कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारत मां के वीर सपूत नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जन्म जयंती पर पूरे देश की तरफ से मैं आज कोटि-कोटि नमन करता हूं। ये दिन ऐतिहासिक है। ये कालखंड भी ऐतिहासिक है। और ये स्थान जहां हम सब एकत्रित है, वो भी ऐतिहासिक है। भारत के लोकतंत्र के प्रतीक हमारी संसद पास में है। हमारी क्रियाशीलता और लोकनिष्ठा के प्रतीक अनेक भवन भी पास हैं। हमारे शहीदों को समर्पित नेशनल वॉर मेमोरियल भी पास है।
उन्होंने कहा कि इस मौके पर हम इंडिया गेट पर महोत्सव मना रहे हैं और नेताजी को आदरपूर्वक श्रद्धांजलि दे रहे हैं। नेताजी ने हमें संप्रभु भारत का विश्वास दिलाया, जिन्होंने बड़े गर्व के साथ, बड़े आत्मविश्वास, साहस के साथ अंग्रेजी सत्ता के सामने कहा था- मैं स्वतंत्रता की भीख नहीं लूंगा। मैं इसे हासिल करूंगा। जिन्होंने भारत की धरती पर पहली आजाद सरकार को स्थापित किया, हमारे उन नेताजी की भव्य प्रतिमा इंडिया गेट के समीप स्थापित हो रही है। जल्द ही इस होलोग्राम की जगह ग्रेनाइट की विशाल प्रतिमा लगेगी।
उन्होंने कहा कि नेताजी की यह प्रतिमा हमारी लोकतांत्रिक संस्था, पीढ़ियों और कर्तव्य का बोध कराएगी। आने वाली और वर्तमान पीढ़ी को निरंतर प्रेरणा देती रहेगी। पिछले साल से देश ने नेताजी की जयंती को पराक्रम दिवस के तौर पर मनाना शुरू किया है। नेताजी कहते थे कि कभी भी स्वतंत्र भारत के सपने का विश्वास मत खोना, दुनिया की कोई ताकत नहीं है, जो भारत को झकझोर सके। आज हमारे सामने आजाद भारत के सपनों को पूरा करने के लक्ष्य हैं। हमारे सामने आजादी के सौंवें साल से पहले यानी 2047 के पहले नए भारत के निर्माण का लक्ष्य है। नेताजी को देश पर जो विश्वास था, उनके इन भावों के कारण मैं कह सकता हूं कि दुनिया की कोई ताकत नहीं है, जो भारत को इस लक्ष्य तक पहुंचने से रोक सके।
उन्होंने कहा कि ये दुर्भाग्य रहा कि आजादी के बाद देश की संस्कृति और संस्कारों के साथ कई महान हस्तियों की याद को मिटाने का काम किया गया। उनके इतिहास को सीमित करने की कोशिश की गई। लेकिन आजादी के दशकों बाद देश उन गलतियों को डंके की चोट पर सुधार रहा है। आप देखिए बाबासाहेब अंबेडकर से जुड़े पंचतीर्थों के विकास का काम देश में जनभागीदारी से हो रहा है। सरदार पटेल की स्टैच्यू ऑफ यूनिटी हमने भारतवासियों को समर्पित की। भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय दिवस के तौर पर मनाने की शुरुआत हमने कर दी है।
उन्होंने कहा कि नेताजी बोस के जीवन से जुड़ी हर विरासत को देश पूरे गौरव से संजो रहा है। अंडमान में तिरंगा लहराने की घटना के 75वें वर्ष पर वहां एक द्वीप का नाम नेताजी के नाम पर रखा गया है। इस बार नेताजी के साथ इंडियन नेशनल आर्मी के साथ एक श्रद्धांजलि है, जिन्होंने आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। नेताजी बोस कुछ ठान लेते थे, तो उन्हें कोई ताकत नहीं रोक सकती थी। हमें नेताजी की कैन डू, विल डू के मंत्र से प्रेरणा लेनी चाहिए। हमें उनकी इस बात से प्रेरणा लेनी चाहिए कि हमें राष्ट्रवाद को जिंदा रखना है। हम मिलकर नेताजी बोस के सपनों का भारत बनाने में सफल होंगे।
सम्मानित लोगों को बधाई दी
उन्होंने कहा कि आज इस मौके पर सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार भी दिए गए हैं। नेताजी के जीवन से प्रेरणा लेकर ही इन पुरस्कारों को देने का फैसला लिया गया। जिन्हें आज सम्मान का अवसर मिला है, उन्हें मैं बधाई देता हूं। साथियों हमारे देश में आपदा प्रबंधन को लेकर जिस तरह का रवैया रहा है। उस पर एक कहावत सटीक बैठती है। जब प्यास लगी तो कुआं खोजना। यानी जब आपदा सिर पर आ जाती थी, तो उससे बचने के उपाय खोजे जाते थे।
आपदा प्रबंधन पर यह बोले मोदी
