मोहन भागवत क्यों मिले इमाम एसोसिएशन से, क्यों गए मदरसा- क्या है राज? Inside Story – TV9 Bharatvarsh

बातचीत के दौरान मदरसे में इमाम उमेर ने कहा कि अब हम मॉडर्न शिक्षा की तरफ बढ़ रहें हैं और उन्होंने संघ प्रमुख को आश्वासन दिया की वो वहां संस्कृत और हिंदी पढ़ाएंगे.

संघ प्रमुख मोहन भागवत

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देश की मौजूदा स्थिति की नब्ज टटोलने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) इन दिनों गैर हिंदू समुदाय के साथ बैठक कर रहा है. इसी कड़ी में आज आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के प्रमुख इमाम उमेर अहमद इलियासी के घर पर उनसे मुलाकात की. इसके बाद उन्होंने बाड़ा हिंदू राव के उनके एक मदरसे में बच्चों और वहां तालीम देने वाले मौलवियों से बात की. सरसंघचालक मोहन भागवत के साथ इस बैठक में रहे वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेस कुमार ने बताया की बातचीत का ये सिलसिला पूर्व सरसंघचालक सुदर्शन जी के समय शुरू हो गया था. उस वक्त मुस्लिम पक्ष से उत्सुकता तो दिखाई जाती थी, मगर अमल उतना नहीं होता था.

इलियासी साहब के घर पर चर्चा हुई कि मदरसों की पढ़ाई में विदेशी या भारतीय भाषा ही क्यों? मदरसों की पढ़ाई में गीता क्यों नही? बाद में हम सभी इलियासी साहब के साथ उनके मदरसे में भी गए. वहां मोहन भागवत जी ने बच्चों से कई प्रश्न पूछा जैसे.. अपने देश का नाम क्या है? संघ प्रमुख ने पूछा कि भारत के चारों ओर कौन-कौन से देश हैं? संघ प्रमुख ने बच्चों को देश के सभी राज्य और भाषा के बारे में भी बताया. उन्होंने कहा कि देश को जानना और मानना चाहिए.

सरसंघचालक ने मदरसे के बच्चों से पूछा पढ़ाई करोगे तो क्या बनोगे? इसके जवाब में बच्चे ने कहा टीचर और डॉक्टर. इस पर संघ प्रमुख ने कहा कि मदरसे में सिर्फ धार्मिक पढ़ाई से और बिना साइंटिफिक पढ़ाई किए डॉक्टर कैसे बनेंगे? संघ प्रमुख ने बच्चों से कहा सदा नेक काम करना चाहिए, जिससे सबकी भलाई हो. उन्होंने कहा की दूसरो की भलाई करना ही जन्नत जाने के समान हैं. सरसंघचालक भागवत ने मदरसे के बच्चों से पूछा की महिला को किस रूप में देखना चाहिए! फिर उन्होंने उनको बताया की नारी को सदा इज़्ज़त से देखना चाहिए और नारी का सम्मान करना चाहिए. मोहन भागवत ने बच्चों से कहा की – दूसरो के पैसे को मिट्टी के समान मानना चाहिए.

बातचीत के दौरान मदरसे में इमाम उमेर ने कहा कि अब हम मॉडर्न शिक्षा की तरफ बढ़ रहें हैं और उन्होंने संघ प्रमुख को आश्वासन दिया की वो वहां संस्कृत और हिंदी पढ़ाएंगे. इसके साथ ही गीता की भी शिक्षा देंगे. क्योंकि उन्होंने कहा की हिंदी ही सबको जोड़ने वाली भाषा है, जबकि संस्कृत सबसे समृद्धशाली भाषा है. गीता हमें जीवन के बेहतरीन बनाने का ज्ञान देता है, लिहाजा उनसभी को कैरिकुलम में लाएंगे.

इंद्रेश कुमार ने बताया क्यों पड़ी बातचीत की जरूरत

इंद्रेश कुमार ने बताया अब समय आ गया है इसलिए अब बातचीत करने का फैसला लिया गया क्योंकि मौजूदा सरसंघचालक मोहन भागवत के नाम विभिन्न धर्मों के हजारों लोगों के पत्र मिले, जिन्होंने मिलने और बातचीत की बात कही. उन्होंने कहा की समाज के अल्पसंख्यकों पर किसी तरह की गलतफहमी का असर न हो और जो एक दुष्प्रचार किया गया था उसको खत्म करने की पहल शुरू हुई है. इंद्रेश कुमार ने कहा की राजनीतिक कारणों से अब तक देश के अल्पसंख्यकों को तालीम और तरक्की के बजाय उनको मुख्य धारा से अलग करने की कोशिश होते रही है. इसलिए अब बातचीत जरूरी है. इंद्रेश कुमार ने बताया की अल्पसंख्यक समुदाय से भागवत ने पहले भी बातचीत की है. 24 जून से शुरू हुई बातचीत का चौथा दौर चल रहा है. चौथी बार हम डायलॉग कर रहे हैं.

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हमारी जड़े और डीएनए एक है : मोहन भागवत

मुंबई और गाजियाबाद में हुई बैठकों में उन्होंने बताया की हमारी जड़े और डीएनए एक है, हम सभी भारत माता की ही संतान हैं और हमारी कोई भी जड़ें विदेश में नहीं है. अबतक जो बाचीत हुई है उसमें मुस्लिम, ईसाई, सिख समुदाय शामिल हैं. पिछले महीने 22 अगस्त को भी दिल्ली में 5 स्कॉलर्स से मुलाकात की थी और उनके साथ बहुत ही सौहार्दपूर्ण माहौल में बातचीत हुई और उनके मन में जो भी बातें थी, उनका समाधान भी दिया और कहा कि हम सभी को मिल-जुलकर काम करना होगा.

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