कोरोना के बीच हो रहा बिहार चुनाव शायद इतना दिलचस्प नहीं होता, अगर चिराग पासवान एनडीए से अलग नहीं होते। इस दिलचस्पी की सबसे बड़ी वजह ये है कि चिराग सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के खिलाफ लड़ रहे हैं, जबकि भाजपा के खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोलते। चिराग खुद कहते हैं अगर चुनाव नतीजों के बाद भाजपा का मुख्यमंत्री बनता है, तो लोजपा उसे समर्थन देगी। भास्कर डिजिटल टीम ने चिराग से हर उस मुद्दे पर बात की, जो चुनाव के शोर में कहीं गुम हो जा रहे हैं। पढ़ें क्या-कुछ कहा चिराग ने…
भास्करः नीतीश की तीन खामियां बताइए?
चिरागः भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना, अपराध को बढ़ावा देना और सांप्रदायिकता को बढ़ावा देना।
भास्करः तेजस्वी यादव की तीन खूबियां क्या हैं?
चिरागः ईमानदारी से मैंने कभी उस पर वर्क ही नहीं किया। मैं कभी दूसरे के SWOT पर क्या काम करूं? मेरा अपना खुद का समय मैं अपनी स्ट्रेंथ, अपनी वीकनेस, अपनी अपॉर्चुनिटी, अपनी स्ट्रेंथ पर काम करने के लिए करता हूं।
भास्करः यानी तेजस्वी को आप तरजीह नही देते?
चिरागः मैंने कभी रीड ही नहीं किया। मुझे समय ही नहीं मिला कि मैं यह सब देखूं। वैसे भी मेरी लड़ाई मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से है।
भास्करः आप जदयू की गाड़ी रोक आगे बढ़ जाते हैं तो क्या होगा? चुनाव के बाद एक्सक्लूसिव क्या करने वाले हैं?
चिरागः एक्सक्लूसिव नहीं। मुझे लगता है कि ये बिहार की जनता से भी पूछेंगे, सब आपको यही बताएंगे। पहली बात- मुख्यमंत्री 10 नवंबर के बाद फिर से बिहार के कभी मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे और दूसरी बात भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में लोजपा-भाजपा की सरकार बनेगी।
भास्करः भाजपा की सरकार बनेगी?
चिरागः 100%।
भास्करः चुनाव तो साथ में नहीं लड़े?
चिरागः हम लोगों ने मणिपुर में भी चुनाव साथ में नहीं लड़ा था। वहां पर भी आमने-सामने चुनाव लड़ने के बाद, मेरे जीते हुए विधायक ने वहां भाजपा का मुख्यमंत्री बनाने के लिए अपना समर्थन दिया था। बल्कि उन्हीं के समर्थन से भाजपा की सरकार भी बनी थी। एक ही वोट की कमी पड़ रही थी और हमारे समर्थन से वहां सरकार बनी। हमारे मुख्यमंत्री ने गुजरात जाकर कई बार चुनाव लड़ा, जबकि बिहार में भाजपा के साथ गठबंधन था। कोलिशन गवर्नमेंट में कई बार देखते हैं कि केंद्र में अलग और राज्यों में अलग। भले मेरी राह अलग हो, लेकिन आखिर में हमारे तमाम जीते हुए विधायक भाजपा के मुख्यमंत्री के लिए अपना समर्थन देंगे।
भास्करः आपके तो दोनों हाथों में लड्डू है। जदयू कमजोर और भाजपा मजबूत हुई तो आप उनके साथ जा सकते हैं। राजद मजबूत रहा तो उसके साथ भी। मतलब, मौसम वैज्ञानिक का लक्षण आपके अंदर भी है?
चिरागः मौसम वैज्ञानिक का बेटा हूं। साथ ही पापा के ही संस्कार है मुझ में। पापा ने कभी पोस्ट पोल अलायंस नहीं किया। मैं भी पोस्ट पोल अलायंस नहीं करूंगा। मैं आज भी वैचारिक तौर पर पूरी तरीके से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ जुड़ा हुआ हूं। चुनाव नतीजों के बाद मेरे विधायक अगर किसी का समर्थन करेंगे तो वह सिर्फ भाजपा के मुख्यमंत्री का। कोई ऐसी परिस्थिति जहां पर महागठबंधन का मुख्यमंत्री हो तो मेरे विधायकों का ,लोजपा का समर्थन नहीं रहेगा या फिर नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बनेंगे तो भी लोजपा का समर्थन नहीं रहेगा।
भास्करः भाजपा की सरकार बनती है तो मुख्यमंत्री कौन बन सकता है?
चिराग: कोई भी मुख्यमंत्री बने उससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
भास्करः आपकी नजरों में कोई फेवरेट होगा?
चिरागः मेरे विधायकों को जीत कर आने दीजिए। तब ये राय मशवरा हो जाएगा। उनके सुझाव होंगे। लोकतांत्रिक परंपरा मेरी पार्टी में रही है। मुख्यमंत्री की तरह नहीं कि अकेले डिसीजन ले लो। विधायक जो भी सुझाव देंगे वह भाजपा के सामने रखा जाएगा। मिल-बैठकर बातचीत की जाएगी।
भास्करः नित्यानंद राय, सुशील मोदी, मंगल पांडे तमाम ऐसे नाम है जो लगातार चलते रहे हैं?
चिरागः बहुत सारे अच्छे नाम है।
भास्करः आप के प्रत्याशी राजेंद्र सिंह का भी नाम पिछली बार चल रहा था?
