टोक्यो ओलंपिक में गुरुवार का दिन भारत के लिए दो पदक लाया. पहले हॉकी टीम ने कांस्य पदक अपने नाम किया. फिर भारतीय पहलवान रवि दहिया ने कुश्ती में रजत पदक हासिल किया.
वहीं कुश्ती में दूसरे पदक की उम्मीद दीपक पूनिया अपना कांस्य पदक मुक़ाबला हार गए.
रवि कुमार दहिया गुरुवार 57 किलोग्राम फ़्री स्टाइल कुश्ती के फ़ाइनल में रूसी ओलंपिक समिति के पहलवान ज़ोर उगुएव से 7-4 से हारे. तो वहीं 86 किलोवर्ग फ़्री स्टाइल कुश्ती में पूनिया यूरोपीय देश सैन मारिनो के पहलवान माइल्स अमीन से हारे.
57 किलोग्राम फ़्री स्टाइल कुश्ती के फ़ाइनल के पहले हाफ की शुरुआत रवि के दो अंक गंवाने के साथ हुई. रवि ने जल्द ही बराबरी कर ली लेकिन रूसी ओलंपिक समिति के पहलवान पहले हाफ में 4-2 से आगे रहे. दूसरे हाफ में भी रवि केवल दो ही अंक बना पाए. वहीं ज़ोर उगुएव ने तीन अंक बनाए और मुक़ाबला 7-4 से जीत लिया.
पूनिया के सामने कांस्य पदक के मुक़ाबले में रेपचेज में बेलारूस के अली शाबानाउ को 2-0 से हरा कर पहुंचे माइल्स अमीन थे.
इस मुक़ाबले के पहले हाफ में पूनिया ने माइल्स अमीन पर 2-1 की शुरुआती बढ़त बनाई लेकिन अंतिम 15 सेकेंड में माइल्स ने पूनिया को पटखनी दे दी और कांस्य पदक जीतने से चूक गए.
ओलंपिक में खेलने वाले माइल्स सैन मारिनो के पहले पहलवान हैं. यह पहला मौका है जब इस यूरोपीय देश को ओलंपिक कुश्ती में पदक हासिल हुआ है.
सेमीफ़ाइनल में हार के जबड़े से जीत छीना
रवि दहिया बुधवार को कज़ाखस्तान के नुरिस्लाम सनायेव को सेमीफ़ाइनल में हरा कर टोक्यो ओलंपिक के 57 किलोग्राम फ़्री स्टाइल कुश्ती के फ़ाइनल में पहुंचे थे.
सेमीफ़ाइनल में एक वक्त रवि को दो अंक थे और नुरिस्लाम के नौ. लेकिन रविकुमार ने चुनौती स्वीकारी. 2-10 से पिछड़ने के बाद उन्होंने वापसी की और मुक़ाबले को पहले 5-9 तक लेकर आए, फिर शानदार खेल का प्रदर्शन करते हुए पासा ही पलट दिया और फ़ाइनल में अपनी जगह पक्की की.
कुश्ती में ओलंपिक से पदक लाने वाले पहलवान
इसके साथ ही रवि दहिया कुश्ती में ओलंपिक पदक हासिल करने वाले भारतीय पहलवानों में शामिल हो गए. उनसे पहले सुशील कुमार ने बीजिंग ओलंपिक 2008 में कांस्य और लंदन ओलंपिक 2012 में रजत पदक हासिल किया था. लंदन ओलंपिक में ही योगेश्वर दत्त ने भी कांस्य पदक जीता था. वहीं 2016 के रियो ओलंपिक में साक्षी मलिक ने कांस्य पदक हासिल किया था.
व्यक्तिगत तौर पर ओलंपिक में पदक जीतने वाले पहले खिलाड़ी थे केडी जाधव. 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में जाधव ने फ़्री स्टाइल कुश्ती में कांस्य पदक हासिल किया था.
टोक्यो में भारत का पांचवा मेडल
टोक्यो में रवि दहिया की इस जीत के साथ ही भारत के खाते में अब पांच मेडल भी हो गए हैं.
रवि से पहले मीराबाई चानू ने भारोत्तोलन में रजत, पीवी सिंधु ने बैडमिंटन और लवलीना बोरगोहेन ने बॉक्सिंग में कांस्य पदक जीता है. गुरुवार को ही भारतीय हॉकी टीम ने जर्मनी को 5-2 से हराकर कांस्य पदक हासिल किया.
रवि का ओलंपिक तक का सफ़र
हरियाणा के सोनीपत ज़िले के नाहरी गांव में जन्मे रवि दहिया आज जिस मुकाम पर पहुंचे हैं, उसके लिए वे बीते 13 सालों से दिन रात जुटे हुए थे.
रवि जिस गांव के हैं, उसकी आबादी कम से कम 15 हज़ार होगी लेकिन ये गांव इस मायने में ख़ास है कि यहां से अब तक तीन ओलंपियन निकले हैं.
महावीर सिंह ने 1980 के मास्को और 1984 के लास एजेंलिस ओलंपिक खेलों में हिस्सा लिया था जबकि अमित दहिया लंदन, 2012 के ओलंपिक खेल में हिस्सा ले चुके थे.
इस विरासत को रवि दहिया ने नई ऊंचाईयों पर पहुंचा दिया है. महज 10 साल की उम्र से उन्होंने दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में सतपाल के मार्गदर्शन में कुश्ती के गुर सीखना शुरू कर दिया था.
कड़ी मेहनत का नतीजा
उनके इस सफ़र में किसान पिता राकेश दहिया का भी योगदान रहा है जो इस लंबे समय में अपने बेटे को चैंपियन पहलवान बनाने के लिए हमेशा दूध, मेवा पहुंचाते रहे.
रवि के पिता के संघर्ष का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि वे चार बजे सुबह उठकर पांच किलोमीटर चलकर नजदीकी रेलवे स्टेशन पहुंचते थे और वहां से आज़ादपुर रेलवे स्टेशन उतरकर दो किलोमीटर दूर छत्रसाल स्टेडियम पहुंचते थे. यह सिलसिला बीते दस सालों तक बदस्तुर जारी रहा.
पदकों की दौड़
रवि दहिया ने सबसे पहले तब लोगों का ध्यान आकर्षित किया जब 2015 में जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में वे सिल्वर मेडल जीतने में कामयाब रहे.
इसके बाद 2018 में अंडर 23 वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी उन्होंने सिल्वर मेडल हासिल किया. 2019 में एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में वे पांचवें स्थान पर रहे थे लेकिन 2020 की एशियाई कुश्ती चैंपियशिप में वे गोल्ड मेडल जीतने में कामयाब रहे.
अपनी इस कामयाबी को उन्होंने 2021 में भी बरक़रार रखा जब एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप का गोल्ड मेडल जीत लिया था.
2019 में नूर सुल्तान, कज़ाखस्तान में हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतने के बाद ओलंपिक कोटा हासिल किया था, तब से ही उन्हें पदक के दावेदारों में गिना जाता रहा. वे सरकारी योजना टॉरगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम का भी हिस्सा रहे.