अमेरिकी चुनाव: अगर ट्रंप हारे तो उनके साथ दुनिया के कई और नेताओं की होगी शिकस्त – News18 इंडिया

चुनाव प्रचार अभियान के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप. (AP Image)

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट (Bloomberg Report) का कहना है कि अगर ट्रंप (Donald Trump) की चुनावी शिकस्त होगी तो वो अकेले नहीं हारेंगे बल्कि वैश्विक स्तर पर कई नेताओं की हार होगी. जानिए कौन हैं वो नेता…

  • News18Hindi
  • Last Updated:
    October 22, 2020, 6:42 AM IST
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न्यूयॉर्क. अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव (America Presidential Election 2020) नवंबर महीने में होने हैं और इस वक्त चुनाव प्रचार अपने चरम पर है. एक तरफ रिपब्लिकन उम्मीदवार के तौर पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) हैं तो दूसरी तरफ डेमोक्रेट के जो बाइडन (Joe Biden). इस बीच कई सर्वेक्षणों में डोनाल्ड ट्रंप की हार को लेकर भविष्यवाणी की जा चुकी है. लेकिन ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट का कहना है कि अगर ट्रंप की चुनावी शिकस्त होगी तो वो अकेले नहीं हारेंगे बल्कि वैश्विक स्तर पर कई नेताओं की हार होगी.

इन नेताओं का है जिक्र
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में जिन नेताओं का जिक्र है उनमें किम जॉन्ग उन, व्लादिमिर पुतिन, शी जिनपिंग, रजप्प तैयब एर्दोआन, मोहम्मद बिन सलमान, बेंजामिन नेतान्याहू का जिक्र है. रिपोर्ट में डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बाइडन के उस बयान का जिक्र है जिसमें उन्होंने कहा है-इस राष्ट्रपति (डोनाल्ड ट्रंप) ने दुनिया के सभी ठगों को गले लगाया है.

अमेरिकी वर्चस्व की रणनीति कायम नहीं रख पाए ट्रंपब्लूमबर्ग ने कहा है कि डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पद पर रहते हुए अमेरिका की वर्चस्व बनाए रखने की पारंपरिक रणनीति को बिल्कुल तोड़ कर रख दिया. उत्तर कोरिया के सनकी तानाशाह किम जॉन्ग उन के साथ उनकी तीन बार मुलाकात हुई और कई खत आपस में लिखे गए. लेकिन अमेरिका इससे कुछ हासिल नहीं कर सका. इससे पहले तक अमेरिका किम जॉन्ग उन के खिलाफ हमेशा एक कठोर स्टैंड लेता आया था.

चीन को पहुंचाया जा सकता था ज्यादा नुकसान
इसी तरह व्लादिमिर पुतिन और डोनाल्ड ट्रंप के बीच संबंधों का जिक्र करते हुए 2016 के राष्ट्रपति चुनावों में मिलीभगत की चर्चा की गई है. साथ ही एक्सपर्ट्स के हवाले से बताया गया है कि कैसे डोनाल्ड ट्रंप चीन के खिलाफ भले कठोर ज्यादा दिखे लेकिन नुकसान कम किया. इसके बजाए कोई अन्य राष्ट्रपति चीन के तानाशाही रवैये के खिलाफ अमेरिका की पारंपरिक रणनीति अपनाकर वैश्विक राजनीति में ज्यादा दखल कायम कर सकता था. वहीं इजरायल में भी बड़ी संख्या में लोगों का मानना है कि जो बाइडन के अमेरिकी राष्ट्रपति रहते उनकी सुरक्षा ज्यादा बेहतर रहेगी.

सऊदी और तुर्की को कैसे मिला फायदा
वहीं सऊदी अरब को ट्रंप ने अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए चुना था. इस यात्रा में सऊदी अरब को कई फायदे हुए थे और सबसे बड़ा फायदा था अमेरिका का ईरान के साथ न्यूक्लियर डील तोड़ना. इससे सऊदी अरब को अपने नैतिक दुश्मन ईरान पर बढ़त मिली थी. इसके अलावा तुर्की के राष्ट्रपति आर्दोआन को भी रूस मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने की छूट देने में ट्रंप का बड़ा हाथ था.

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