

बग़लान प्रांत

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समाचार एजेंसी एएफपी ने तालिबान की ओर से किए गए दावा के जानकारी देते हुए बताया है कि तालीबान के लड़ाके पंजशीर में आगे बढ़ रहे हैं. तालिबान के मुताबिक उनके लड़ाकों ने पंजशीर घाटी को घेर लिया है.

बीबीसी उर्दू सेवा ने तालिबान सूत्रों के हवाले से बताया है कि तालिबानी कमांडर कारी फ़सीहुद्दीन इस लड़ाई का नेतृत्व कर रहे हैं.

उधर, तालिबान के ख़िलाफ़ एक प्रमुख ताक़त के तौर पर देखे जाने वाले पूर्व सरकार के उप राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने भी दावा किया कि तालिबान पंजशीर घाटी में दाखिल होने के रास्ते में अपने लड़ाकों को इकट्ठा करने की कोशिश कर रहा है.

उन्होंने तालिबान को आगाह किया है कि उनके लड़ाकों को इस इलाके से बचना चाहिए.

घेरेबंदी और बातचीत

तालिबान के एक प्रवक्ता ने काबुल में दावा किया था कि उनकी पंजशीर घाटी के लोगों से बातचीत हो रही है. प्रवक्ता ने ये भी दावा किया कि जल्दी ही पंजशीर घाटी पर शांतिपूर्ण तरीके से तालिबान का कब्ज़ा हो जाएगा.

वहीं, समाचार एजेंसी एएफ़पी ने अफ़ग़ानिस्तान के पूर्व सरकार की सेना के एक प्रवक्ता के हवाले से बताया है कि सेना पंजशीर में तालिबान के साथ “लंबे संघर्ष के लिए तैयार हैं लेकिन साथ ही तालिबान के साथ बातचीत की कोशिश में भी जुटे हैं.”

तालिबान ने ये भी दावा किया कि बग़लान प्रांत के बानू समेत तीन ज़िलों पर उनका कब्ज़ा हो गया है. दूसरी तरफ़ विरोधी ताक़तों ने तीन सौ तालिबानी लड़ाकों को मार गिराने का दावा किया है. तालिबान ने इस दावे को ग़लत बताया है.

अहमद मसूद

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आखिरी चुनौती

तालिबान और बाकी दुनिया की सबसे ज़्यादा दिलचस्पी पंजशीर घाटी में है. ये घाटी काबुल के उत्तर में है और हिंदुकुश पहाड़ियों से घिरी हुई है. इसे लंबे समय से तालिबान विरोधी ताक़त के केंद्र के रूप में देखा जाता है.

अफ़ग़ानिस्तान की भौगोलिक और सामरिक स्थिति को लेकर अच्छी जानकारी रखने वाले विशेषज्ञों का दावा है कि भले ही अपने पिछले कार्यकाल में तालिबान पंजशीर घाटी पर कब्ज़ा न कर सका हो लेकिन इस बार उसे ज़्यादा मुश्किल नहीं होनी चाहिए. तालिबान के लिए पंजशीर घाटी को घेर लेना ही काफी होगा. तालिबान के हालिया दावे इसी तरफ इशारा करते हैं.

ये घाटी अहमद वली मसूद का गढ़ मानी जाती है. वो अहमद शाह मसूद के बेटे हैं. उनकी मौत साल 2001 में हुई थी. मरने के पहले तक अहमद शाह मसूद ने पंजशीर घाटी पर दबदबा बनाया हुआ था. उन्होंने सोवियत-अफ़ग़ान युद्ध और तालिबान के साथ गृह युद्ध के दौरान इसे अभेद्य किला बनाए रखा.

तालिबान ने हाल में जब काबुल समेत अफ़ग़ानिस्तान के तमाम इलाक़ों पर आसानी से कब्ज़ा कर लिया लेकिन पंजशीर घाटी अब तक उनके अधिकार में नहीं आई है.

