तालिबानी हुकूमत LIVE: काबुल तक खिलाफत की आवाज पहुंचने से तालिबान परेशान, अफगानिस्तान के इमामों से की अपील- … – Dainik Bhaskar

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नई दिल्ली9 मिनट पहले

फोटो काबुल की है जहां लोगों ने गुरुवार को राष्ट्रीय ध्वज लेकर प्रदर्शन किया। गुरुवार को अफगानिस्तान का स्वतंत्रता दिवस भी था।

अफगानिस्तान में पंजशीर से शुरू हुआ तालिबान की खिलाफत का सिलसिला राजधानी काबुल तक पहुंचने से तालिबानी परेशान नजर आ रहे हैं। विरोध के स्वरों को दबाने के लिए अब उसने अफगानिस्तान के इमामों से अपील की है कि लोगों को समझाकर एकजुट करें। तालिबान की चिंता इसलिए बढ़ गई है, क्योंकि अफगानिस्तान का राष्ट्रीय ध्वज लेकर प्रदर्शन करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही हैं। तालिबान ने दो दिन पहले जलालाबाद में प्रदर्शन कर रहे लोगों पर गोलियां भी चलाईं, लेकिन विरोध कम नहीं हो रहा। गुरुवार को काबुल में भी लोगों ने अफगानी झंडे के साथ प्रदर्शन किया है।

भारतीय कॉन्सुलेट तक पहुंचे तालिबानी लड़ाके
तालिबान ने दावा किया था कि किसी भी देश के दूतावास को निशाना नहीं बनाया जाएगा, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि तालिबान ने कंधार और हेरात में भारतीय कॉन्सुलेट की तलाशी ली है। तालिबानियों ने बुधवार को दोनों कॉन्सुलेट में पहुंचकर दस्तावेज खंगाले और वहां खड़ी कारें भी ले गए।

अपडेट्स

  • अमेरिका ने बीते दिन काबुल एयरपोर्ट से 16 उड़ानों में 3000 लोगों को निकाला है। इनमें अमेरिकियों के साथ-साथ अफगानी लोग भी शामिल हैं। अमेरिका का कहना है कि 14 अगस्त से अब तक 9000 लोगों को काबुल से निकाला जा चुका है।
  • अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने अफगानिस्तान के हालात पर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से बात की है। इस दौरान दोनों ने सहमति जताई कि लोगों को अफगानिस्तान से निकालने के लिए को-ऑर्डिनेशन जारी रखेंगे।
  • अमेरिकी विदेश मंत्री ने अफगानिस्तान को लेकर नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन (NATO) के महासचिव जेंस स्लोलटनबर्ग से भी बात की है। NATO के विदेश मंत्रियों की आज वर्चुअल मीटिंग भी होनी है।
  • तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा है कि अफगानिस्तान में शांति और सहयोग में चीन ने अहम भूमिका निभाई है और अफगानिस्तान के विकास में योगदान देने के लिए चीन का स्वागत करते हैं।

अमेरिका का साथ देने वाले अफगानियों को घर-घर तलाश रहा तालिबान
तालिबान भले ही दावा करे कि वह किसी से बदला नहीं लेगा, लेकिन संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक रिपोर्ट में हकीकत सामने आ गई है। इस रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि अमेरिका या उसकी अगुवाई वाली NATO सेना का साथ देने वाले अफगानियों की खोज में तालिबान घर-घर जाकर तलाशी ले रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि तालिबान ने उन लोगों की लिस्ट तैयार की जिन्हें वह गिरफ्तार करना चाहता है। साथ ही इन लोगों को धमकी दे रहा है कि वे सामने नहीं आए तो उनके परिवार के लोगों को मार दिया जाएगा या गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

