पाकिस्तान का कहना है कि इस्लामाबाद स्थित दूतावास के संख्याबल के आधे होने के बाद खोबरागड़े वहां भारतीय मिशन का नेतृत्व करने के लिए काफी सीनियर हैं।
भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय संबंधों का खराब होना जारी है। ताजा मामला राजनयिक की पोस्टिंग से जुड़ा है, जिस पर पाकिस्तान ने ऐतराज जता दिया है। दरअसल, भारत ने इस्लामाबाद में अपने दूतावास में काम देखने के लिए राजनयिक जयंत खोबरागड़े की नियुक्ति की थी। हालांकि, पाकिस्तान ने राजनयिक को वीजा ही नहीं जारी किया।
बता दें कि भारत ने जून में ही खोबरागड़े का नाम इस पद के लिए प्रस्तावित किया था। हालांकि, पाकिस्तानी जासूसों के पकड़े जाने के बाद भारत ने जून में ही राजनयिक संबंधों को कम करने का ऐलान करते हुए पाकिस्तानी दूतावास के संख्याबल को 50 फीसदी घटाने के निर्देश दे दिए थे। बदले में विदेश मंत्रालय ने इस्लामाबाद के दूतावास से भी आधे राजनयिकों को वापस बुला लिया था।
सरकार का मानना है कि पाकिस्तान खोबरागड़े को वीजा न देकर भारत के जून के फैसले का विरोध जता रहा है। साथ ही इसे पाकिस्तान की अलग-अलग अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर मुद्दे को ठीक से न उठा पाने के अवसाद के तौर पर भी देखा जा रहा है।
वीजा न देने के पीछे क्या है पाकिस्तान का तर्क?: पाकिस्तान ने राजनयिक खोबरागड़े का वीजा रद्द करने के पीछे उनकी वरिष्ठता को वजह बताया है। पाक का कहना है कि इस्लामाबाद स्थित दूतावास के संख्याबल के आधे होने के बाद खोबरागड़े वहां भारतीय मिशन का नेतृत्व करने के लिए काफी सीनियर हैं, वह भी ऐसे समय में जब दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय बातचीत न के बराबर है।
भारत कर सकता है जवाबी कार्रवाई: भारत का कहना है कि उसके राजनयिक की नियुक्ति में पाकिस्तान की कोई भूमिका नहीं हो सकती। माना जा रहा है कि आने वाले समय में भारत भी राजनयिक की नियुक्ति में इसी तरह की कार्रवाई कर सकता है। हालांकि, दो देशों के बीच इस स्तर पर किसी राजनयिक की नियुक्ति रोकने के मामले आम नहीं हैं।
कश्मीर मुद्दे को उठाने में नहीं मिल रही पाक को सफलता, यही खीझ की वजह: गौरतलब है कि भारत ने पिछले साल 5 सितंबर को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को रद्द कर दिया था और राज्य को केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था। इसके बाद से ही पाकिस्तान भारत के इस कदम से झुंझलाया है। इमरान सरकार अब तक कई मंचों पर कश्मीर मुद्दे को उठा चुकी है। हालांकि, उसे कहीं भी इस मामले में सफलता नहीं मिली है। इस बीच माना जा रहा है पाक पीएम इमरान खान इस साल संयुक्त राष्ट्र महासभा में 25 सितंबर को अपने संबोधन में फिर कश्मीर का जिक्र करेंगे।
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