किसान और सरकार के बीच होगी सुलह? कृषि मंत्री के इस ऐलान और किसानों के मार्च रद्द करने के फैसलों से मिले संकेत – Hindustan हिंदी

तो क्या अब किसानों और केंद्र सरकार के बीच सुलह के रास्ते खुल गए हैं? इस बात के संकेत केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के ऐलान और किसानों द्वारा संसद मार्च को रद्द किये जाने से मिल रहे हैं। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शनिवार को कहा कि पराली जलाने वाले किसानों पर आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं किया जाएगा। जबकि इधर किसान संगठनों ने संसद भवन मार्च के अपने पहले से तय कार्यक्रम को रद्द कर दिया। किसानों ने सरकार से कहा कि वो बातचीत की प्रक्रिया की शुरुआत फिर से करे।

संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि उनकी योजना था कि शीतकालीन सत्र के दौरान राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बड़ा प्रदर्शन किया जाए लेकिन इसे अब 4 दिसंबर तक के लिए टाल दिया गया है। इससे पहले 19 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद सामने आकर कहा था कि केंद्र सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस लेगी। शनिवार की सुबह कृषि मंत्री ने किसानों से आग्रह किया कि सरकार कानूनों को वापस ले रही है लिहाजा वो अपना आंदोलन खत्म करें। इसपर प्रतिक्रिया देते हुए किसान नेताओं ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी अन्य मांगों के संबंध में खत लिखा है और इसपर वो उनके जवाब का 4 दिसंबर तक इंतजार करेंगे। 

सितंबर 2020 में लाए गए कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए सरकार इस सत्र में नया कानून पास कराने को लेकर अपनी तैयारी कर चुकी है। लेकिन किसान अभी भी गारंटेड एमएसपी समेत अपनी अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान नेता दर्शन पाल ने कहा,  ‘हम पीएम को लिखे गए खत पर सरकार के जवाब का इंतजार करेंगे। इस खत में हमने उन्हें अपनी सभी जरुरी मांगों से अवगत कराया है। सरकार को निश्चित तौर से बातचीत करनी चाहिए ताकि अन्य बचे हुए मुद्दों को सुलझाया जा सके।’

बता दें कि गारंटेड एमएसपी के अलावा किसान उन लोगों की याद में जमीन चाहते हैं जिनकी इस लंबे चले आंदोलन के दौरान मौत हो गई। इसके अलावा वो इस प्रदर्शन के दौरान किसानों पर दर्ज किये गये सभी केसों को हटाने की मांग भी कर रहे हैं।

उनलोगों ने यह मांग भी की है कि किसानों के लिए बिजली सस्ता किया जाए और एंटी-पलूशन लॉ में भी बदलाव किया जाए। पीएम मोदी ने कहा था कि सरकार एमएसपी सिस्टम को और भी पारदर्शी बनाने के लिए एक कमेटी बनाएगी। कृषि मंत्री ने कहा कि इस कमेटी में किसानों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। जिसके बाद एमएसपी को लेकर किसानों की मांग भी पूरी हो गई। 

बता दें कि कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले लिया गया है। पंजाब और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में किसानों की बड़ी आबादी है और वोट के लिहाज से भी वो काफी अहम भूमिका में हैं। 

संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को भी मंत्री पद से हटाए जाने की मांग की है। बता दें कि केंद्रीय मंत्री के बेटे को यूपी के लखीमपुर-खीरी में हुई घटना के बाद गिरफ्तार भी किया गया था। इस घटना में 8 लोगों की मौत हुई थी। 

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