न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नागपुर
Published by: दीप्ति मिश्रा
Updated Wed, 28 Apr 2021 09:59 AM IST
सार
85 साल के बुजुर्ग नारायण भाऊराव दाभाडकर ने यह कहते हुए एक युवक के लिए अपना बेड खाली कर दिया कि मैंने अपनी पूरी जिंदगी जी ली है। अस्तपाल का बेड छोड़ने के बाद नारायण राव घर चले गए और तीन दिन में ही दुनिया को अलविदा कह गए।
आरएसएस के स्वयंसेवक नारायण भाऊराव दाभाडकर
– फोटो : Twitter
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विस्तार
जानकारी के मुताबिक, नागपुर निवासी नारायण भाऊराव दाभाडकर कोरोना संक्रमित हो गए थे। उनका ऑक्सीजन लेवल घटकर 60 तक पहुंच गया था। इसके बाद उनके दामाद और बेटी काफी मशक्कत के बाद उन्हें इंदिरा गांधी शासकीय अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लंबी जद्दोजहद के बाद नारायण राव को बेड भी मिल गया था।
महिला का दर्द देख बुजुर्ग ने छोड़ दिया बेड
इस बीच, एक महिला रोती हुई आई, जो अपने 40 वर्षीय पति को लेकर अस्पताल लाई थी। महिला अपने पति के लिए बेड की तलाश में कर रही थी। महिला की पीड़ा देखकर नारायण ने डॉक्टर से कहा, ‘मेरी उम्र 85 साल पार हो गई है। काफी कुछ देख चुका हूं, अपना जीवन भी जी चुका हूं। बेड की आवश्यकता मुझसे अधिक इस महिला के पति को है। उस शख्स के बच्चों को अपने पिता की आवश्यकता है। वरना वे अनाथ हो जाएंगे। इसके बाद नारायण ने अपना बेड उस महिला के पति को दे दिया। उनके आग्रह को देख अस्पताल प्रशासन ने उनसे एक कागज पर लिखवाया, ‘मैं अपना बेड दूसरे मरीज के लिए स्वेच्छा से खाली कर रहा हूं।’ दाभाडकर ने स्वीकृति पत्र भरा और घर लौट गए। कोरोना पीड़ित नारायण की घर पर ही देखभाल की जाने लगी, लेकिन तीन दिन बाद उनकी मौत हो गई। जानकारी के मुताबिक, नारायण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े थे।
सोशल मीडिया पर लोग कर रहे नमन
उनके अलावा भी हजारों लोगों ने ट्विटर पर दाभाडकर को श्रद्धांजलि दी है। सोशल मीडिया पर हजारों लोगों ने नारायण राव को श्रद्धांजलि दी है। भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने भी अपनी फेसबुक पोस्ट में नारायण के इस अद्भुत त्याग का जिक्र करते हुए लिखा, ”जो लोग राष्ट्रीय सेवक संघ की सद्कार्य भावना और संस्कारों को जानते हैं, उन्हें पता है कि ये ऐसा सेवाभावी संगठन है जो अपने प्राण देकर भी सेवा करने से नहीं चूकते।’