लू, बाढ़ और सूखे की समस्याएं बढ़ाएंगी भारत की परेशानी, जलवायु परिवर्तन पर आईपीसीसी की रिपोर्ट में चेतावनी – Hindustan

जलवायु परिवर्तन का संकट तेजी से बढ़ता जा रहा है। अगर अब भी नहीं संभले तो सबकुछ तबाह हो जाएगा। न जीवन बचेगा, न आजीविका और न ही प्राकृतिक आवास। यह चेतावनी पर्यावरण विशेषज्ञों ने सोमवार को पूरी दुनिया के लिए जारी की। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन जारी है और कोई भी सुरक्षित नहीं है। आईपीसीसी की ताजा रिपोर्ट में भारत को भी अलर्ट किया गया है। कहा गया है कि हिंद महासागर, दूसरे महासागर की तुलना में तेजी से गर्म हो रहा है। इसके साथ ही, वैज्ञानिकों ने आगाह किया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण भारत को लू और बाढ़ के खतरों का सामना करना पड़ेगा। रिपोर्ट के अनुसार दो डिग्री तापमान बढ़ने पर भारत, चीन और रूस में गर्मी का प्रकोप बहुत बढ़ जाएगा।

बढ़ जाएंगे नैचुरल डिजास्टर
जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा नियुक्त अंतरसरकारी समिति (आईपीसीसी) की छठी मूल्यांकन रिपोर्ट (एआर6) ‘क्लाइमेट चेंज 2021: द फिजिकल साइंस बेसिस जारी हुई है। इसमें कहा गया है कि समुद्र के गर्म होने से जल स्तर बढ़ेगा जिससे तटीय क्षेत्रों और निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा भी बढ़ेगा। आईपीसीसी रिपोर्ट के लेखकों में शामिल डॉ. फ्रेडरिक ओटो ने कहा कि भारत में लू का प्रकोप बढ़ेगा। इसके अलावा उन्होंने एयर पॉल्यूशन में इजाफे की बात भी कही। डॉ. फ्रेडरिक ने कहा कि हम गर्म हवा के थपेड़े, भारी वर्षा की घटनाओं और हिमनदों को पिघलता हुआ भी देखेंगे, जो भारत जैसे देश को काफी प्रभावित करेगा। समुद्र के स्तर में वृद्धि से कई प्राकृतिक घटनाएं होंगी, जिसका मतलब उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के आने पर बाढ़ आ सकती है। यह सारी समस्याएं आने वाले वक्त में देखने को मिलेंगी।

50 फीसदी तक बढ़ जाएगा समुद्री जलस्तर
भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) में वैज्ञानिक और रिपोर्ट की लेखिका स्वप्ना पनिक्कल ने कहा कि तापमान में बढ़ोत्तरी के चलते समुद्र के स्तर में 50 फीसदी की वृद्धि होगी। इसके साथ, समुद्र के स्तर की चरम घटनाएं जो पहले 100 वर्षों में एक बार होती थीं, इस सदी के अंत तक हर साल हो सकती हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि गर्मी बढ़ने के साथ, भारी वर्षा की घटनाओं से बाढ़ की आशंका और सूखे की स्थिति का भी सामना करना होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले 20-30 साल में भारत में आंतरिक मौसमी कारकों के कारण बारिश बहुत ज्यादा नहीं होगी। लेकिन 21वीं सदी के अंत तक वार्षिक और  ग्रीष्मकालीन मॉनसून बारिश दोनों में इजाफा होगा। 
 

संबंधित खबरें

Related posts