ओमिक्रॉन वैरिएंट के खतरे से निपटने को भारत में भी लगेगी बूस्टर डोज! सरकार कर रही मंथन – Hindustan हिंदी

तो क्या अब देश में कोरोना वैक्सीन की तीसरी डोज दी जाएगी। अब केंद्र सरकार बूस्टर डोज को लेकर मंथन कर रही है। दक्षिण अफ्रीका के बाद कई देशों में मिले ओमिक्रॉन वैरिेएंट ने चिंता बढ़ा रखी है। इसी वजह से ऐसा कहा जा रहा है कि अब इस वैरिएंट को देखते हुए सरकार वैक्सीन की बूस्टर डोज देने का जल्द ऐलान कर सकती है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में सरकारी सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि विशेषज्ञों का एक ग्रुप वैक्सीन के तीसरे डोज को लेकर पॉलिसी बनाने पर काम कर रहा है। 

क्या सभी लोगों को वैक्सीन की तीसरी डोज दी जाएगी? क्या स्वस्थ लोगों को भी बूस्टर डोज की जरुरत है? अगर बूस्टर डोज पड़ेगी तो इसको लेकर क्या रणनीति होगी? विशेषज्ञों की टीम अपनी नीतियों में इन सारे सवालों के जवाब ढूंढने की कोशिश करेगी। पहली बार दक्षिण अफ्रीका ने 24 नवंबर को इस वैरिएंट का खुलासा किया था, वहीं 26 नवंबर आते-आते ओमिक्रॉन 5 देशों तक फैल चुका था।

अब 28 नवंबर तक ओमिक्रॉन ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया समेत केस कम से कम 11 देशों में मिल चुके हैं। कुछ विशेषज्ञों का तो यहां तक मानना है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट इन देशों के अलावा एक दर्जन और देशों में फैल चुका है और इसके केस धीरे-धीरे सामने आएंगे। यानी ओमिक्रॉन वैरिएंट का कहर जल्द ही और देशों में भी देखने को मिल सकता है। भारत में भी इसे लेकर अलर्ट जारी किया जा चुका है।

हामिश मैक्कलम, निदेशक, सेंटर फॉर प्लेनेटरी हेल्थ एंड फूड सिक्योरिटी, ग्रिफ़िथ यूनिवर्सिटी, साउथ ईस्ट क्वींसलैंड ऑस्ट्रेलिया, ने कहा है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट को समझने के मामले में ये बहुत शुरुआती दिन हैं। अफ्रीका से मिले बहुत शुरुआती संकेत बताते हैं कि यह विशेष रूप से गंभीर बीमारी का कारण नहीं बनता है (हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने उपलब्ध सीमित आंकड़ों को देखते हुए सावधानी बरतने का आग्रह किया है)।इस बिंदु पर, यह स्पष्ट नहीं है कि इसमें डेल्टा जैसे अन्य सार्स-कोव-2 उपभेदों की तुलना में टीकों से बचने की कोई बड़ी क्षमता है या नहीं।
     
एक बार आबादी में स्थापित हो जाने के बाद वायरस का कम प्रभावी (अर्थात कम गंभीर बीमारी का कारण) होना बहुत आम है। मायक्सोमैटोसिस इसका श्रेष्ठ उदाहरण है, जिसने पहली बार ऑस्ट्रेलिया में सामने आने पर 99% खरगोशों को मार डाला था, लेकिन अब इसका प्रभाव कम हो चुका है और यह बहुत कम मृत्यु दर का कारण बनता है। कुछ विशेषज्ञों ने भविष्यवाणी की है कि कोविड भी कम गंभीर हो जाएगा क्योंकि यह बीमारी के एक स्थानिक स्तर पर संक्रमण करता है – किसी खास स्थान पर संक्रमण के अनुमानित पैटर्न में बस जाता है। यह संभव है कि ओमिक्रोन संस्करण इस प्रक्रिया में पहला कदम हो।

विशेषज्ञ पहले से बताते आए हैं कि अतिरिक्त खुराक उन लोगों को दी जाती है जिनकी प्रतिरक्षा कमजोर है, जबकि स्वस्थ लोगों को बूस्टर शॉट दिया जाए या नहीं अभी इसपर स्पष्ट राय नहीं है, लेकिन कोरोना के इस नए वैरिएंट के सामने आने के बाद बूस्टर डोज की चर्चा फिर से बढ़ गई हैय़।

पहले भी बताया गया था कि जिन लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली कैंसर जैसी बीमारियों के कारण खराब हो जाती है, उन्हें मानक दो-खुराक टीकाकरण कार्यक्रम से महत्वपूर्ण रूप से सुरक्षित नहीं किया जाता है। उस स्थिति में, तीसरी खुराक देना महत्वपूर्ण है। 

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