तालिबान के हाथों अफगानिस्‍तान की बर्बादी कैसे रोकी जाए? दोहा में भारतीय डिप्‍लोमेट्स बना रहे खास प्‍लान – Navbharat Times

हाइलाइट्स

  • अफगानिस्‍तान में बढ़ता ही जा रहा तालिबान का कब्‍जा, अब कंधार भी गया
  • तालिबान-अफगानिस्‍तान को लेकर दोहा में क्षेत्रीय सम्‍मेलन में भारत शामिल
  • सैन्‍य हल नहीं निकलेगा, बातचीत से ही सुलझ पाएगा संघर्ष, भारत ने कहा
  • ट्रोइका बैठक से भारत को दूर रखा गया, उसमें पाकिस्‍तान भी शामिल रहा

नई दिल्‍ली
अफगानिस्‍तान के भीतर तालिबान के बढ़ते प्रभाव के बीच शांति समझौते की कोशिशें जारी हैं। कतर के दोहा में भारतीय प्रतिनिधिमंडल गुरुवार को एक क्षेत्रीय कॉन्‍फ्रेंस में शामिल हुआ। भारत का ऐसे किसी कदम का हिस्‍सा बनना इसलिए भी अहम है क्‍योंकि उसे एक दिन पहले ट्रोइका बैठक से अलग रखा गया था। ट्रोइका में रूस, अमेरिका, चीन और पाकिस्‍तान ने अफगानिस्‍तान के हालात पर चर्चा की थी। उधर, कथित रूप से विदेशी आतंकियों की मदद के साथ तालिबान ने कंधार पर भी कब्‍जा कर लिया है। आतंकवादी काबुल की ओर कूच कर रहे हैं।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि एक राजनीतिक हल निकालने की कोशिश में भारत की अहम भूमिका है। तालिबान को लेकर भारत की अपनी चिंताएं हैं, मगर अफगानिस्‍तान में शांति की हर कोशिश का भारत ने समर्थन किया है। दोहा बैठक से एक दिन पहले, संसद में सरकार ने कहा कि वह शांति के लिए अफगानिस्‍तान और उसके बाहर कई हितधारकों के संपर्क में है।

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दोहा बैठक में इस बात पर सब रजामंद थे कि अफगानिस्‍तान में कोई सैन्‍य हल नहीं हो सकता। अफगानिस्‍तान के चीफ नेगोशिएटर अब्‍दुल्‍ला अब्‍दुल्‍ला के अनुसार, वे ताकत के बल पर किसी की सत्‍ता को स्‍वीकार नहीं करेंगे। बैठक चल ही रही थी कि अब्‍दुल्‍ला ने संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद का तत्‍काल सत्र बुलाने की मांग रखी। सदस्‍यों ने तालिबान के बढ़ते हमलों, युद्ध अपराधों और मानवाधिकार उल्‍लंघनों पर भी चिंता जताई।

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विदेश मंत्रालय (MEA) में पाकिस्तान-अफगानिस्तान-ईरान डिविजन में संयुक्त सचिव जेपी सिंह ने बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व किया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बताया कि कतर के विशेष दूत मुतलाक बिन माजिद अल-काहतानी ने पिछले सप्ताह दिल्‍ली दौरे के दौरान भारत को बैठक में शामिल होने का आमंत्रण दिया था।












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अपने दौरे पर कहतानी ने एक अंतरिम राजनीतिक समझौते की जरूरत बताई थी ताकि अफगानिस्‍तान में हिंसा रोकी जा सकी। कतर ने इस बात पर भी चिंता जताई थी कि तालिबान और अफगानिस्‍तान के बीच चल रही दोहा शांति प्रक्रिया को कुछ बाहरी ताकतें प्रभावित कर सकती हैं।

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कतर ने सीधे तौर पर पाकिस्‍तान का नाम तो नहीं लिया, अफगानिस्‍तान की सरकार ज्‍यादा मुखर रही है। भारत के विदेश मंत्रालय ने उन रिपोर्ट्स पर कुछ नहीं कहा जिनमें दावा किया गया था कि पाकिस्‍तान के कई आतंकियों ने तालिबान की मदद की है। मगर इस साल कई बार आतंकी समूहों की भूमिका को लेकर चिंता जाहिर की।



अफगान शांति वार्ता के लिए दोहा में मौजूद भारतीय प्रतिनिधिमंडल। (फोटो: रॉयटर्स)

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