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सार
वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल, पी चिदंबरम, शशि थरूर, केसी वेणुगोपाल लगातार पार्टी हित में बैटिंग कर रहे थे। युवा नेताओं में अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देव, मिलिंद देवड़ा समेत अन्य सचिन को लेकर चिंतित रहे…
विस्तार
सही समय का इंतजार किया और पायलट से मुलाकात के बाद मामले को पटरी पर लाने की भरोसा पैदा कर दिया। कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी इसे गहराई से समझा। पार्टी के भीतर जटिल मसले को सुलझाने का श्रेय एक बार फिर प्रियंका गांधी वाड्रा को दिया जा रहा है।
सचिन पायलट के करीबी, अजमेर के युवा नेता का कहना है कि इस तरह के प्रयास पहले हुए होते, तो बात यहां तक नहीं पहुंचती। शायद नियति को यही मंजूर था। अच्छी बात है कि प्रियंका गांधी वाड्रा और सचिन पायलट की सूझबूझ से न केवल कांग्रेस का काला घोड़ा, बल्कि अस्तबल भी बच गया। झुंझुनू के एक नेता का भी मानना है कि कुछ दिन गतिरोध जरूर रहा, लेकिन परिणाम अच्छा आने की उम्मीद बंध गई। भरतपुर के एक युवा कांग्रेसी को अब सबकुछ ठीक हो जाने की उम्मीद है।
अशोक गहलोत ने तो कोई कसर नहीं छोड़ी
बताते हैं अहमद पटेल सब कुछ समझ रहे थे। उन्होंने राजस्थान सरकार के सामने आने वाली दुश्वारियों का भी अंदाजा हो रहा था। इसलिए उन्होंने पायलट के प्रति एक सॉफ्ट कॉर्नर बनाए रखा। कांग्रेस के कई और वरिष्ठ नेता भी सचिन पायलट की क्षमता, चेहरा और पार्टी को राजस्थान में उनकी जरूरत को ध्यान में रखकर अपना काम कर रहे थे।
वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल, पी चिदंबरम, शशि थरूर, केसी वेणुगोपाल लगातार पार्टी हित में बैटिंग कर रहे थे। युवा नेताओं में अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देव, मिलिंद देवड़ा समेत अन्य सचिन को लेकर चिंतित रहे।
पार्टी छोड़ना पायलट की फिर मजबूरी बन जाती
यदि राजस्थान विधानसभा का सत्र जुलाई के तीसरे सप्ताह के आसपास बुलाया जाता, तो अब तक सचिन पायलट के पास पार्टी छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता। हालांकि पायलट खेमे के एक नेता का कहना है कि सचिन और उन सभी का इरादा अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री पद से हटाना है। वहीं अशोक गहलोत पायलट के साथ अपने झगड़े को कांग्रेस पार्टी के साथ मतभेद और बगावत साबित करने में लगे थे।
वहीं अब यह सब बातें रखी जाएंगी और देखना होगा कि पार्टी हम सभी के आत्मसम्मान की रक्षा कैसे करती है। कर्नाटक के कांग्रेस के एक बड़े नेता पहले दिल्ली में सक्रिय थे। इस समय राज्य को समय दे रहे हैं। उनका भी मानना है कि शुरुआत में मामले का समाधान करने में कुछ चूक हुई, लेकिन यह सही है कि कुछ काम समय पर हो पाते हैं। अब उन्हें उम्मीद है कि कांग्रेस अध्यक्ष के मोर्चा संभालने के बाद सबकुछ ठीक हो जाएगा।