तालिबान ने जर्मन चैनल से जुड़े पत्रकार के परिजन की हत्या की
अफगानिस्तान पर काबिज तालिबान पत्रकारों और उनके परिवारों को लगातार निशाना बना रहा है। ताजा मामला जर्मन न्यूज चैनल DW से जुड़े एक अफगानी पत्रकार का है। इस पत्रकार को काबुल में घर-घर जाकर तलाश रहे तालिबान ने बौखलाहट में पत्रकार के परिवार के एक सदस्य की हत्या कर दी और दूसरे को गंभीर रूप से जख्मी कर दिया है। पत्रकार के परिवार के बाकी लोग पिछले महीने किसी तरह बच निकले थे।

DW के डायरेक्टर जनरल पीटर लिमबर्ग का कहना है कि तालिबान की क्रूरता से पता चलता है कि अफगानिस्तान में हमारे कर्मचारी और उनके परिवार कितना खतरा महसूस कर रहे हैं। यह साफ हो गया है कि तालिबान पहले से ही काबुल और दूसरे शहरों में पत्रकारों को तलाश कर उन्हें निशाना बना रहा है।

निजी चैनल का एक पत्रकार तालिबान कब्जे में होने की आशंका
लिमबर्ग का कहना है कि पिछले कुछ हफ्तों में तालिबान ने DW के कम से कम तीन पत्रकारों के घरों पर छापेमारी की है। आशंका है कि तालिबान ने निजी चैनल घरगाश्त टीवी के नेमातुल्ला हेमत का अपहरण कर लिया है। सरकारी अधिकारियों के मुताबिक तालिबान ने पिछले दिनों पक्तिया घाग रेडियो के प्रमुख तूफान उमर की भी हत्या कर दी थी।

तालिबान ने जर्मनी के डाई जीट अखबार से जुड़े ट्रांसलेटर अमदादुल्लाह हमदर्द की भी 2 अगस्त को जलालाबाद में गोली मारकर हत्या कर दी थी। वहीं भारत के पुलित्जर अवॉर्डी फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी की मौत भी तालिबान की गोलियां लगने से हुई थी।

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तालिबान के खौफ से काबुल एयरपोर्ट पर हाहाकार
तालिबान के खौफ से काबुल एयरपोर्ट पर अफरातफरी लगातार बनी हुई है। लोग देश छोड़ने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। एयरपोर्ट से लगातार ऐसी तस्वीरें सामने आ रही हैं जिनमें लोग अमेरिकी सैनिकों के सामने रोते-बिलखते दिख रहे हैं। वे कह रहे हैं कि उन्हें अंदर जाने दें, नहीं तो तालिबान मार देगा। यहां तक कि कई लोग अपने बच्चों को दीवार के ऊपर से फेंककर एयरपोर्ट के अंदर दाखिल करवा रहे हैं।

अशरफ गनी सरकार और सेना को लगातार कमजोर कर रहे थे
अफगानिस्तान में तालिबानी एक के बाद एक प्रांत बिना ज्यादा मशक्कत के जीत रहे थे। उधर, सेना के कमांडर हथियार रख रहे थे। आखिर किसके कहने पर सेना ने हथियार डाले? किसी को कानों कान भनक तक नहीं हुई और देश के राष्ट्रपति अशरफ गनी भाग खड़े हुए हुए। इसको लेकर लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं। इस बारे में JNU में साउथ एशियन स्टडीज डिपार्टमेंट के प्रोफेसर संजय कुमार भारद्वाज कहते हैं, ‘दो बातें तो साफ हैं, अशरफ गनी कई सालों से तालिबान से नेगोशिएशन कर रहे थे। दूसरी बात उन्हें अफगानिस्तान से निकलने का सेफ पैसेज तालिबानियों ने मुहैया करवाया।’ पूरी खबर पढ़िए…

तालिबान ने एक पुलिस अफसर को गोलियों से भूना
अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान का क्रूर चेहरा हर दिन सामने आ रहा है। तालिबान ने बदगीस प्रांत के पुलिस प्रमुख हाजी मुल्ला को सरेआम गोलियों ने भून डाला। हाजी मुल्ला ने कुछ दिन पहले ही तालिबान के सामने सरेंडर किया था।

