अमित शाह के बिहार दौरे से एक दिन पहले NIA की ताबड़तोड़ छापेमारी का है रूस कनेक्शन, पढ़िए अंदर की कहानी – Navbharat Times

नीलकमल, पटना: NIA और ED ने PFI के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए गुरुवार को देश के 10 राज्यों में 40 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी कर 100 से अधिक हिरासत में लिया है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बिहार आने के ठीक एक दिन पहले PFI पर NIA के छापे को लेकर इस अजीत डोभाल समेत कई वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक भी की है। अगस्त 2022 में रूस ने आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट एक आत्मघाती हमलावर को गिरफ्तार किया था। बताया गया कि गिरफ्तार आतंकी भारत में BJP के बड़े नेता को निशाना बनाने की साजिश रच रहा था। इसके लिए उसने तुर्की में ट्रेनिंग ली थी और रूस के जरिये भारत पहुंच कर BJP के बड़े नेता की हत्या आत्मघाती हमला के जरिये करना चाहता था। लेकिन रूस की खुफिया एजेंसी ने IS का ‘प्लान इंडिया’ अंजाम तक पहुंचने के पहले ही खोल कर रख दिया।

बताया गया कि पकड़ा गया IS आतंकी अजामोव माशाहोन्त ने रूस की खुफिया एजेंसी को बताया था कि BJP के बड़े नेता पर हमले की तैयारी के लिए वो भारत में किसी से मिलने वाला था। रूस की एजेंसी FSB के अनुसार, 2022 के अप्रैल से जून के बीच तुर्की में इस्लामिक स्टेट का जो आतंकी पकड़ा गया है, वो मध्य एशियाई क्षेत्र के किसी देश का रहने वाला है।

केंद्रीय गृह मंत्री की सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम करे राज्य सरकार
बीजेपी के पूर्व विधायक और प्रदेश प्रवक्ता का कहना है कि क्या जेडीयू 2013 दोहराने के फिराक में है। उन्होंने कहा कि जिस तरह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आगमन के पूर्व जेडीयू को सांप्रदायिक माहौल खराब होने का डर क्यों सता रहा है। ठीक इसी प्रकार 2013 में पटना के गांधी मैदान में होने वाले नरेंद्र मोदी की रैली को लेकर भी बातें जेडीयू की ओर से कही जाती थी। बीजेपी के पूर्व विधायक और प्रदेश प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि जेडीयू उस वक्त भी बिहार में नीतीश कुमार, बीजेपी से अलग होकर सरकार चला रहे थे और गांधी मैदान में नरेंद्र मोदी के आने के पहले आतंकियों ने सीरियल ब्लास्ट किया था। उस वक्त भी नीतीश सरकार में पुलिस कुछ नहीं कर सकी थी और राजधानी पटना के बीचो-बीच स्थित ऐतिहासिक गांधी मैदान में आतंकियों ने सीरियल ब्लास्ट किया था। अब यही खतरा पूर्णिया और किशनगंज में अमित शाह की रैली पर भी मंडराता दिख रहा है।

अमित शाह के आगमन से पहले PFI पर NIA का शिकंजा
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शुक्रवार 23 सितंबर को दो दिवसीय बिहार दौरे पर आ रहे हैं। अपने दो दिवसीय बिहार आगमन के दौरान वह सीमांचल के मुस्लिम बहुल पूर्णिया और किशनगंज जिलों का दौरा करेंगे। केंद्रीय गृह मंत्री के आगमन के पहले NIA और ED की टीम ने 23 अगस्त को कटिहार और अररिया समेत बिहार के 32 जगहों पर टेरर फंडिंग मामले में ताबड़तोड़ छापेमारी की थी, जिसमें PFI से जुड़े इंजीनियर महबूब नदवी के घर और पटना के फुलवारी माड्यूल के SDPI महासचिव इंजीनियर एहसान परवेज के घर भी छापेमारी की गई थी।

23 अगस्त के बाद 22 सितंबर यानी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बिहार आगमन के ठीक एक दिन पहले NIA और ED की संयुक्त टीम ने बिहार समेत देश के 10 राज्यों में PFI के ठिकाने पर छापेमारी की। इसमें 100 से अधिक PFI से जुड़े लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसमें नोएडा में रह रहा पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का (PFI) अध्य्क्ष परवेज भी शामिल है। बताया जा रहा है कि PFI पर NIA और ED ने यह कार्रवाई आतंकियों का समर्थन करने के आरोप में की है।