- उन्हाेंने कहा कि इतना ही नहीं एक और हैरान करने वाली व्यवस्था थी, जिसके बारे में कम ही लोगों को पता है। हमारे देश में कई साल तक आपदा का विषय कृषि विभाग के पास था। इसकी वजह थी कि ओले गिरना जैसे मामले कृषि विभाग के पास थे। देश में आपदा प्रबंधन इसी तरह से चलता था। लेकिन 2001 में गुजरात में भूकंप आने के बाद देश को नए सिरे से सोचने पर मजबूर होना पड़ा। अब उसने आपदा प्रबंधन के मायने बदल दिए हैं। हमने तमाम विभागों को राहत-बचाव कार्यों में झोंक दिया है। उनसे सीखते हुए 2003 में गुजरात आपदा प्रबंधन कानून बनाया। इस तरह का कानून बनाने वाला गुजरात पहला राज्य था। इसके बाद गुजरात सरकार से सीखते हुए केंद्र सरकार ने डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट बनाया।
- उन्होंने कहा कि डिजास्टर मैनेजमेंट को प्रभावी बनाने के लिए 2014 के बाद से हमारी सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर चौतरफा काम किया। हमने रिहैबिलिटेशन पर ध्यान देने के साथ ही रिफॉर्म पर भी काम किया। हमने एनडीआरएफ को मजबूत किया, उसे पूरे देश में फैलाया और आधुनिक किया। हमारे एनडीआरएफ के साथ ही एसडीआरएफ और सुरक्षाबलों के जवान एक एक व्यक्ति को बचाते हैं। इसलिए आज ये पल इस प्रकार से जान की बाजी लगाने वालों के लिए ये उनके प्रति आभार प्रकट करने का वक्त है।
- उन्होंने कहा कि अगर हम अपनी व्यवस्थाओं को मजबूत करते चलें, तो आपदा से निपटने की क्षमता दिनों दिन बढ़ती चली जाती है। कोरोना महामारी के दौरान ही देश के सामने कई परेशानियां आईं। कई जगहों पर भूकंप आए, बाढ़ आई। ओडिशा से लेकर आंध्र प्रदेश तक साइक्लोन आए। एक ही चक्रवात में सैकड़ों लोगों की मौत हो जाती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं होता। इसलिए हम इन आपदाओं में ज्यादा से ज्यादा जान बचाने में सफल हो रहे हैं। आज अंतरराष्ट्रीय संस्थान भारत की इन्हीं कोशिशों की तारीफ कर रहे हैं।
- उन्होंने कहा कि बाढ़, सूखा और इन सभी आपदाओं के लिए वॉर्निंग सिस्टम में सुधार किया गया। डिजास्टर विद एनालिसस के लिए केंद्र बनाए गए। डिजास्टर रिस्क मैप बनाए गए। इसका लाभ सभी राज्यों को मिल रहा है। सबसे अहम आपदा प्रबंधन आज देश में जनभागीदारी और जनविश्वास का विषय बन गया है। एनडीएमए की आपदा मित्र जैसे अभियान के जरिए युवा आगे आ रहे हैं। कहीं आपदा आती है तो लोग विक्टिम नहीं होते, वे वॉलंटियर बनकर आपदा का मुकाबला करते हैं। अब आपदा प्रबंधन सरकारी काम नहीं है, अब ये सबका प्रयास बन गया है।
नए भारत के इन्फ्रास्ट्रक्चर पर भी बोले
उन्होंने कहा कि हमने अपने एजुकेशन सिस्टम में कई बदलाव किए। जितने भी इंजीनियरिंग और आर्किटेक्चर के कोर्स होते हैं, उन्हें आपदा प्रबंधन से जोड़ा गया है। सरकार ने डैम सेफ्टी कानून भी बनाया है। आपदा में आर्थिक और जानमाल के नुकसान की चर्चा की जाती है, लेकिन इसमें जो इन्फ्रास्ट्रक्चर की तबाही होती है, वो भी अनुमान से ज्यादा होती है। इसलिए हमारा इन्फ्रास्ट्रक्चर ऐसा होना चाहिए, जो आपदा भी झेल सके। जिन क्षेत्रों में आपदा का खतरा ज्यादा रहता है, वहां पीएम आवास योजना के तहत बन रहे घरों में भी इसका ख्याल रखा जाता है। उत्तराखंड में जो घर बन रहे हैं उनमें यह ख्याल रखा जाता है। आपात स्थिति में ये एक्सप्रेस-वे विमान उतरने के काम आ सकें, इसका भी ख्याल रखा जा रहा है। यही नया भारत है और नए भारत का इन्फ्रास्ट्रक्चर है।
भारत आपदा की घड़ी में सबके साथ खड़ा है: मोदी
उन्होंने कहा कि भारत की इस पहल में ब्रिटेन हमारा प्रमुख साथी बना है। आज दुनिया के 35 देश इससे जुड़ चुके हैं। दुनिया की सेनाओं के बीच हमने सैन्य अभ्यास काफी देखे हैं। लेकिन भारत ने पहली बार आपदा प्रबंधन के लिए सैन्य अभ्यास का प्रावधान किया है। हमने कई देशों में आपदा प्रबंधन में सेवाएं दी हैं। जब नेपाल में भूकंप आया, तो भारत ने मित्र के तौर पर मदद में जरा भी देरी नहीं की। आपदा प्रबंधन में हमारा अनुभव सिर्फ भारत के लिए नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए काम किया है।
