Mahant Narendra Suicide: मरने से पहले महंत गिरि ने बनाया था Video, लिया था आनंद, आद्या और संदीप का नाम – News18 हिंदी

महंत नरेंद्र गिरि का अंतिम संस्कार प्रयाग में हो रहा है. उन्हें उनके गुरु के बगल में भू-समाधि दी जाएगी. वह अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के तो अध्यक्ष थे ही साथ में निरंजनी अखाड़े के सचिव और प्रमुख की हैसियत रखने वाले भी. इस अखाड़े को सबसे धनी अखाड़ों में माना ही जाता है. साथ ही इसकी खासियत ये भी है कि इसमें खासे पढ़े लिखे साधु भी हैं. कुछ तो आईआईटी में पढ़े हुए हैं.

निरंजनी अखाड़े को हमेशा भारतीय धार्मिक क्षेत्र में परिपाटी स्थापित करने वाला माना गया. जब हरिद्वार कुंभ के दौरान कोविड का सबसे ज्यादा असर था. तब इस अखाड़े ने सबसे पहले इससे नाम वापस लेने की घोषणा करके राज्य सरकार को एक तरह से राहत दी. इसके बाद दूसरे अखाड़ों ने भी कुंभ से हटना शुरू किया।

इस अखाड़े का पूरा नाम श्री पंचायती तपोनिधि निरंजन अखाड़ा है. इसका मुख्य आश्रम मायापुर, हरिद्वार में स्थित है.अगर साधुओं की संख्या की बात की जाए तो निरंजनी अखाड़ा देश के सबसे बड़े और प्रमुख अखाड़ों में है. जूना अखाड़े के बाद उसे सबसे ताकतवर माना जाता है. वो देश के 13 प्रमुख अखाड़ों में एक है.

सबसे पढ़े लिखे साधू
इस अखाड़े में सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे साधू हैं, जिसमें डॉक्टर, प्रोफेसर और प्रोफेशनल शामिल हैं. एक रिपोर्ट की मानें तो शैव परंपरा के निरंजनी अखाड़े के करीब 70 फीसदी साधु-संतों ने उच्च शिक्षा प्राप्त की है. इसमें संस्कृत के विद्वान और आचार्य भी हैं. निरंजनी अखाड़े की हमेशा एक अलग छवि रही है. जानते हैं निरंजनी अखाड़े के बारे में. जिसके बारे में कहा जाता है कि ये हजारों साल पुराना है.

हजारों साल पुराना इतिहास
निरंजनी अखाड़ा की स्थापना सन् 904 में विक्रम संवत 960 कार्तिक कृष्णपक्ष दिन सोमवार को गुजरात की मांडवी नाम की जगह पर हुई थी. महंत अजि गिरि, मौनी सरजूनाथ गिरि, पुरुषोत्तम गिरि, हरिशंकर गिरि, रणछोर भारती, जगजीवन भारती, अर्जुन भारती, जगन्नाथ पुरी, स्वभाव पुरी, कैलाश पुरी, खड्ग नारायण पुरी, स्वभाव पुरी ने मिलकर अखाड़ा की नींव रखी. अखाड़ा का मुख्यालय तीर्थराज प्रयाग में है. उज्जैन, हरिद्वार, त्रयंबकेश्वर व उदयपुर में अखाड़े के आश्रम हैं.

निरंजनी अखाड़े के पास कितनी संपत्ति
प्रयागराज और आसपास के इलाकों में निरंजनी अखाड़े के मठ, मंदिर और जमीन की कीमत 300 करोड़ से ज्यादा की है, जबकि हरिद्वार और दूसरे राज्यों में संपत्ति की कीमत जोड़े तो वो हजार करोड़ के पार है. महंत नरेंद्र गिरि इसी अखाड़े के प्रमुख थे. निरंजनी के अखाड़े के पास प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक, उज्जैन, मिर्जापुर, माउंटआबू, जयपुर, वाराणसी, नोएडा, वड़ोदरा में मठ और आश्रम हैं.

10,000 से ज्यादा नागा संन्यासी
फिलहाल इस अखाड़े में दस हजार से अधिक नागा संन्यासी हैं. जबकि महामंडलेश्वरों की संख्या 33 है. जबकि महंत व श्रीमहंत की संख्या एक हजार से अधिक है. वैसे निरंजनी अखाड़े ने भव्य पेशवाई के साथ कुंभ में अपनी शुरुआत की थी. इसमें कई रथ, हाथी और ऊंट शामिल हुए थे. करीब 50 रथों पर चांदी के सिंहासन पर आचार्य महामंडलेश्वर और महामंडलेश्वर विराजमान थे. बड़ी संख्या में नागा साधुओं ने भगवान शिव का तांडव किया था.

कौन बन सकता है महामंडलेश्वर
अखाड़े का महामंडलेश्वर बनने के लिए कोई निश्चित शैक्षणिक योग्यता की जरूरत नहीं होती है. इन अखाड़ों में महामंडलेश्वर बनने के लिए व्यक्ति में वैराग्य और संन्यास का होना सबसे जरूरी माना जाता है. महामंडलेश्वर का घर-परिवार और पारिवारिक संबंध नहीं होने चाहिए.
हालांकि इसके लिए आयु का कोई बंधन नहीं है लेकिन यह जरूरी होता है कि जिस व्यक्ति को यह पद मिले उसे संस्कृत, वेद-पुराणों का ज्ञान हो और वह कथा-प्रवचन दे सकता हो. कोई व्यक्ति या तो बचपन में अथवा जीवन के चौथे चरण यानी वानप्रस्थाश्रम में महामंडलेश्वर बन सकता है. लेकिन इसके लिए अखाड़ों में परीक्षा ली जाती है

विवादों में भी घिर चुका है अखाड़ा
कुछ सालों पहले डिस्कोथेक और बार संचालक रियल इस्टेट कारोबारी सचिन दत्ता को इस अखाड़े का महामंडलेश्वर सच्चिदानंद गिरि बनाया गया था. जिसके बाद निरंजनी अखाड़ा विवादों में घिर गया था.

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