चिरागः फिलहाल तो लोजपा में हैं। लोजपा मुख्यमंत्री पद की रेस में अभी नहीं है।
भास्करः नीतीश, तेजस्वी, चिराग, कुशवाहा, पुष्पम और पप्पू…सीएम के लिए 3 श्रेष्ठ नाम बताइए?
चिरागः हा हा हा हा.. जो जो नाम आपने गिनाए हैं ये सारे बवाली नाम हैं। अगर मैं इनमें से किसी का भी नाम लूं, तो आप कहेंगे कि ये पोस्ट पोल एलायंस की तरफ से चर्चा कर रहा है। मैंने कहा भाजपा का जो भी नाम सामने आएगा, जो भाजपा सजेस्ट करेगी, हमारे विधायक सजेस्ट करेंगे, उसमें से डिसाइड कर लेंगे।
भास्करः कहा ये जा रहा है कि चिराग पासवान चुनाव तो इस बार लड़ नहीं रहे हैं, लेकिन तैयारी आपकी आगे की है। 2025 में मुख्यमंत्री की?
चिरागः मेरी अगले 50 साल की तैयारी है। मैंने इस बात को कहा है। मैं अपने चुनाव भाषणों में भी ये बात बोलता हूं। ये आने वाले 18 दिन हमारे 50 साल तय करेंगे। बिहार के लिए भी और मेरे लिए व्यक्तिगत तौर पर भी और मेरी पार्टी के लिए भी। भविष्य को ध्यान में रखकर हर कोई मौजूदा परिस्थिति को देखकर तैयारी करता है और मैं भी तैयारी कर रहा हूं।
भास्करः मुख्यमंत्री को जेल क्यों भेजना चाहते हैं?
चिरागः सात निश्चय में जो भ्रष्टाचार हुआ है उसका जिम्मेदार कौन होगा? अगर मुख्यमंत्री नहीं हुए तो कोई बात नहीं और अगर हुए तो सजा मिलेगी।
भास्करः 23 तारीख को सासाराम में प्रधानमंत्री की सभा हुई, उसमें उन्होंने आपका नाम नहीं लिया। आप लगातार अपने आप को हनुमान कहते हैं और हनुमान के ही पीछे अपनी सेना क्यों छोड़ दी पीएम ने? बिहार भाजपा के तमाम नेता आपके पीछे लगे हुए हैं?
चिरागः कोई फर्क नहीं पड़ता है मुझे। मुझे पता है भले जुबान भाजपा के नेताओं की हो, लेकिन विचार मुख्यमंत्री के हैं। मेरे दिल में किसकी तस्वीर है उस पर तो कोई पाबंदी नहीं लगा सकता। बैनर ,होर्डिंग, पोस्टर, प्रचार में आप ने मना किया, मैंने लगाया भी नहीं था। पता नहीं क्यों मना किया आपने? पर मेरे दिल को कैसे बांधेंगे, उस पर कैसे पाबंदी लगाएंगे। भैया, मेरे दिल में प्रधानमंत्री रहते हैं। मैं भाजपा के साथ जुड़ा हूं। वो भी प्रधानमंत्री की वजह से।
सबसे ज्यादा चिंता मुख्यमंत्री को होगी कि प्रधानमंत्री अपने संबोधन में चिराग के बारे में बोल रहे हैं कि नहीं बोल रहे हैं। लिए बहुत सुखद भावुक करने वाला संदेश था। जब उन्होंने पिताजी का जिक्र किया। उनको श्रद्धांजलि दी और इतने खूबसूरत शब्दों का प्रयोग किया कि पिताजी अपने आखिरी सांस तक उनके साथ थे।
मैं उतनी ही ईमानदारी से इस बात को भी कहता हूं कि मेरे प्रधानमंत्री आखिरी सांस तक मेरे पापा के साथ थे। कोई दिन ऐसा नहीं था जब पापा आईसीयू में एडमिट थे उस दिन से आखरी दिन तक रोज प्रधानमंत्री दो बार मुझे फोन करके ना सिर्फ पापा का हाल-चाल पूछते थे बल्कि डॉक्टर क्या सजेस्ट कर रहे हैं, ये भी बात मुझे बताते थे। जब प्रधानमंत्री पापा के साथ आखिरी सांस तक खड़े रहे, तो मैं बता देता हूं कि मैं भी आखिरी सांस तक प्रधानमंत्री के साथ खड़ा रहूंगा।
भास्करः कंगना रनोट के हीरो रहे है। सुशांत सिंह राजपूत को लेकर वो मुखर हो कर बोलीं, लेकिन आजकल उनपर केस होते जा रहे हैं, कंगना की मदद कैसे करेंगे?
चिरागः मुझे नहीं लगता है कि कंगना को किसी मदद की जरूरत है। मैं व्यक्तिगत तौर पर उन्हें जानता हूं। फिल्म हम लोगों ने साथ में की है। कंगना खुद फाइटर हैं। हिमाचल के गांव से उठकर लीडिंग एक्ट्रेस में उन्होंने अपने आप को शामिल किया। मुझे लगता है कि अपने में वो एक रोल मॉडल हैं। कंगना जिस मुखरता से, जिस निडरता से अपनी बातों को रखती हैं, बिना डरे, बिना घबराए, मुझे लगता है कि लोगों को उनसे सीख लेनी चाहिए। वो अकेले शेरनी की तरह लड़ती रही हैं और लड़ती रहेंगी।
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Source: DainikBhaskar.com