कल मर्यादा तार-तार, आज राज्यसभा में बोलते हुए छलक आए सभापति वेंकैया नायडू के आंसू – Navbharat Times

हाइलाइट्स

  • राज्‍यसभा में विपक्ष सदस्‍यों के व्‍यवहार से सभापति बेहद दुखी नजर आए
  • कार्यवाही शुरू होते ही एम. वेकैया नायडू ने भावुक होकर बयान पढ़ा
  • मंगलवार को राज्‍यसभा में हुआ था बेहद हंगामा, मेज पर चढ़ गए सांसद
  • नायडू ने कहा- टेबल एरिया को सदन का गर्भगृह माना जाता है

नई दिल्ली
राज्यसभा में कुछ विपक्षी सांसदों के अमर्यादित आचरण के कारण सभापति एम. वेंकैया नायडू इतने आहत हैं कि उन्होंने आज सदन की कार्यवाही शुरू होते ही बयान पढ़कर इसकी भर्त्सना की। उन्होंने काफी कड़ी शब्दों वाले बयान को खड़े होकर पढ़ा। इस दौरान वो काफी भावुक हो गए और लगभग रो पड़े।

कहा जा रहा है कि सभापति कल सदन में हंगामा करने वाले विपक्षी सांसदों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे। सूत्रों के मुताबिक, गृह मंत्री अमित शाह, सदन के नेता पीयूष गोयल और अन्य बीजेपी सांसदों ने आज सुबह वेंकैया नायडू से मुलाकात की है। ध्यान रहे कि कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने राज्यसभा में मेज पर खड़े होकर रूल बुक फेंक दिया। वहीं, आप सांसद संजय सिंह ने जमीन पर बैठकर खूब नारेबाजी की।

जो हुआ, उसकी निंदा के लिए शब्‍द नहीं: नायडू
उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति एम वेंकेया नायडू ने कल की घटना पर क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा कि कल जो कुछ सदन में हुआ, उसकी निंदा करने के लिए उनके पास शब्द नहीं हैं। उन्होंने कहा कि संसद लोकतंत्र का सर्वोच्च मंदिर होता है और इसकी पवित्रता पर आंच नहीं आने देना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘मैं बहुत दुख के साथ यह कहने के लिए खड़ा हुआ हूं कि इस सदन की गरिमा जिस तरह से भंग की गई और वो भी प्रतिद्वंद्विता की भावना से, वह बहुत चिंताजनक है। मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे जैसे विभिन्न धर्मों के पवित्र स्थल हैं, वैसे ही देश के लोकतंत्र का मंदिर है हमारी संसद। टेबल एरिया, जहां महासचिव और पीठासीन पदाधिकारी बैठते हैं, उसे सदन का गर्भगृह माना जाता है।’



सभापति एम. वेंकैया नायडू

उच्च सदन में गिरावट लगातार जारी है। कांग्रेस वहां नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में है। सदन को नहीं चलने देना, मंत्री के हाथ से कागज छीनकर फाड़े गए। कल तो आसन्दी पर पुस्तकें फेंकी गई। निंदा के लिए शब्द नहीं हैं।
प्रहलाद सिंह पटेल, केंद्रीय मंत्री

‘सरकार को मजबूर नहीं कर सकते’
विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दलों के सदस्यों की ओर से आसन के समक्ष आ कर हंगामा किए जाने का संदर्भ देते हुए सभापति ने कहा कि संसदीय परंपराओं को ताक पर रखने के लिए मानो होड़ सी मची हुई है। उन्होंने कहा कि कल जो अप्रिय घटना हुई, उस समय सदन में कृषि क्षेत्र की समस्याओं और उनके समाधान पर चर्चा हो रही थी जो एक महत्वपूर्ण विषय है। नायडू ने हंगामे का संदर्भ देते हुए कहा कि सदस्य सरकार को अपनी मांग को लेकर बाध्य नहीं कर सकते।

फिर भी नहीं थम सका हंगामा
सभापति अपनी बात कह रहे थे, इसी दौरान विपक्षी सदस्यों ने अपने अपने मुद्दों पर चर्चा की मांग को लेकर हंगामा शुरू कर दिया। हंगामे के चलते सभापति ने बैठक शुरू होने के करीब पांच मिनट बाद ही कार्यवाही दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी। इससे पहले आज राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष के चैंबर में राज्यसभा और लोकसभा में विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक हुई। कहा जा रहा है कि विपक्षी सांसदों ने अपनी आगे की रणनीति पर चर्चा की।

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बयान पढ़ने के दौरान हंगाम कर रहे विपक्षी सांसदों को समझाते सभापति वेंकैया नायडू।

जो पार्टी 2 वर्ष तक अपना अध्यक्ष न चुन पाए, जिस पार्टी के सांसद अपनी ही सरकार के बिल फाड़ दें। जो पार्टी सदन न चलने दे, जो सड़क पर भी कोई करने से शर्म महसूस करे वैसा काम सदन में करे।समझ सकते हैं कि लोकतंत्र को कितना शर्मसार करने का काम किया जा रहा है। जनता ने जिन्हें अपने मुद्दे उठाने के लिए सांसद बनाकर भेजा है वो चर्चा में भाग न लेकर चीर-फाड़ करने तक आए हैं, फाइलें फेंकने तक आए हैं। कल जो हुआ वो एक के बाद दूसरी शर्मसार करने वाली घटना थी।
अनुराग ठाकुर, कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा के राज्यसभा में रूल बुक फेंकने पर

मंगलवार को राज्यसभा के आरजेडी सांसद मनोज झा ने हुए हंगामे के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने कहा, ‘किसान आंदोलन 9वें महीने में जा चुका है। हम हाथ जोड़कर विनती करते रहे हैं, इन कानूनों की वापसी पर चर्चा हो। अगर संसद सड़क पर बैठे किसानों की पीड़ा नहीं समझ रही यानी संसद की गरिमा का सत्ता प्रतिष्ठान को ख्याल नहीं है।’

वहीं, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी विपक्ष पर किसानों के नाम पर कोरी राजनीति करने का आरोप मढ़ा। उन्होंने मंगलवार को कहा, ‘अगर कांग्रेस, टीएमसी, आप के मन में किसानों के प्रति चिंता होती तो वो सभी चीज़ों को छोड़कर अपने सुझाव और विचार रखते। राज्यसभा में कृषि पर चर्चा शुरू ही हुई थी लेकिन कांग्रेस, टीएमसी, आप का जो अलोकतांत्रिक रवैया रहा… उसकी मैं भर्त्सना करता हूं। कृषि के क्षेत्र में पीएम मोदी ने 2014 के बाद लगातार जो प्रयत्न किए हैं उससे लगातार कृषि का क्षेत्र आगे बढ़ रहा है।’

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राज्यसभा में अपना बयान पढ़ते सभापति एम. वेंकैया नायडू।

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