क्या बैन हो जाएगा PFI? जानें किसी संगठन पर कैसे लगता है प्रतिबंध – Aaj Tak

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी PFI को प्रतिबंधित करने की तैयारी शुरू हो गई है. बीते हफ्ते नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने PFI और उससे जुड़े लोगों के ठिकानों पर छापेमारी की थी. ये छापेमारी देश के 15 राज्यों में हुई थी. इस दौरान 106 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था. अकेले NIA ने ही 45 लोगों को गिरफ्तार किया था.

PFI के खिलाफ ये अब तक का सबसे बड़ा एक्शन था. इसमें NIA के अलावा प्रवर्तन निदेशालय (ED) और राज्यों की पुलिस भी शामिल थी. ये पूरी कार्रवाई टेरर फंडिंग, ट्रेनिंग कैम्प और संगठन में शामिल करने के लिए लोगों को उकसाने वाले लोगों के यहां छापेमारी की गई थी.

छापेमारी के दौरान जांच एजेंसियों को कई सारे आपत्तिजनक दस्तावेज और धारदार हथियार जब्त किए गए थे. साथ ही बड़ी संख्या में डिजिटल डिवाइस भी बरामद की गई. इस पूरे ऑपरेशन के बाद अब केंद्रीय गृह मंत्रालय PFI पर बैन लगाने की तैयारी कर रहा है. 

प्रतिबंध मतलब क्या?

अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेन्शन एक्ट (UAPA) के तहत केंद्र सरकार किसी संगठन को ‘गैरकानूनी’ या ‘आतंकवादी’ घोषित कर सकती है. इसे ही आम बोलचाल की भाषा में ‘प्रतिबंध’ कहा जाता है. 

अगर किसी संगठन को ‘गैरकानूनी’ या ‘आतंकवादी’ घोषित कर दिया जाता है या उस पर ‘प्रतिबंध’ लगा दिया जाता है, तो उसके सदस्यों का अपराधीकरण हो सकता है और उसकी संपत्ति भी जब्त हो सकती है.

गृह मंत्रालय के मुताबिक, इस समय देश में 42 संगठनों को आतंकी संगठन घोषित किया गया है यानी उन पर प्रतिबंध लगाया गया है. इनमें कई खालिस्तानी संगठन, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, लिट्टे और अलकायदा जैसे 42 संगठन शामिल हैं.

किसी संगठन को ‘आतंकी’ कब माना जाए?

UAPA की धारा 35 केंद्र सरकार को किसी संगठन को आतंकी संगठन घोषित करने का अधिकार देती है. लेकिन किसी संगठन को तभी आतंकी संगठन माना जाएगा, जब केंद्र को लगेगा कि वो आतंकी गतिविधि शामिल है. किसी संगठन को तभी आतंकी संगठन घोषित किया जाएगा जब वो-

– आतंकी गतिविधि में शामिल हो या अंजाम दिया हो.
– किसी आतंकी घटना की साजिश रच रहा हो.
– आतंक को बढ़ावा दे रहा हो.
– या फिर किसी भी तरह से आतंकवादी गतिविधि में शामिल हो.

ऐसा होने पर संगठन पर क्या असर पड़ता है?

अगर किसी संगठन को ‘प्रतिबंधित’ कर दिया जाता है या फिर उसे ‘आतंकी संगठन’ घोषित कर दिया जाता है, तो उसकी फंडिंग और उससे जुड़े लोग अपराधी बन जाते हैं.

UAPA की धारा 38 के तहत, ऐसा व्यक्ति जो किसी आतंकी संगठन से जुड़ा है, उसे एक से 10 साल की कैद या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है.

हालांकि, इससे उन लोगों को छूट दी गई है, जिन्होंने आतंकी संगठन घोषित होने से पहले ही संगठन छोड़ दिया था या फिर किसी गतिविधि में शामिल नहीं थे. 

इसी तरह आतंकी संगठन की मदद करने वाले को 10 साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है. वहीं, अगर कोई ऐसे संगठनों को फंडिंग करता है तो 14 साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है.

इसके अलावा, UAPA की धारा 20 कहती है कि अगर कोई व्यक्ति किसी आतंकी गिरोह या आतंकी संगठन का सदस्य है, तो उसे उम्रकैद और जुर्माने की सजा हो सकती है.

 

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