#WATCH | Prime Minister Narendra Modi unveiled hologram statue of Netaji Subhas Chandra Bose at India Gate on his 125th birth anniversary #ParakramDiwas pic.twitter.com/vGQMSzLgfc
— ANI (@ANI) January 23, 2022
सरकार ने भव्य प्रतिमा लगाने का फैसला किया
इससे पहले पीएम ने एक ट्वीट में बताया था कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती और साल भर चलने वाले समारोह के हिस्से के रूप में सरकार ने इंडिया गेट पर उनकी एक भव्य प्रतिमा लगाने का फैसला किया है। ग्रेनाइट से बनी यह प्रतिमा स्वतंत्रता संग्राम में नेताजी के योगदान को ध्यान में रखते हुए सही मायनों में एक उपयुक्त श्रद्धांजलि होगी। प्रतिमा का काम पूरा होने तक नेताजी की होलोग्राम प्रतिमा ठीक उसी स्थान पर लगाई जाएगी।
होलोग्राम प्रतिमा की खासियत
पीएमओ के मुताबिक, इस होलोग्राम प्रतिमा को 30,000 लुमेन 4के प्रोजेक्टर द्वारा संचालित किया जाएगा। एक अदृश्य, हाई गेन, 90 फीसदी पारदर्शी होलोग्राफिक स्क्रीन इस तरह से लगाई गई है कि यह यहां आने वाले लोगों को नजर नहीं आ रही है। होलोग्राम का सटीक प्रभाव उत्पन्न करने के लिए उस पर नेताजी की थ्रीडी तस्वीर लगाई जाएगी। होलोग्राम प्रतिमा 28 फीट ऊंची और 6 फीट चौड़ी है।
सात लोगों को किया गया सम्मानित
पीएमओ के मुताबिक, साल 2022 के ‘सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार’ के लिए गुजरात आपदा प्रबंधन संस्थान (संस्थान श्रेणी) और प्रोफेसर विनोद शर्मा (व्यक्तिगत श्रेणी) का चयन किया गया है। आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में भारत में व्यक्तियों और संगठनों द्वारा प्रदान किए गए अमूल्य योगदान और नि:स्वार्थ सेवा को पहचानने और सम्मानित करने के लिए वार्षिक पुरस्कार सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार दिया जाता है। इस पुरस्कार की घोषणा हर साल 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर की जाती है। पुरस्कार के रूप में संस्थान को 51 लाख रुपये नकद और एक प्रमाणपत्र के साथ-साथ व्यक्तिगत स्तर पर 5 लाख रुपये नकद और एक प्रमाणपत्र दिया जाता है। .
हर साल मनाया जाता है ‘पराक्रम दिवस’
पीएमओ के मुताबिक, पहले ही यह घोषणा की जा चुकी है कि हर साल नेताजी की जयंती ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाई जाएगी। इसी उत्कृष्ट भावना को ध्यान में रखते हुए गणतंत्र दिवस समारोह की शुरुआत एक दिन पहले यानी 23 जनवरी से की जाएगी।
केंद्रीय मंत्री ने कही यह बात
इससे पहले केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि संसद में 15वीं लोकसभा के दौरान 15 मार्च 2010 को जॉर्ज पंचम की मूर्ति की जगह किसी भारतीय महापुरुष की मूर्ति की स्थापना हेतु अनुरोध किया था। मैं प्रधानमंत्री मोदी का धन्यवाद देता हूं कि आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के अवसर पर उनकी प्रतिमा का अनावरण किया जा रहा है।
संसद में 15वीं लोकसभा के दौरान 15 मार्च 2010 को जॉर्ज पंचम की मूर्ति की जगह किसी भारतीय महापुरुष की मूर्ति की स्थापना हेतु अनुरोध किया था।मैं PMश्री @narendramodi जी का धन्यवाद देता हूँ की आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के अवसर पर उनकी प्रतिमा का अनावरण किया जा रहा है। pic.twitter.com/3QofOuVrbV
— Arjun Ram Meghwal (@arjunrammeghwal) January 23, 2022
नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि इंफाल उन्होंने अंग्रेजों की सेना में शस्त्र चलाना सीखा और जो भारतीय लोग आंग्रेजी सेना में लड़े थे उनमें देश भक्ति की आग जगाई। उन्होंने पराक्रमी अंग्रेजी सत्ता को चुनौती दी। यहां आकर स्वतंत्र भारत की घोषणा भी उन्होंने ही की थी।