तालिबान की हिमाकत को रोकने अमेरिका ने बी-52 बॉम्बर के बाद अब उड़ाए F-16 जेट – Hindustan

अफगानिस्तान से अपने सैनिकों की वापसी के बाद तालिबान की हिमाकत को रोकने के लिए अमेरिका ने बी-52 बॉम्बर के बाद अब F-16 फाइटर से हवाई हमला शुरू कर दिया है। यह हमला इस्लामवादी सुन्नी पश्तून बल के सैन्य उद्देश्य को रोकने के लिए पूर्वी और दक्षिण अफगानिस्तान में की गई है। अमेरिकी वायु सेना की मध्य कमान दक्षिण और पूर्वी अफगानिस्तान के पश्तून गढ़ों में तालिबान के ठिकानों पर हमला करने के लिए भारी-भरकम बी-52 बमवर्षकों और एसी-10 स्पेक्टर गनशिप का भी इस्तेमाल कर रही है। 

अमेरिकी विमानों ने जौजान में शेबर्गन और हेलमंद में लश्कर गाह पर भी बमबारी की है। काबुल स्थित राजनयिकों के अनुसार, यह स्पष्ट है कि तालिबान, पड़ोसी पाकिस्तान से सार्वजनिक आश्वासन के बावजूद, बातचीत के माध्यम से सत्ता साझा करने के मूड में नहीं है जिसकी वजह से अमेरिका और ब्रिटेन की पूरी पश्चिमी रणनीति चरमरा गई है।

आमने-सामने बैठाने की कोशिश

इस्लामाबाद में 17 अगस्त से 19 अगस्त तक होने वाली शांति प्रक्रिया बैठक अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई है। मुख्य रूप से, इस्लामाबाद की बैठक ब्रिटेन के सेना प्रमुख जनरल निक कार्टर और यूएस-अफगान विशेष प्रतिनिधि ज़ाल्मय खलीलजाद के दिमाग की उपज थी। अब अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी को इस्लामाबाद के राजकीय दौरे पर बुलाने और मौके पर तालिबान सैन्य परिषद के साथ आमने-सामने बैठक करने की कोशिश की जा रही है। 

कई बड़े नेता हो सकते हैं शामिल

हालांकि, अभी तक इस बैठक को अंतिम रूप नहीं दिया गया है। इस बैठक में मुल्ला याकूब और सिराजुद्दीन हक्कानी जैसे तालिबान नेताओं के विचार-विमर्श में भाग लेने की उम्मीद है। वहीं, अफगान सेना की बैठक भी 11 अगस्त को दोहा में निर्धारित है, जिसमें संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ, कतर, तुर्की और ईरान विशेष आमंत्रितों के रूप में बातचीत में शामिल होंगे।

बैठक में पाकिस्तान को न्योता नहीं

पाकिस्तान ने शनिवार को इस बात पर अफसोस जताया कि उसे अफगानिस्तान का सबसे करीबी पड़ोसी होने के बावजूद युद्धग्रस्त देश की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया। पाकिस्तान के विदेश कार्यालय (एफओ) ने एक बयान में कहा कि संयुक्त राष्ट्र के मंच का इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ झूठ फैलाने के लिए किया गया, जबकि उसे अपनी बात रखने का मौका तक नहीं दिया गया।

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