Gujarat Cabinet: भूपेंद्र पटेल की ‘फ्रेशर्स’ कैबिनेट, मोदी-शाह के गुजरात में बीजेपी की नई ‘प्रयोगशाला’ को समझ – नवभारत टाइम्स

अहमदाबाद
गुजरात में विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने नया प्रयोग किया है। पार्टी ने मुख्यमंत्री के साथ ही पूरी की पूरी कैबिनेट बदल दी है। विजय रुपाणी की जगह भूपेंद्र पटेल को सीएम बनाया गया। वहीं पुरानी कैबिनेट में शामिल रहे 23 चेहरों की जगह ज्यादातर कम अनुभवी विधायकों को मंत्री बनाया गया है। नौ विधायक तो ऐसे हैं, जो पहली बार मंत्री बने हैं। सीएम भूपेंद्र पटेल खुद भी पहली बार विधायक निर्वाचित हुए थे। पीएम मोदी और अमित शाह के गृहराज्य में बीजेपी की इस नई ‘प्रयोगशाला’ को समझते हैं।

सिर्फ 3 को मंत्री के रूप में काम का अनुभव
बीजेपी ने जो नो रिपीट फॉर्म्युला गुजरात में प्रयोग किया है, उसके तहत सीएम के अलावा 24 मंत्रियों में से 3 ऐसे हैं जो पहले भी मंत्री रह चुके हैं। अपने पूर्ववर्ती विजय रुपाणी की तरह ही भूपेंद्र पटेल ने ज्यादातर पोर्ट फोलियो खुद के पास रखे हैं। सूरत (पश्चिम) से आने वाले 55 साल के पूर्णेश मोदी को सड़क परिवहन मंत्री बनाया गया है। पीएम मोदी के खिलाफ राहुल गांधी के आपत्तिजनक कॉमेंट के मामले में उन्होंने ही आपराधिक मानहानि की शिकायत की थी। 54 साल के विनोद मोरडिया को शहरी विकास और हाउसिंग मंत्री बनाया गया है। वह लेउआ पटेल समुदाय से आते हैं। वहीं ओलपाड से विधायक मुकेश पटेल को कृषि और ऊर्जा विभाग दिया गया है। वह कोली समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। गुजरात विधानसभा के स्पीकर राजेंद्र त्रिवेदी की सरकार में वापसी हुई है। शपथग्रहण से पहले उन्होंने स्पीकर पद से इस्तीफा दिया। उन्हें राजस्व और कानून मंत्रालय मिला है।



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चुनाव से 15 महीने पहले प्रयोग
चुनाव से महज 15 महीने पहले बीजेपी ने यह प्रयोग किया है। ऐसे में इस बात की भी आशंका जताई जा रही है कि कहीं जातीय समीकरण पार्टी को भारी ना पड़ें। जातीय संतुलन पर इस कैबनेट में जोर दिया गया है। प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल के प्रभाव वाले साउथ गुजरात से 7 मंत्रियों को जगह मिली है। इस बदलाव में जाति और क्षेत्र दोनों संतुलन को बनाए रखने की कोशिश की गई है। बताया जा रहा है कि दक्षिण गुजरात से ये अब तक का सबसे बड़ा प्रतिनिधित्व है। इस क्षेत्र से तीन कैबिनेट मंत्री, दो राज्य और दो स्वतंत्र प्रभार मंत्री बने हैं। इसके अलावा सौराष्ट्र-कच्छ से 7, उत्तर से 3 और सेंट्रल गुजरात से 8 मंत्री बनाए गए हैं।












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किन जातियों के कितने मंत्री
गुजरात में पहली बार बीजेपी ने दलित समुदाय से दो मंत्री बनाए हैं। वडोदरा के मनीष वकील और असर्वा के एमएलए प्रदीप परमार को सरकार में जगह मिली है। पाटीदार समुदाय से सबसे ज्यादा सात मंत्री बनाए गए हैं। वहीं कोली समुदाय को प्रतिनिधित्व देने के लिए देवा मलम को मंत्री बनाया गया है। इस समुदाय से कुंवरजी बावलिया और पुरुषोत्तम सोलंकी पिछली सरकार में मंत्री थे। इसके अलावा ओबीसी से 6, क्षत्रिय से 2, ब्राह्मण से 2, एसटी (अनुसूचित जाति) से 4 और जैन समाज से एक मंत्री बनाया गया है।

