गौतम अडानी ने नहले पर चला दहला, क्या चमक बरकरार रहेगी? – NBT नवभारत टाइम्स (Navbharat Times)

गौतम अडानी (Gautam Adani) ने चौंका दिया है। उन्होंने अडानी एंटरप्राइजेज के का फॉलो ऑन पब्लिक ऑफर (Adani Enterprieses FPO) वापस लेने का फैसला किया है। 20,000 करोड़ रुपए का FPO पूरी तरह सब्सक्राइब होने के कुछ घंटों बाद ही अडानी का ये फैसला हैरान करने वाला है। पिछले कुछ वर्षों में अडानी की ग्रोथ स्टोरी दरअसल सबको चौंकाती रही है। वो चौंकाने वाले फैसले लेते रहे हैं। रिटेल से लेकर पोर्ट, एयरपोर्ट, पॉवर जैसे इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में जबर्दस्त विस्तार के कारण अडानी लगातार मुकेश अंबानी को पीछे छोड़ते आए हैं। अब तो डिफेंस, कम्युनिकेशंस और मीडिया में भी धमक है। धनकुबेरों की लिस्ट में शीर्ष पर काबिज रहे गौतम अडानी हिंडनबर्ग रिपोर्ट से पहले भी विवादों में रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया में कोल माइन लेने के फैसले पर दुनिया भर में उनके खिलाफ प्रदर्शन हुए। इस बार हिंडनबर्ग (Hindenburg report on adani) ने 218 अरब डॉलर के अडानी समूह पर स्टॉक मैनुपुलेशन और अकाउंटिंग फ्रॉड का आरोप लगाकर हलचल मचा दी है।

रिपोर्ट के सामने आते ही तीन दिनों के भीतर अडानी समूह के शेयर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में बुरी तरह टूट गए। अडानी के मार्केट कैप में लगभग 5.5 लाख करोड़ रुपए स्वाहा हो गए। शेयरों में 30 परसेंट तक की गिरावट आ गई। फ्लैगशिप कंपनी अडानी इंटरप्राइजेज का शेयर (Adani Enterprises Share) 25 जनवरी को 3400 रुपए पर था और ये एक फरवरी को 2000 रुपए के आस-पास आ गया। जबकि शेयर बाजार में सितारे की तरह आए एफपीओ का प्राइस बैंड 3112 रुपए से 3276 रुपए रखा गया था। इसी बीच एक फरवरी को एक और बुरी खबर सामने आई। क्रेडिट सुईस ने अडानी ग्रुप के बॉंड्स को मार्जिन लोन देने पर रोक लगा दी।

AEL FPO को लोगों ने नकारा

फिर क्या था। झंझावात से जूझ रहे गौतम अडानी ने आलोचकों के मुंह पर ताला लगाने का फैसला लिया। हिंडनबर्ग को भेजा 413 पन्नों का जवाब माकूल साबित नहीं हुआ। इसलिए अडानी ने मार्केट से एफपीओ ही वापस लेने का फैसला कर लिया। गौतम अडानी ने उन निवेशकों को शुक्रिया कहा है जिन्होंने कंपनी में भरोसा जताते हुए एफपीओ में पैसा लगाया। लेकिन सच्चाई ये है कि भारत का सबसे बड़ा एफपीओ सिर्फ 112 परसेंट सब्सक्राइब हुआ। वो भीअबू धाबी वाली एक कंपनी के सहयोग से। रिटेल मतलब हमारे आपके जैसे खुदरा निवेशकों ने इससे तौबा ही किया। रिटेल कैटेगरी में सिर्फ 12 परसेंट कोटा ही सब्सक्राइब हुआ है। मतलब साफ है कि शेयरधारकों का मजबूत आधार बनाने की मुहिम फेल हो गई।

सच्चाई ये है कि भारत का सबसे बड़ा एफपीओ सिर्फ 112 परसेंट सब्सक्राइब हुआ। वो भीअबू धाबी वाली एक कंपनी के सहयोग से। रिटेल मतलब हमारे आपके जैसे खुदरा निवेशकों ने इससे तौबा ही किया। रिटेल कैटेगरी में सिर्फ 12 परसेंट कोटा ही सब्सक्राइब हुआ है। मतलब साफ है कि शेयरधारकों का मजबूत आधार बनाने की मुहिम फेल हो गई।
आलोक कुमार

इसीलिए अडानी ने एफपीओ वापस लेने का फैसला कर माकूल जवाब देने की कोशिश की है। कंपनी ने कहा है कि उसकी जो भी जरूरत है वो मौजूदा पैसे से पूरी हो जाएगी। निवेशकों का भरोसा सबसे अहम है। हाल के हफ्तों में कंपनी के शेयरों में काफी उठापटक हुई है। ऐसे में हम सभी सब्सक्राइबर्स का पैसा लौटा देंगे। अब आप ये समझिए की आखिर एफपीओ जारी ही क्यों हुआ था। कोई भी कंपनी अपने भविष्य के विस्तार के लिए या कर्जा चुकाने के लिए एफपीओ लाती है। ये एक मौका होता है कि मौजूदा शेयरधारकों के लिए भी। उस कंपनी से निकलने का। वो चाहें तो एफपीओ के रेट पर अपना शेयर बेच भी सकते हैं क्योंकि मार्केट का रेट भी उसके आस-पास आ जाता है। पर ऐसा हुआ नहीं। एफपीओ के दौरान कंपनी के रिटेल शेयर का भाव रसातल में चला गया है। अडानी ने चौंकाने वाला फैसला कर इसे गिरावट को रोकने की कोशिश की है। अब उनके शेयरधारक इस पर कितना भरोसा करते हैं ये बाजार तय करेगा।

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