शिंदे सरकार के खिलाफ नहीं जा सकेंगे उद्धव खेमे के 16 विधायक, कोर्ट तक जाएगी फ्लोर टेस्ट की लड़ाई? – Navbharat Times

मुंबईः महाराष्ट्र में शिवसेना के बागी विधायकों को लेकर बीजेपी के समर्थन से सरकार बनाने वाले एकनाथ शिंदे के लिए राह आसान नहीं होने वाली है। रविवार को महाराष्ट्र विधानसभा के स्पेशल सत्र के पहले दिन स्पीकर के चुनाव में जीत हासिल करने के बाद शिंदे सरकार को सोमवार को फ्लोर टेस्ट से गुजरना है। बीजेपी नेता और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने दावा किया है कि उनके पास 164 विधायकों का समर्थन होगा और वह स्पष्ट बहुमत के साथ फ्लोर टेस्ट जीत जाएंगे। इस बीच शिवसेना के वे विधायक असमंजस में होंगे, जो उद्धव ठाकरे के साथ हैं।

विधानसभा का स्पीकर बनने के बाद राहुल नार्वेकर ने ठाकरे गुट से संबंधित सुनील प्रभु को हटाकर शिंदे खेमे के भरत गोगावले को शिवसेना का चीफ व्हिप नियुक्त कर दिया है। यह घटनाक्रम 16 विधायक वाले उद्धव ठाकरे गुट के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि वे सोमवार को होने वाले विश्वास मत के लिए गोगावले द्वारा जारी किए जाने वाले व्हिप से बंधे होंगे। अगर ये 16 विधायक व्हिप का पालन करने से इनकार करते हैं, तो उन्हें अयोग्यता का सामना करना पड़ सकता है।

शिंदे को समर्थन देने की मजबूरी
ऐसे में फ्लोर टेस्ट में उद्धव ठाकरे के समर्थक विधायकों को शिंदे सरकार को समर्थन देना मजबूरी हो जाएगी। हालांकि, रविवार को स्पीकर के चुनाव में उद्धव गुट के 16 विधायकों ने शिंदे सरकार के उम्मीदवार के खिलाफ वोटिंग की थी। उद्धव गुट के व्हिप सुनील प्रभु ने शिवसेना उम्मीदवार राजन साल्वी के पक्ष में वोटिंग के लिए व्हिप जारी की थी जबकि शिंदे खेमे की ओर से राहुल नार्वेकर के पक्ष में मतदान के लिए निर्देश दिया गया था। चुनाव के बाद दोनों गुटों ने एक दूसरे के खेमे के विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग करते हुए स्पीकर को पत्र लिखा था।

16 विधायकों के खिलाफ पत्र
शिंदे गुट ने आदित्य ठाकरे समेत शिवसेना के 16 विधायकों को अयोग्य करार देने की मांग की है। शिंदे गुट के चीफ विप भारत गोगावाले ने नए स्पीकर राहुल नार्वेकर को पत्र सौंपा है। इसमें कहा गया है कि 16 विधायकों ने विप का उल्लंघन किया है, इसलिए इनकी सदस्यता रद्द हो। वहीं, उद्धव के नेतृत्व वाले गुट ने डिप्टी स्पीकर नरहरि झिरवाल को पत्र सौंपा और कहा कि कुछ विधायकों ने पार्टी के निर्देशों का उल्लंघन किया है। शिवसेना के सदन में कुल 55 विधायक हैं। इनमें से 39 विधायक शिंदे के साथ हैं, जिन्होंने बीजेपी के राहुल नार्वेकर के पक्ष में वोट किया।

कोर्ट जा सकती है शिवसेना
ऐसे में सोमवार को यह भी देखना दिलचस्प होगा कि व्हिप के खिलाफ जाने पर स्पीकर किस गुट के विधायकों को नोटिस जारी करते हैं। हालांकि, स्पीकर ने शिंदे गुट के चीफ व्हिप भरत गोगावले को मान्यता दी है तो पूरी संभावना है कि वह उद्धव गुट के 16 विधायकों को नोटिस जारी करें। ऐसे में शिवसेना के पास कोर्ट जाने का रास्ता बचता है। शिवसेना कोर्ट में स्पीकर के गोगावले को चीफ व्हिप बनाने के फैसले को चुनौती दे सकती है। इसके लिए ठाकरे गुट के पास यह आधार हो सकता है कि शिंदे गुट के 39 विधायक ही पूरी शिवसेना नहीं हैं। उनके पास शिवसेना के सांसदों, नगर निकाय प्रतिनिधियों और अन्य कार्यकर्ताओं का समर्थन है। ऐसे में पार्टी से बगावत करने वाले किसी नेता को चीफ व्हिप की मान्यता कैसे दी जा सकती है?

पदाधिकारियों से मांगा है वफादारी का हलफनामा
उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना ने इसके लिए तैयारी भी कर ली है। बीते दिनों पार्टी के निचले स्तर के पदाधिकारियों से प्रतिज्ञा पत्र लिया गया था, जिसमें यह लिखा था कि वह उद्धव ठाकरे के नेतृत्व के प्रति निष्ठा रखते हैं। तब कहा गया था कि पार्टी इन वफादारी के हलफनामों को कोर्ट में अपना पक्ष मजबूत करने के लिए इस्तेमाल कर सकती है।

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