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ये 9 विधायक पहली बार बने मंत्री
पहली बार विधायक बनने वालों में सरकार के सबसे बड़े फेस खुद सीएम भूपेंद्र पटेल हैं। इसके अलावा नरेश पटेल, प्रदीप परमार, अर्जुन सिंह चौहान, अरविंद रैयाणी, कीर्ति सिंह वाघेला, गजेंद्र सिंह परमार, राघवजी मकवाना और देवाभाई मलम हैं।

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बीजेपी ने क्यों बनाई प्रयोगशाला?
चुनाव से ठीक एक साल पहले बीजेपी को इस प्रयोग की क्यों जरूरत पड़ी? जब पूरी कैबिनेट बदलने के बारे में पार्टी के गुजरात प्रभारी भूपेंद्र यादव से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘नई कैबिनेट बीजेपी की रणनीति का हिस्सा है। इस नए एक्सपेरिमेंट के जरिए पार्टी सुनिश्चित करना चाहती है कि नई लीडरशिप को विकसित किया जाए और और निरंतरता बनी रहे।’ उन्होंने किसी भी तरह के असंतोष की बात को खारिज किया और पूरी कैबिनेट में बदलाव को सर्वसम्मति से लिया फैसला बताया।

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कनुभाई देसाई को वित्त मंत्रालय
एक चौंकाने वाले कदम के तहत कनुभाई देसाई को अहम वित्त मंत्रालय दिया गया है। अब तक यह पद पूर्व डेप्युटी सीएम नितिन पटेल के पास था। 2017 के चुनाव के बाद जब वित्त मंत्रालय नहीं मिला तो नितिन पटेल ने कार्यभार संभालने से इनकार कर दिया था। वहीं 50 साल के जीतू चौधरी को फिशरीज विभाग मिला है। वह वलसाड की कपरादा (एसटी) सीट से चुनाव जीते थे।

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कांग्रेस से आए इन चेहरों को जगह
43 साल के अरविंद रैयाणी को ट्रांसपोर्ट, नागरिक उड्डयन और पर्यटन मंत्रालय मिला है। राजकोट पूर्व से वह पहली बार चुनाव जीतकर आए हैं। 62 साल के राघवजी पटेल को कृषि विभाग मिला है। पुराने कांग्रेसी रह चुके पटेल को राज्यसभा चुनाव में अहमद पटेल के खिलाफ वोट देने की वजह से कांग्रेस ने निकाल दिया था। बीजेपी में शामिल होने के बाद उनकी सीट पर 2019 में उपचुनाव हुआ और राघवजी ने जीत हासिल की। कांग्रेस से ही बीजेपी में आने वाले एक और विधायक बृजेश मेरजा को श्रम और रोजगार मंत्रालय मिला है। 2020 में हुए उपचुनाव में उन्होंने मोरबी सीट पर जीत हासिल की थी।

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सबसे कम उम्र के मंत्री हर्ष संघवी
इस सरकार में 36 साल के हर्ष संघवी सबसे कम उम्र के हैं। उन्हें कई महत्वपूर्ण विभाग मिले हैं। अब तक स्वास्थ्य मंत्रालय नितिन पटेल के पास था। अब इसे एक अन्य पाटीदार एमएलए ऋषिकेश पटेल को सौंपा गया है। वह मेहसाणा जिले के विसनगर से आते हैं। 2015 में जब पाटीदार आरक्षण आंदोलन हिंसक हुआ था तो उनके दफ्तर में तोड़फोड़ हुई थी।

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जोखिम भरा एक्सपेरिमेंट
हालांकि चुनाव से महज एक साल पहले पूरी कैबिनेट में बदलाव जोखिम भरा एक्सपेरिमेंट भी हो सकता है। सभी पुराने चेहरों को हटाने के बाद सरकार को जनता के बीच अपनी नई छवि गढ़ने के लिए बहुत ज्यादा वक्त नहीं है। वहीं जातीय संतुलन भी बिगड़ने का खतरा है। जिन समुदायों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिला वे बागी सुर अपना सकते हैं। वहीं पुराने चेहरों के भी चुनावी साल में पार्टी से असंतुष्ट होने का खतरा है। बीजेपी के लिए यह चुनौती तो है ही। सारे नए मंत्री हैं और एक दर्जन तो पहली बार विधायक ही बने हैं। जो दशकों से संसदीय राजनीति करते रहे हैं उन पूर्व मंत्रियों में अंदरखाने असंतोष और नाराजगी तो होगी ही। लिहाजा इस नए सियासी प्रयोग का अंजाम देखना दिलचस्प रहेगा।

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