न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नोएडा
Published by: संजीव कुमार झा
Updated Sun, 22 Aug 2021 02:10 AM IST
सार
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह का शनिवार शाम को निधन हो गया। उन्होंने 89 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली। कल्याण सिंह लंबे समय से बीमार चल रहे थे और लखनऊ के पीजीआई अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था।
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विस्तार
कल्याण सिंह ने राजनीति में अपनी एक अलग छवि बनाई जिससे कई लोगों को उनकी विचारधारा पसंद नहीं आती थी। लेकिन फिर भी उन्हें उनके विरोधी एक दिग्गज नेता के रूप में मानते थे। राम मंदिर आंदोलन में तो उनकी ऐसी सक्रियता रही कि उन्हें अपनी सीएम कुर्सी तक कुर्बान करनी पड़ गई थी। ऐसे में भविष्य में भी कल्याण सिंह के योगदानों को हमेशा याद रखेगा।
दरअसल 90 के दशक में राम मंदिर आंदोलन अपने चरम पर था और इस आंदोलन के सूत्रधार कल्याण सिंह ही थे। उनकी बदौलत यह आंदोलन यूपी से निकला और देखते-देखते पूरे देश में बहुत तेजी से फैल गया। उन्होंने हिंदुत्व की अपनी छवि जनता के सामने रखी। इसके साथ ही उन्हे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का भी साथ मिला जिससे आंदोलन ने और जोर पकड़ लिया। बता दें कि कल्याण सिंह शुरू से आरएसएस के जुझारू कार्यकर्ता थे। इसका पूरा फायदा यूपी में भाजपा को मिला और 1991 में यूपी में भाजपा की सरकार बनी थी।
कल्याण सिंह के नेतृत्व में भाजपा के पास पहला मौका था जब यूपी में भाजपा ने इतने प्रचंड बहुमत से सरकार बनाई थी। जिस आंदोलन की बदौलत भाजपा ने यूपी में सत्ता पाई उसके सूत्रधार कल्याण सिंह ही थे, इसलिए मुख्यमंत्री के लिए कोई अन्य नेता दावेदार थे ही नहीं। उन्हें ही मुख्यमंत्री का ताज दिया गया। कल्याण सिंह के कार्यकाल में सबकुछ ठीक-ठाक चलता रहा। कल्याण सिंह के शासन में राम मंदिर आंदोलन अपने चरम पर पहुंच रहा था। इसका नतीजा यह हुआ कि वर्ष 1992 में बाबरी विध्वंस हो गया।
यह ऐसी घटना थी जिसने भारत की राजनीति को एक अलग ही दिशा दे दी। इसके बाद केंद्र से लेकर यूपी की सरकार की जड़ें हिल गईं। कल्याण सिंह ने इसकी नैतिक जिम्मेदारी ली और 6 दिसंबर 1992 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे के बाद उनका कद और सुदृढ़ और नामचीन हो गया। उनके प्रधानमंत्री तक बनाए जाने की चर्चा चलने लगी।