इस घटना का वीडियो सामने आया है। इसमें तालिबानियों ने हाजी मुल्ला को उनके दोनों हाथ बांधकर घुटनों के बल किसी सुनसान जगह पर बैठा रखा है। तालिबानी स्थानीय भाषा में कुछ बोल रहे हैं। कुछ देर बाद हाजी मुल्ला पर दनादन गोलियां दाग दी जाती हैं।

तालिबान के कब्जे को लेकर अमेरिकी दूतावास ने जुलाई में ही अलर्ट किया था
तालिबान ने 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा किया था, लेकिन काबुल स्थित अमेरिकी दूतावास के अधिकारियों ने अमेरिका सरकार को जुलाई में ही बता दिया था कि अफगानिस्तान सरकार गिरने वाली है। अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी अफसरों ने 13 जुलाई को सीक्रेट चैनल के जरिए अमेरिकी विदेश सचिव एंटनी ब्लिंकन को जानकारी भेजी थी कि तालिबान तेजी से बढ़ रहा है और अफगानी सुरक्षाबल कमजोर हो रहे हैं। इसलिए लोगों को यहां से निकालने में तेजी लानी चाहिए।

अमेरिकी अफसरों ने सलाह दी थी कि अमेरिका की मदद करने वाले अफगानियों के डेटा जुटा लेने चाहिए। साथ ही कहा था कि लोगों को निकालने का प्रोसेस 1 अगस्त तक शुरू हो जाए, इससे ज्यादा देरी नहीं होनी चाहिए।

तालिबान से जंग के लिए अहमद मसूद की अगुआई में लड़ाकों की ट्रेनिंग जारी
अफगानिस्तान में तालिबानी राज के खिलाफ बगावत शुरू हो गई है। दिन-ब-दिन बढ़ रही तालिबान की ज्यादतियों के खिलाफ 25 साल पुराना नॉर्दन अलायंस एकजुट हो रहा है और लड़ाकों को ट्रेनिंग दी जा रही है। पंजशीर का शेर कहे जाने वाले अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद ने अमेरिका से भी मदद मांगी है। पूरी खबर पढ़िए…

तालिबान विरोधी प्रदर्शनों के बाद खोस्त प्रांत में कर्फ्यू लगाया
अफगानिस्तान के खोस्त प्रांत में हुए प्रदर्शन के बाद तालिबान ने वहां कर्फ्यू लगा दिया है। तालिबानी लड़ाके यहां सर्च ऑपरेशन चला कर पता कर रहे हैं कि उनका विरोध करने वाले लोग कौन-कौन हैं। बता दें खोस्त के लोग तालिबान के खिलाफ रहे हैं, हालांकि अब यह तालिबान के कब्जे में ही है।

तालिबान के कर्फ्यू की घोषणा के बाद गुरुवार को खोस्त के मुख्य बाजार में सन्नाटा छाया रहा।

तालिबान के कर्फ्यू की घोषणा के बाद गुरुवार को खोस्त के मुख्य बाजार में सन्नाटा छाया रहा।

स्वतंत्रता दिवस के दिन लोगों ने राष्ट्रीय झंडा फहराया, तालिबान ने 2 को गोली मारी
तालिबान ने 15 अगस्त को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर अपना झंडा गाड़ दिया। इसके ठीक पांचवें दिन यानी 19 अगस्त को अफगानिस्तान अपनी आजादी मना रहा था। इस मौके पर कई इलाकों में तालिबानी हुकूमत के खिलाफ प्रदर्शन हुए और लोगों ने अफगानिस्तान का राष्ट्रीय ध्वज लहराया। इससे बौखलाए तालिबान ने भीड़ पर फायरिंग कर दी। इस हिंसा में दो लोगों की मौत हो गई।

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