अब भी तालिबान के ख़िलाफ़ विरोध के सबसे तीखी सुर यहीं से सुनाई दे रहे हैं. एएफ़पी समेत कई समाचार एजेंसियों पर इलाक़े की जो तस्वीरें सामने आई हैं, उनमें किशोर उम्र के लड़के तक बंदूंके थामे दिखाई दे रहे हैं.

पूर्व सरकार में उपराष्ट्रपति रहे अमरुल्ला सालेह और अहमद वली मसूद ने यहीं से तालिबान के ख़िलाफ़ बग़ावत का एलान किया. सालेह अफ़ग़ानिस्तान की खुफिया सेवा के प्रमुख भी रह चुके हैं.

अहमद के मसूद के एक हालिया बयान ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा था. उन्होंने दावा किया, “मैं अपने पिता के नक्शेकदम पर चलने के लिए तैयार हूं. मुजाहिदीन के लड़ाके एक बार फिर तालिबान से लड़ने के लिए तैयार हैं.””

वहीं, तालिबान के काबुल पर कब्ज़े के बाद खुद को राष्ट्रपति घोषित करते हुए संघर्ष का एलान करने वाले सालेह ने रविवार को दावा किया कि तालिबान पंजशीर घाटी के करीब अपने लड़ाकों को इकट्ठा कर रहा है.

उन्होंने तालिबान को आगाह किया है कि वो पंजशीर घाटी और उसके आसपास के इलाकों से दूर रहें.

सालेह ने ट्विटर पर दावा किया कि तालिबान को ‘अंदराब घाटी में भारी नुक़सान हुआ है.’ उन्होंने सालांग राजमार्ग बंद होने की भी जानकारी दी और साथ ही लिखा कि तालिबान को इन इलाक़ों से बचना चाहिए.

अमरुल्ला सालेह और अहमद मसूद

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क्या कहते हैं विशेषज्ञ

पंजशीर घाटी को लेकर विशेषज्ञ भी अपनी राय जाहिर कर रहे हैं. पेरिस की एक यूनिवर्सिटी में अफ़ग़ान मामलों के जानकार जाइल्स डोरोनसोरो ने समाचार एजेंसी एएफपी से बात करते हुए कहा,

“फिलहाल पंजशीर घाटी का प्रतिरोध केवल मौखिक है. तालिबान ने अभी तक पंजशीर में दाखिल होने की कोशिश नहीं की है.”

उन्होंने दावा किया, “तालिबान को केवल पंजशीर की घेराबंदी करने की जरूरत है, उन्हें वहां जाने की भी जरूरत नहीं होगी.”

तालिबान फिलहाल इसी रणनीति पर आगे बढ़ते दिख रहे हैं.

वहीं तालिबान के प्रवक्ता ज़ैबिहुल्लाह मुजाहिद ने एक बयान जारी कर दवा किया है कि बग़लान प्रांत तीन ज़िलों बानू , पुल ए हिसार और सालाह पर उनका कब्ज़ा हो गया है और अंदराब समेत तीन और ज़िलों में वो मजबूत स्थिति में हैं.

उन्होंने दावा किया कि सालांग घाटी में भी ट्रैफिक दोबारा शुरू हो गया है..

अफ़ग़ान इस्लामिक प्रेस (एआईपी) ने बग़लान प्रांत के पुलिस के पूर्व प्रवक्ता अहमद जावेद बशारत के हवाले से दावा किया था कि बग़लान के इन ज़िलों में झड़पें जारी हैं.

एआईपी ने बग़लान प्रांत के काउंसिल चेरयरमैन रहे मोहम्मद सफदर मोहसनी के हवाले से बताया है कि तालिबानी लड़ाकों के हमले में आम नागरिकों की जानें गई हैं. उन्होंने घरों को भी नुक़सान पहुंचाया है. मोहम्मद सफदर तालिबानी लड़ाकों के मुकाबले में जुटे हैं.

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