पीएम मोदी ने लॉन्च की Vehicle Scrappage Policy, जानिए आपकी गाड़ी पर क्या होगा असर – Hindustan

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को वाहन कबाड़ नीति (Vehicle Scrappage Policy) को लॉन्च किया है। इस अवसर पर मोदी ने कहा कि यह पॉलिसी भारत के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण। मोदी ने ट्विटर पर ट्वीट करा लॉन्च के बारे में जानकारी दी और युवाओं और स्टार्ट-अप्स को इस प्रोग्राम  में शामिल होने के लिए आग्रह किया। पीएम मोदी ने ट्वीट कर लिखा कि व्हीकल स्क्रैपेज पॉलिसी का आज शुभारंभ हो गया है। उन्होंने गुजरात में होने वाले इन्वेस्टर समिट में कहा कि इस पॉलिसी के आने से युवाओं को नौकरी मिलेगी और स्टार्टअप्स को बिज़नेस करने का मौका मिलेगा। मैं अपने युवाओं और स्टार्ट-अप से इस कार्यक्रम में शामिल होने का अनुरोध करता हूं।

उन्होंने आगे कहा कि व्हीकल स्क्रैपेज पॉलिसी प्रदूषणकारी वाहनों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने में मदद करेगी। वाहनों को स्क्रैप करने से पर्यावरण के अनुकूल तरीके से अनुपयुक्त और प्रदूषणकारी वाहनों को हटाया जा सकेगा। हमारा उद्देश्य एक circulareconomy बनाना है। इससे पहले गुरुवार को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि पीएम मोदी गुजरात के गांधीनगर में ‘इन्वेस्टर्स समिट फॉर व्हीकल स्क्रैपिंग इंफ्रास्ट्रक्चर’ के दौरान नेशनल ऑटोमोबाइल स्क्रैपेज पॉलिसी लॉन्च करेंगे। वाहन स्क्रैपिंग नीति का उद्देश्य पर्यावरण को अनुकूल और सुरक्षित तरीके से अनुपयुक्त और प्रदूषणकारी वाहनों को हटाने के लिए तंत्र है। 

ये भी पढ़ें:- कन्फर्म: Royal Enfield की नई Classic 350 इस तारीख को होगी लॉन्च, पढ़ें कीमत और फीचर्स की पूरी डिटेल

क्या है स्क्रैप पॉलिसी?
इस नई स्क्रैप पॉलिसी के मुताबिक 15 और 20 साल पुरानी गाड़ियों को स्क्रैप (कबाड़) कर दिया जाएगा। कमर्शियल गाड़ी जहां 15 साल बाद कबाड़ घोषित हो सकेगी, वहीं निजी गाड़ी के लिए यह समय 20 साल है। अगर सीधे शब्दों में कहें तो आपकी 20 साल पुरानी निजी कार को रद्दी माल की तरह कबाड़ी में बेच दिया जाएगा। वाहन मालिकों को तय समय बाद ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर ले जाना होगा। सरकार का दावा है कि स्क्रैपिंग पॉलिसी से वाहन मालिकों का न केवल आर्थिक नुकसान कम होगा, बल्कि उनके जीवन की सुरक्षा हो सकेगी। सड़क दुर्घटनाओं में भी कमी होगी।

नई स्क्रैपिंग पॉलिसी लाने की जरूरत क्यों पड़ी?
इस सवाल के जवाब में 1988 बैच के आंध्र प्रदेश काडर के वरिष्ठ आईएएएस अफसर और सेक्रेटरी गिरिधर अरमाने ने कई फायदे गिनाए। उन्होंने कहा, “एक आंकड़े के मुताबिक, पुरानी कार चलाने पर एक व्यक्ति को हर साल 30 से 40 हजार तो एक ट्रक मालिक को सालाना, दो से तीन लाख रुपये का नुकसान होता है। स्क्रैपिंग पॉलिसी से यह आर्थिक नुकसान कम होगा। देश में फिलहाल 50-60 लाख पुराने वाहन रजिस्टर्ड हैं। कुछ पहले ही स्क्रैप्ड हो चुके हैं। स्क्रैपिंग पॉलिसी से अलगे चार साल में सिर्फ 15 से 20 लाख नए वाहनों की ही सेल होगी। इसे मैं ऑटो इंडस्ट्री को बड़े लाभ के तौर पर नहीं देखता।”

ये भी पढ़ें:- पुणे के स्टूडेंट्स ने बनाई बिना ड्राइवर के चलने वाली इलेक्ट्रिक कार, सिंगल चार्ज में चलती है इतने Km

खतरनाक हैं पुरानी गाड़ियां
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के सचिव ने नई स्क्रैंपिंग पॉलिसी लाने के पीछे दूसरे प्रमुख कारण के तौर पर सुरक्षा का हवाला देते कहा कि 15 से 20 साल पुराने वाहनों में सीट बेल्ट और एयरबैग आदि नहीं होते। जिससे ऐसे वाहनों में सफर जानलेवा होता है। नए वाहनों में कहीं ज्यादा सुरक्षा मानकों का पालन होता है। नए वाहनों से होने वाले एक्सीडेंट में हेड इंजरीज की दर भी कम है। इस प्रकार 15 से 20 साल पुराने वाहनों को स्क्रैप्ड कर नए वाहन लेने के लिए लोगों को प्रेरित करने का मकसद है, पुराने वाहनों पर ग्रीन टैक्स लगाने के लिए हम राज्यों को प्रेरित कर रहे हैं।

 

Related posts