पीएफआई ने जताया विरोध
NIA और ED की कार्रवाई का विरोध करते हुए PFI का कहना है कि उनके नेताओं के घरों पर छापेमारी के साथ कार्यालयों पर भी छापे मारे जा रहे हैं। देश भर में PFI से जुड़े कार्यकर्ताओ ने इस छापेमारी के विरोध करते हुए कहा कि केंद्र सरकार जांच एजेंसियों का इस्तेमाल कर मुसलमानों को डराने का काम कर रही है। गौरतलब है कि PFI की सक्रियता इन दिनों काफी बढ़ गई है। सूत्र से मिली जानकारी के अनुसार देशविरोधी गतिविधियों में लगी PFI का कनेक्शन IS और अन्य आतंकी संगठन के साथ पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के साथ भी खंगाला जा रहा है।

2047 तक भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने की योजना का हुआ था भंडाफोड़
बता दें, दो महीने पहले NIA की टीम ने पटना के फुलवारीशरीफ में PFI के कार्यालय में छापेमारी कर चौंकाने वाला खुलासा किया था। दरअसल NIA की टीम को वहां से ऐसे दस्तावेज मिले जो मुस्लिम युवकों को शारीरिक प्रशिक्षण के नाम पर देश में हिंसा फैलाने के लिए हथियार चलाने की ट्रेनिंग के साथ आतंकी गतिविधियों के लिए भी ट्रेनिंग दी जा रही थी। पुलिस को मौके से जो दस्तावेज मिले, उसमें भारत को 2047 तक इस्लामिक राष्ट्र बनाने की साजिश का जिक्र भी था।

गौरतलब है कि बिहार के अलग-अलग जिलों में मौजूद संदिग्ध आतंकी और स्लीपर सेल के सहारे ही आतंकियों ने महाबोधि मंदिर में बम ब्लास्ट और 2013 में पीएम नरेंद्र मोदी की पटना रैली में सीरियल ब्लास्ट किया था। इसके बाद बिहार के कई आतंकियों के नाम सामने आए। सूत्र से मिली जानकारी के अनुसार, बिहार में इन दिनों आतंकियों के कई संगठन एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं, जो आने वाले वक्त में न सिर्फ बिहार बल्कि देश के लिए बड़ा खतरा बन सकते है।

आपको याद दिला दें कि कटिहार में मदरसा ब्लास्ट और दरभंगा रेलवे स्टेशन पर ब्लास्ट आतंकियों के गलती की वजह से ही हुई थी। अगर उनसे इस प्रकार की गलती नही होती तो ये पता भी नही चलता कि बिहार को सेफ जोन मानकर आतंकी देश मे आतंक फैलाने के लिए किस तरह का षड्यंत्र रच रहे हैं। इसी प्रकार सीमांचल के इलाके में डेमोग्राफी लगभग बदल चुकी है। सीमांचल इलाके में हिंदुओं की संख्या लगातार घट रही है और जो बचे है उन्हें या तो जगह छोड़ने को मजबूर किया जा रहा है या फिर वो अपनी मर्जी से मुस्लिम बहुल हो रहे जिलों को छोड़ रहे है।

पूर्णिया, किशनगंज, अररिया और कटिहार का डेमोग्राफी भी जानेंगे अमित शाह
गौरतलब है कि सीमांचल इलाके के किशनगंज, पूर्णिया, अररिया और कटिहार की डेमोग्राफी तेजी से बदल रही है। बीजेपी के एक नेता ने बताया कि किशनगंज, पूर्णिया, अररिया और कटिहार में मुस्लिम आबादी काफी तेजी से बढ़ रही है। उनका मानना है कि सीमांचल के इलाके में रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुसलमानों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। बीजेपी नेता का यह भी कहना है कि सीमांचल के इलाके में बसे बिहार के मुसलमान ही रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुसलमानों को बसाने का काम कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि किशनगंज में जहां मुसलमानों की जनसंख्या 75 फ़ीसदी से अधिक हो चुकी है वहीं पूर्णिया में भी मुसलमानों की आबादी 50 फ़ीसदी से अधिक तक पहुंच चुकी है। इसके साथ ही अररिया और कटिहार में भी मुसलमानों की संख्या अप्रत्याशित ढंग से बढ़ी है। बीजेपी नेता का यह भी कहना है कि सीमांचल के इलाके में मस्जिदों की संख्या ढाई गुणा बढ़ गई। है इसके अलावा मदरसों की संख्या में भी तेजी से इजाफा हुआ है। उनका यह भी कहना है कि कई ऐसे इलाके हैं, जहां मुसलमानों की आबादी भी नहीं है वहां भी मस्जिदों का निर्माण करने के साथ मदरसों को खोला गया है।

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