‘खड़गे कांग्रेस के टॉप 3 नेताओं में, लेकिन नहीं ला सकते बदलाव’, अध्यक्ष चुनाव से पहले शशि थरूर की चुनौती – Aaj Tak

कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में अब पार्टी सांसद शशि थरूर और वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच सीधी लड़ाई है. नामांकन वापस लेने की तारीख 8 अक्टूबर है, जिसके बाद स्थिति और भी साफ हो सकेगी. हालांकि थरूर स्पष्ट कर चुके हैं कि वह चुनाव से पीछे नहीं हटेंगे, क्योंकि वह उन लोगों के साथ विश्वासघात नहीं करेंगे जो उनका समर्थन करते हैं. इस बीच थरूर ने खड़गे पर तंज कसते हुए कहा है कि उनके जैसे नेता कांग्रेस में बदलाव नहीं ला सकते.

न्यूज एजेंसी के मुताबिक नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान शशि थरूर ने कहा कि हम दुश्मन नहीं हैं, यह युद्ध नहीं है. यह हमारी पार्टी के भविष्य का चुनाव है. खड़गे जी कांग्रेस पार्टी के टॉप 3 नेताओं में आते हैं. उनके जैसे नेता बदलाव नहीं ला सकते और मौजूदा व्यवस्था को ही जारी रखेंगे. पार्टी कार्यकर्ताओं की उम्मीद के मुताबिक बदलाव मैं लाऊंगा.

हमारे पास पार्टी के कार्यकर्ताओं का समर्थन: थरूर 

नागपुर में पत्रकारों से बात करते हुए तिरुवनंतपुरम के सांसद ने यह भी कहा कि ‘बड़े’ नेता स्वाभाविक रूप से अन्य ‘बड़े’ नेताओं के साथ खड़े होते हैं, लेकिन उन्हें राज्यों के पार्टी कार्यकर्ताओं का समर्थन प्राप्त है. उन्होंने जोर देकर कहा, हम बड़े नेताओं को सम्मान देते हैं, लेकिन यह पार्टी में युवाओं को सुनने का समय है. हम पार्टी के संगठनात्मक ढांचे को बदलने के लिए काम करेंगे और पार्टी कार्यकर्ताओं को यह महत्व दिया जाना चाहिए. दरअसल, शशि थरूर जी-23 ग्रुप का भी हिस्सा थे, जिसने साल 2020 में पार्टी में संगठनात्मक बदलाव और चुनाव की मांग की थी.

‘कोई गांधी परिवार को गुडबाय नहीं कह सकता’

बता दें कि शनिवार को पार्टी अध्यक्ष के चुनाव के बाद गांधी परिवार की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर शशि थरूर कहा था, “गांधी परिवार और कांग्रेस का डीएनए एक ही है… गांधी परिवार को ‘गुडबाय’ कहने के लिए कोई (पार्टी) अध्यक्ष इतना मूर्ख नहीं है. वे हमारे लिए बहुत बड़ी संपत्ति हैं…” 

उसूलों और आइडियोलॉजी के लिए बचपन से लड़ता रहा हूं- खड़गे

उधर, रविवार को ही प्रेस कांफ्रेंस करते हुए मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि ‘एक व्यक्ति, एक पद’ के फॉर्मूला के तहत मैंने राज्यसभा में नेता विपक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया है. आपको मेरे 50 साल के राजनीतिक जीवन के बारे में पता है. मैं अब तक उसूलों और आइडियोलॉजी के लिए बचपन से लड़ता रहा हूं. बचपन से ही मेरे जीवन में संघर्ष रहा है. सालों तक मंत्री रहा और विपक्ष का नेता भी बना. सदन में बीजेपी और संघ की विचारधारा के खिलाफ लड़ता रहा. मैं फिर लड़ना चाहता हूं और लड़कर उसूलों को आगे ले जाने की कोशिश करूंगा.

1939 में पहली बार हुआ था अध्यक्ष पद के लिए चुनाव 

-रिकॉर्ड से पता चलता है कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए पहला सीरियस कंटेस्ट 1939 में सुभाष चंद्र बोस और पट्टाभि सीतारामय्या के बीच हुआ था. बाद में गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने समर्थन दिया, लेकिन बोस जीत गए. 

– 1950 में फिर से इस पद के लिए चुनाव नासिक अधिवेशन से पहले जेबी कृपलानी और पुरुषोत्तम दास टंडन के बीच लड़ा गया था. टंडन विजयी रहे लेकिन बाद में उन्होंने तत्कालीन पीएम जवाहरलाल नेहरू के साथ मतभेदों के बाद इस्तीफा दे दिया. 

-नेहरू ने 1951 और 1955 के बीच पार्टी प्रमुख और पीएम के दो पदों पर कार्य किया. नेहरू ने 1955 में कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ दिया और यूएन ढेबर उनके उत्तराधिकारी बने. 

-1947 और 1964 के बीच और फिर 1971 से 1977 तक ज्यादातर पार्टी अध्यक्ष प्रधानमंत्री के उम्मीदवार थे. 1997 में सीताराम केसरी ने प्रतिद्वंद्वियों शरद पवार और राजेश पायलट को हराकर कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव जीता. 

-बाद में केसरी को मार्च 1998 में CWC के प्रस्ताव के जरिए कुर्सी से हटा दिया गया और एक साल पहले ही AICC की प्राथमिक सदस्य बनी सोनिया गांधी को पद संभालने का ऑफर किया गया. सोनिया 6 अप्रैल 1998 को औपचारिक रूप से अध्यक्ष चुनी गईं. 

-बाद में 2017-2019 में एक ब्रेक लिया. सोनिया सबसे लंबे समय तक सेवा देने वालीं पार्टी नेता हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद राहुल गांधी ने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था.

Related posts