तालिबान के सुर में सुर मिला रहे चीन और पाकिस्तान, ‘आतंक की सरकार’ को देंगे मान्यता? – Navbharat Times

हाइलाइट्स

  • अफगानिस्तान में 20 साल बाद लौटता दिख रहा तालिबान का शासन
  • चीन, पाकिस्तान, रूस और तुर्की दे सकते हैं तालिबानी राज को मान्यता
  • ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने दी चेतावनी- फिर से नहीं बनने देंगे आतंक का गढ़

काबुल
अफगानिस्तान में तालिबानी शासन लौटता दिख रहा है। इस बीच खबर आई कि चीन, रूस, पाकिस्तान और तुर्की सभी पड़ोसी अफगानिस्तान में तालिबान शासन को औपचारिक रूप से मान्यता देने के लिए इच्छुक हैं। रविवार को तालिबान काबुल में घुस गया और राष्ट्रपति महल पर कब्जा कर लिया। जैसे ही लड़ाके देश की राजधानी में दाखिल हुए राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग गए। ज्यादातर देश आतंकवादी समूह के शासन को मान्यता नहीं देना चाहते हैं।

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ब्रिटेन ने दी चेतावनी
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने चेतावनी दी है कि अफगानिस्तान को फिर से ‘आतंक के गढ़’ बनने की अनुमति नहीं दी सकती है। हालांकि कुछ देश तालिबान के सुर में सुर मिलाने के लिए तैयार हैं। बीजिंग और इस्लामाबाद तालिबान सरकार के साथ अपने संबंध मजबूत करने के लिए तैयार हैं। चीनी सरकारी मीडिया अपने लोगों को इसके लिए तैयार कर रहा है कि सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी को तालिबान को मान्यता देनी पड़ सकती है।

तालिबानी अधिकारियों से मिला चीन
चीन में पिछले महीने सरकारी मीडिया ने कुछ तस्वीरें जारी की थीं जिसमें विदेश मंत्री वांग यी को तालिबान के अधिकारियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े देखा जा सकता था। चीन और रूस ने कहा है कि उसकी काबुल में रूसी दूतावास को खाली करने की कोई योजना नहीं है। रूसी सरकारी मीडिया ने बताया कि तालिबान ने राजनयिक कर्मचारियों की सुरक्षा की गारंटी देने का वादा किया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा है कि रूस के साथ संगठन के ‘अच्छे’ संबंध हैं। वहीं जुलाई में वार्ता के दौरान संकट को समाप्त करने में मदद की पेशकश के बाद ईरान भी अपने राजनयिकों और कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आगे कदम बढ़ा रहा है।

ईरान ने दूतावास में कम किए कर्मचारी
ईरान ने अफगानिस्तान में अपनी राजनयिक उपस्थिति कम कर दी है। ईरान के विदेश मंत्रालय ने रविवार को कहा कि काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद दूतावास में न्यूनतम कर्मचारियों की संख्या मौजूद है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सईद खतीबजादेह ने एक बयान में कहा कि काबुल में ईरान के दूतावास में कर्मचारियों की संख्या कम की गई है। बता दें कि तालिबान ने कहा है कि अफगानिस्तान में सत्ता हस्तांतरण के लिए कोई भी अंतरिम सरकार नहीं बनाई जाएगी। उन्होंने कहा कि वे अफगानिस्तान पर पूर्ण नियंत्रण करने जा रहे हैं।












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