लंबे समय बाद फिर मोदी के साथ आए नजर, जानिए क्यों आडवाणी के दिल में बसते हैं सोमनाथ – Navbharat Times

नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गुजरात के सोमनाथ मंदिर से जुड़े कई प्रोजेक्ट की शुरुआत की। इस दौरान इस कार्यक्रम में लालकृष्ण आडवाणी भी नजर आए। वो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस कार्यक्रम में जुड़े। लंबे समय बाद वो किसी कार्यक्रम में नजर आए। सोमनाथ मंदिर से लालकृष्ण आडवाणी की भी कई यादें जुड़ी हैं।

सोमनाथ मंदिर से रथ यात्रा की शुरुआत
सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट 8 सदस्यों का ट्रस्टी बोर्ड है। लालकृष्ण आडवाणी भी इसके सदस्य हैं। लालकृष्ण आडवाणी 25 सितंबर 1990 को सोमनाथ से ही अपने रथ यात्रा शुरू की। यात्रा के सोमनाथ से शुरू होने पर तब संयोजन की जिम्मेदारी मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास थी। आडवाणी ने अपनी इस यात्रा को सोमनाथ से अयोध्या तक भगवान राम के नाम पर एकजुट करने वाली यात्रा बताया था। सोमनाथ मंदिर में आडवाणी ने पहले पूजा की और फिर अयोध्या तक की यात्रा पर निकले। 23 अप्रैल 1999 से ही पूर्व उप प्रधानमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी सोमनाथ ट्रस्ट के ट्रस्टी हैं।



सोमनाथ मंदिर का आत्मकथा में कुछ ऐसे जिक्र
सोमनाथ मंदिर के लिए आडवाणी के मन में कितनी गहरी आस्था है, इसका पता उनकी आत्मकथा से चलता है। ‘मेरा देश, मेरा जीवन’ में लालकृष्ण आडवाणी ने कई पन्ने सोमनाथ के ऊपर लिखे हैं। उन्होंने यह भी जिक्र किया है कि आखिर कब और कैसे उनके दिल पर सोमनाथ की यह अमिट छाप पड़ी। वे लिखते हैं, ‘अयोध्या राम मंदिर आंदोलन को उसके सही परिप्रेक्ष्य में समझने के लिए जरूरी है कि पहले स्वतंत्र भारत में एक अन्य प्रसिद्ध मंदिर के पुनरुद्धार के बारे में जान लिया जाए। यहां मेरा अभिप्राय गुजरात के सौराष्ट्र तट पर स्थित प्रभास पाटन के सोमनाथ मंदिर से है। जिन्हें भारत के पौराणिक और ऐतिहासिक अतीत की जानकारी नहीं है, उनके लिए यह विश्वास कर पाना कठिन होगा कि किस प्रकार एक अकेला तटीय मंदिर भारत के संघर्ष, पीड़ा, विजय तथा उसके राष्ट्रीय स्वाभिमान की गाथा सुनाता है। अपनी युवावस्था में मैंने डॉ. कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी का एक ऐतिहासिक उपन्यास ‘जय सोमनाथ’ पढ़ा था, जिसका मेरे ऊपर गहरा प्रभाव पड़ा। यह उपन्यास मूलरूप से गुजराती भाषा में है, मैंने इसका हिंदी अनुवाद पढ़ा था। उस समय मेरी आयु बीस-बाइस साल रही होगी।’

अयोध्या के लिए यात्रा की शुरुआत सोमनाथ से ही क्यों

रथ यात्रा सोमनाथ से ही क्यों शुरू की इसके बारे में लालकृष्ण आडवाणी ने कहा था कि 80 के दशक में जब अयोध्या मामला राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र तक पहुंच गया तो उस समय मेरे मस्तिष्क में महात्मा गांधी, सरदार पटेल, राजेंद्र प्रसाद और केएम मुंशी की एक-एक बात और कार्य गूंजने लगे, जो उन्होंने सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण के सपने को साकार करते समय कहे थे और किए थे। वस्तुत अयोध्या आंदोलन सोमनाथ से जुड़ी हमारी भावना का ही हिस्सा था। वर्ष 1990 में भाजपा ने जब यह निर्णय लिया की पार्टी के अयोध्या में राम मंदिर के पुनर्निर्माण हेतु जनता का समर्थन प्राप्त करने के लिए मैं पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते राम रथयात्रा का नेतृत्व स्वयं करूं। यह ऐतिहासिक यात्रा प्रारंभ करने के लिए सोमनाथ से अधिक उपयुक्त स्थान और कोई नहीं था।

अस्तित्व मिटाने की हर कोशिश नाकाम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमनाथ में कई परियोजनाओं का उद्धाटन किया। इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि आज मैं लौह पुरुष सरदार पटेल जी के चरणों में भी नमन करता हूं जिन्होंने भारत के प्राचीन गौरव को पुनर्जीवित करने की इच्छाशक्ति दिखाई। इस मंदिर को सैकड़ों सालों के इतिहास में कितनी ही बार तोड़ा गया, यहां की मूर्तियों को खंडित किया गया, इसका अस्तित्व मिटाने की हर कोशिश की गई। लेकिन इसे जितनी भी बार गिराया गया, ये उतनी ही बार उठ खड़ा हुआ।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्व प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर का प्रबंधन संभालने वाले न्यास के अध्यक्ष भी हैं। वह इस पद पर आसीन होने वाले दूसरे प्रधानमंत्री हैं। पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के बाद मोदी दूसरे ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्हें इस मंदिर न्यास का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। न्यास के रिकार्ड के अनुसार मोदी न्यास के आठवें अध्यक्ष बने हैं।

advani modi somnath


Related posts