भास्कर एक्सप्लेनर: कोवीशील्ड के दो डोज का गैप फिर बदला; जानिए किसे कितने दिन बाद लगेगा दूसरा डोज – दैनिक भास्कर

एक घंटा पहलेलेखक: रवींद्र भजनी

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोवीशील्ड के वैक्सीनेशन शेड्यूल में बड़ा बदलाव किया है। दूसरे डोज का गैप दो बार बढ़ाने के बाद अब इसे विदेश यात्रा पर जा रहे लोगों के लिए घटाया गया है। यानी कुछ कैटेगरी में दो डोज के लिए 84 दिन (12-16 हफ्ते) का इंतजार करने की जरूरत नहीं है। 28 दिन (4-6 हफ्ते) बाद भी दूसरा डोज लगवा सकते हैं। दो डोज का गैप सिर्फ कोवीशील्ड के लिए घटाया गया है। कोवैक्सिन के दो डोज का गैप 28 दिन था। उसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है।

किन लोगों को 28-42 दिन में लगेगा कोवीशील्ड का दूसरा डोज?

  • कोवीशील्ड के दो डोज के गैप में यह तीसरा बदलाव है। 16 जनवरी को टीकाकरण शुरू हुआ तो कोवीशील्ड और कोवैक्सिन में दो डोज का गैप 28-42 दिन का रखा गया था। पर 22 मार्च को कोवीशील्ड के दो डोज का अंतर 4-6 हफ्ते से बढ़ाकर 6-8 हफ्ते किया गया। फिर 13 मई को यह गैप बढ़ाकर 12-16 हफ्ते कर दिया गया।
  • नई गाइडलाइन उन लोगों के लिए है जिन्हें पहला डोज लग चुका है और उन्हें अंतरराष्ट्रीय यात्रा पर जाना है। यह यात्रा उन्हें पढ़ाई, रोजगार या ओलिंपिक टीम के हिस्से के तौर पर करनी पड़ सकती है। ऐसे लोगों को कोवीशील्ड के दूसरे डोज के लिए 84 दिन का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। वे इससे पहले भी दूसरा डोज लगवा सकते हैं।

कोवीशील्ड की डोजिंग पॉलिसी में यह बदलाव क्यों किया गया?

  • यह बदलाव भारत के बाहर यात्रा कर रहे लोगों के लिए जारी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOPs) में किया गया है। दरअसल, कोवीशील्ड को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और ब्रिटिश कंपनी एस्ट्राजेनेका ने मिलकर विकसित किया है। इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) अपनी मंजूरी दे चुका है। ऐसे में इसके दो डोज लगे होने पर लोग भारत के बाहर सुरक्षित यात्रा कर सकते हैं। उन्हें इन्फेक्शन होने का खतरा कम होगा। साथ ही वे नए तेजी से फैलने वाले म्यूटेंट वायरस स्ट्रेन्स से भी सुरक्षित रहेंगे।
  • पर यह पॉलिसी सभी पर लागू नहीं होगी। अगर कोई व्यक्ति 84 दिनों के अंदर विदेश जाने वाला हो तो ही जल्दी दूसरा डोज लगाया जा सकेगा। अन्य लोगों को यह राहत नहीं मिलने वाली। उन्हें दूसरा डोज लेने के लिए 84 दिनों का इंतजार करना ही होगा।

..तो दो डोज में 12-16 हफ्ते का गैप रखने का क्या फायदा है?

  • सरकार ने 13 मई को नेशनल टेक्निकल एडवायजरी ग्रुप ऑन इम्युनाइजेशन (NTAGI) की सिफारिश पर कोवीशील्ड के दो डोज का गैप बढ़ाया था। यह गैप 6-8 हफ्ते से बढ़ाकर 12-16 हफ्ते किया गया था। ग्रुप का कहना था कि इससे ज्यादा से ज्यादा लोग एक डोज लेकर कोविड के खिलाफ सुरक्षा घेरे में आ जाएंगे।
  • कुछ रिसर्चर्स और केस स्टडीज ने भी इस बदलाव का समर्थन किया है। उनके मुताबिक 12-16 हफ्ते के अंतर से कोवीशील्ड के दो डोज लगाने पर वह ज्यादा इफेक्टिव है। अधिक मात्रा में एंटीबॉडी रिस्पॉन्स पैदा करती है। भारत और विदेशों में मिला क्लीनिकल डेटा भी इस बात को सपोर्ट करता है।

क्या गैप बढ़ने से इम्युनिटी बेहतर होती है?

