Corona Cases In India : दूसरी लहर में कितना खतरनाक हैं कोरोना, जानें इससे जुड़े सवालों का जवाब – Navbharat Times

हाइलाइट्स:

  • देश में कोरोना वायरस के यूके, दक्षिण अफ्रीकी और ब्राजीलियन वेरियंट के केस
  • कई केस में आरटीपीसीआर टेस्ट के बावजूद इस संक्रमण का पता नहीं चल रहा
  • कोवैक्सीन और कोविशील्ड, यूके वेरियंट के कोरोना वायरस के खिलाफ कारगर

नई दिल्ली
देश में कोरोना वायरस को लेकर स्थिति बदतर होती जा रही है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जितने केस अमेरिका और ब्राजील को मिलाकर नहीं आए हैं उससे कहीं ज्यादा केस अकेले भारत में रिपोर्ट किए गए हैं। अमेरिका में कोरोना वायरस के 77,720 नए मामले आए हैं और ब्राजील में 80,157 केस रिपोर्ट हुए हैं। जबकि देश में पिछले 24 घंटे में ही कोरोना वायरस के 1,84,372 नए मामले रिपोर्ट हुए हैं। कोरोना वायरस के स्ट्रेन, डबल म्यूटेंट, कोरोना वैक्सीन के प्रभाव, कोरोना के नए लक्षणों को लेकर लोगों के मन में कई सवाल हैं। जानते हैं कुछ महत्वपूर्ण सवालों के जवाब

  1. भारत में अभी कौन-कौन से स्ट्रेन मिल रहे हैं?
    भारत में कोरोना वायरस के यूके, दक्षिण अफ्रीकी और ब्राजीलियन वेरियंट के केस मिले हैं। यूके और दक्षिण अफ्रीकी स्ट्रेन के अच्छे-खासे सैंपल पाए गए हैं जबकि ब्राजीलियन स्ट्रेन के बहुत कम सैंपल मिले हैं। 11 अप्रैल तक के आंकड़े बताते हैं कि सैंपल की जिनोम सिक्वेंसिंग करते वक्त इन तीनों वेरियंट के देश में 948 केस मिले थे।
  2. कोरोना का नया वेरिएंट कितना खतरनाक है?
    नया वेरियंट कितना खतरनाक है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कई मामलों में आर-टीपीसीआर टेस्ट के बावजूद इस वायरस से संक्रमण का पता नहीं चल रहा है। आपको बता दें कि आरटी-पीसीआर टेस्ट को कोरोना संक्रमण का पता लगाने के लिए मुफीद माना जाता है।
  3. डबल म्यूटेंट क्या है? इसको लेकर बहुत चर्चा क्यों है?
    मार्च के अंत में भारत के नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) ने एक नए वेरिएंट ‘डबल म्यूटेंट’ की जानकारी दी थी। इसे B.1.617 नाम दिया गया है। ये वायरस का वो रूप है, जिसके जीनोम में दो बार बदलाव हो चुका है। वायरस खुद को लंबे समय तक प्रभावी रखने के लिए लगातार अपनी जेनेटिक संरचना में बदलाव लाते रहते हैं ताकि उन्हें खत्म ना किया जा सके।
  4. डबल म्यूटेशन के मामले कहां-कहां मिले हैं?
    महाराष्ट्र, दिल्ली और पंजाब में डबल म्युटेशन के कुछ केस सामने आए हैं। हालांकि, इसके अब तक कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं कि डबल म्यूटेशन ही मौजूदा दौर में कहर बरपा रहा है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के शोधकर्ता यह पता करने में जुटे हैं कि देश में कोविड की ताजा लहर के पीछे डबल म्युटेशन का क्या भूमिका है।
  5. कोरोना संक्रमण के नए लक्षण कौन-कौन से हैं?
    सर गंगाराम अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. अरूप बासु का कहना है कि इस बार नाक बहना, सर्दी-जुकाम और कंजंक्टिवाइटिस के लक्षण भी मरीजों में देखे जा रहे हैं, जो पहले नहीं थे। कई मरीजों को कफ, सांस की कमी वगैरह नहीं हो रही है और फेफड़ों का सिटी स्कैन भी नॉर्मल है, लेकिन 8-9 दिनों तक लगातार बुखार होता है, जिसकी वजह से उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है।
  6. क्या ऐसा हो सकता है कि कोरोना हो गया हो और हमें पता ही ना चले?
    हां, कोरोना की दूसरी लहर में किसी को यह वायरस बुरी तरह संक्रमित कर गया तो किसी को लक्षणों के बाद भी पता नहीं चला कि उन्हें कोरोना कब हो गया। यानि की लोगों को कोरोना तो हुआ, लेकिन उन्हें इस बात की भनक तक नहीं लगी। इन लोगों ने एक या दो दिन तक केवल हल्के सर्दी-जुकाम या बुखार का अनुभव किया और जल्दी ठीक भी हो गए।
  7. क्या कोरोना की एंटीजन और आरटी-पीसीआर रिपोर्ट गलत हो सकती है?
    मैक्स साकेत के इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट के डायरेक्टर डॉ. रोमेल टिक्कू का कहना है कि एंटीजन टेस्ट में रिपोर्ट फॉल्स निगेटिव होने के चांस ज्यादा रहते हैं लेकिन आरटीपीसीआर टेस्ट में ऐसे चांस बेहद कम होते हैं जब रिपोर्ट फॉल्स निगेटिव हो। यदि आप लक्षण दिखने के उसी दिन टेस्ट करवाते हैं तो हो सकता है कि रिपोर्ट निगेटिव आ जाए लेकिन यदि आप लक्षण दिखने के एक या दो दिन बाद टेस्ट करवाते हैं तो रिपोर्ट बिल्कुल सही आएगी।
  8. वैक्सीन लेकर हम हमेशा के लिए कोरोना से सुरक्षित हो जाते हैं?
    नहीं, ऐसा नहीं है। अभी तक के ट्रायल में वैक्सीन के सालभर तक ही कारगर रहने की बात सामने आई है। यानी, अगर आपने कोवैक्सीन या कोविशील्ड की दोनों डोज ली है तो आप सालभर तक कोरोना वायरस से सुरक्षित रहेंगे।
  9. कौन सी वैक्सीन किस स्ट्रेन के खिलाफ कितनी कारगर है?
    भारत सरकार के कुछ सीनियर ऑफिसरों ने दावा किया है कि देश में इस्तेमाल हो रही दोनों कोविड वैक्सीन- कोवैक्सीन और कोविशील्ड, यूके वेरियंट के कोरोना वायरस के खिलाफ कारगर हैं। कोवैक्सीन यूके और ब्राजील, दोनों जगहों के कोरोना वायरस वेरियंट के खिलाफ कारगर है। वहीं, कोविशील्ड यूके वेरियंट के खिलाफ काम करती है। यह ब्राजीलियन वेरियंट के खिलाफ कितना उपयोगी है, इसका एफिकेसी डेटा अभी नहीं आया है।
  10. क्या वैक्सीन लगवाने वालों पर कोरोना ज्यादा अटैक कर रहा है?
    इजरायल के वैज्ञानिकों की स्टडी में दावा किया गया है कि जिन्होंने वैक्सीन की डोज ले ली है, उन्हें कोरोना वायरस के दक्षिण अफ्रीकी वेरियंट से संक्रमण का खतरा उन लोगों के मुकाबले आठ गुना हो सकता है जिन्होंने टीका नहीं लगवाया है। इस दावे ने दुनियाभर में हड़कंप मचा दिया है।


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