मेक इन इंडिया का जलवा
100 और 155 एमएम/52 कैलिबर वज्र के लिए नया ऑर्डर दक्षिण कोरियाई गन के लिए दिया जाएगा, जिसे गुजरात में L&T के फसिलिटी में स्वदेशी तरीके से बनाया जा रहा है। 2017 में L&T को ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत 100 के9 वज्र बनाने के लिए 4500 करोड़ का कांट्रैक्ट मिला था। इसके लिए दक्षिण कोरियाई कंपनी Hanwha Corporation के साथ तकनीकी ट्रांसफर के लिए भी हस्ताक्षर हुए थे।
रेगिस्तान के लिए खरीदा गया था वज्र
एल एंड टी का कहना है कि उसने कार्यक्रम की शुरुआत से ही स्वदेशी तकनीक पर जोर दिया है और कोरियाई ‘K9 थंडर’ में 14 महत्वपूर्ण सिस्टम की जगह स्वदेश में विकसित और तैयार की गई प्रणाली का इस्तेमाल किया गया है। एल एंड टी समय से पहले इसकी डिलिवरी भी कर चुकी है। रिपोर्ट में एक सूत्र के हवाले से बताया गया है, ‘रक्षा मंत्रालय से 100 और वज्र ऑर्डर करने के लिए क्लियरेंस मिल गया है। जल्द ही प्रस्ताव के लिए अनुरोध (RFP) एल एंड टी को जारी किया जाएगा, जिसके बाद खर्च पर बात होगी। हम पूरी प्रक्रिया तेज करेंगे।’ शुरुआत में इस तोप को रेगिस्तानी इलाके के लिए खरीदा गया था लेकिन बाद में इसकी उपयोगिता को देखते हुए संख्या बढ़ाने का फैसला हो रहा है।
गलवान के बाद बदली रणनीति
मई 2020 में बॉर्डर पर चीन के सैनिकों से झड़प के बाद सेना ने पूर्वी लद्दाख में भी इस तोप की तैनाती की है। महत्वपूर्ण बात यह है कि इन्हें कुछ इस तरह से लैस किया गया है कि ये शून्य तापमान में भी पूरी मुस्तैदी से लोहा ले सकती हैं जबकि इन्हें रेगिस्तान के लिए डिजाइन किया गया था। इस गन ने अपनी क्षमता का बेहरीन प्रदर्शन किया और सेना ने पूर्वी लद्दाख में 20 गन के साथ पूरी एक रेजिमेंट तैनात की। एक अन्य सूत्र ने बताया है कि पहले से मौजूद 100 वज्र के लिए विंटर के हिसाब से किट खरीदे जा चुके हैं। जो नई तोप खरीदी जाएगी उसे भी पहाड़ी इलाकों में तैनात किया जाएगा और उनके साथ विंटर किट भी आएगी। दरअसल, विंटर किट के तहत स्पेशल तेल, ल्यूब्रिकेंट, हीटिंग सिस्टम समेत कुल नौ चीजें शामिल होती हैं।
सेना ने 2017 में ऑर्डर देने से पहले वज्र का ट्रायल रेगिस्तान में किया था। लेकिन जब लद्दाख में तनाव बढ़ा तो सेना ने अपनी रणनीति बदली। पहले तोप को लद्दाख में ट्रायल के लिए तैनात किया गया और यह टेस्ट में उम्मीदों से भी बेहतर निकली। एक अन्य सूत्र ने कहा कि इसके बाद ज्यादा संख्या में तैनाती की गई। उन्होंने कहा कि कुल 200 और के9 वज्र खरीदने की तैयारी है लेकिन पहला ऑर्डर अभी 100 तोप का ही होगा।
अमेरिकी होवित्जर भी हैं तैयार
सेना पहले ही 145 M777 हल्के होवित्जर अमेरिका से खरीद चुकी है। इसे विशेष रूप से पहाड़ी इलाकों के लिए ही खरीदा गया है। ये तोप इतनी हल्की होती है कि चिनूक हेलिकॉप्टर से भी ले जाया जा सकता है और आसानी से एक घाटी से दूसरी घाटी में पहुंचाया जा सकता है।