  • मेडिकल जर्नल लैंसेट में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक कोवीशील्ड की इफेक्टिवनेस और इम्यून रिस्पॉन्स गैप बढ़ने से बढ़ता है। रिसर्चर्स ने पाया कि कोवीशील्ड ही नहीं बल्कि कुछ और वैक्सीन के साथ भी ऐसे ही नतीजे मिल रहे हैं।
  • दो डोज के बीच 6 हफ्ते या कम गैप रखने पर इफेक्टिवनेस 50-60% रह जाती है। वहीं, 12-16 हफ्ते का गैप रखने पर यह इफेक्टिवनेस बढ़कर 81.3% हो जाती है।
  • यूके, यूरोप के कुछ हिस्सों के साथ ही श्रीलंका, कनाडा समेत कई देशों में कोवीशील्ड लग रही है। गैप को अलग-अलग देशों ने अपनी सहूलियत से अलग-अलग रखा है। यूके और कनाडा में चार महीने तक के गैप से दूसरा डोज लग रहा है। यही पॉलिसी भारत ने 13 मई के बाद अपनाई है। कुछ जगहों पर अलग-अलग वैक्सीन की मिक्सिंग और मैचिंग का काम हो रहा है। उसकी संभावनाओं और फायदों पर स्टडी हो रही है।

अगर दूसरा डोज नहीं लगा तो क्या होगा?

  • ऐसा भी हो सकता है कि किसी व्यक्ति को समय पर कोवीशील्ड का दूसरा डोज न लगे। तब क्या होगा? जिन लोगों को पहला डोज लेने के बाद ज्यादा दिक्कतें आई हैं, उन्हें भी दूसरा डोज देरी से लेने की सलाह दी जा रही है।
  • ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति को पार्शियल वैक्सीनेटेड माना जाएगा। उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्वारेंटाइन और टेस्टिंग से जुड़े निर्देशों का पालन करना होगा। हालांकि नई स्टडीज से सामने आया है कि कोवीशील्ड का पहला डोज कोवैक्सिन के मुकाबले ज्यादा मजबूत एंटीबॉडी रिस्पॉन्स पैदा करता है। इस तरह पार्शियल वैक्सीनेशन के बाद भी कुछ स्तर तक प्रोटेक्शन तो मिलता ही है।
  • हालांकि दोनों डोज लेना जरूरी है। जब भी संभव हो, तब दूसरा डोज जरूर लगवाएं। ताकि पूरी तरह वैक्सीनेट होने के लाभ आपको मिल सकें।

कोवैक्सिन लगवाने वालों को विदेश यात्रा पर क्या समस्याएं हो सकती हैं?

  • कोवैक्सिन को अब तक WHO ने अप्रूवल नहीं दिया है। इस वजह से अब तक उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता नहीं मिली है। ऐसे में जिन लोगों ने कोवैक्सिन का पहला डोज लगवाया है, उन्हें 28 दिन बाद ही दूसरा डोज लगेगा। विदेश यात्रा करने पर उन्हें वैक्सीनेट नहीं माना जाएगा। यानी उन्हें अनिवार्य क्वारैंटाइन पीरियड बिताना पड़ेगा। साथ ही अगर किसी देश ने टेस्टिंग पॉलिसी लागू कर रखी है, तो उसके तहत उन्हें टेस्ट करवाने होंगे।
  • घबराने की जरूरत नहीं है। कोवैक्सिन बना रही भारत बायोटेक ने वैक्सीन को WHO से अप्रूवल पाने के लिए कोशिशें तेज कर दी हैं। कंपनी ने तो यह भी कहा है कि अतिरिक्त डेटा जुटाने के लिए वह चौथे फेज की तैयारी कर रही है। तीसरे फेज के ट्रायल्स में कोवैक्सिन 78% इफेक्टिव साबित हुई है।

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