कश्मीर: अनुच्छेद 370 ख़त्म होने के बाद कश्मीरी पंडित परिवार के घर बनवाने के दावे का सच- फ़ैक्ट चेक – BBC हिंदी

  • कीर्ति दुबे
  • बीबीसी, फ़ैक्ट चेक

5 अगस्त 2021 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के दो साल पूरे हो गए हैं. बीते कुछ दिनों से लोग सोशल मीडिया पर इन दो सालों में क्या बदला है, इसे लेकर तरह-तरह के दावे कर रहे हैं.

बीबीसी को सोशल मीडिया पर दो तस्वीरें ऐसी मिलीं जिन्हें लोग शेयर करके ये दावा कर रहे हैं कि एक कश्मीरी पंडित परिवार कश्मीर में अपना घर बनवा रहा है और यह अनुच्छेद 370 ख़त्म होने के कारण ही संभव हो पाया है.

दावा नंबर 1- घाटी में एक कश्मीरी पंडित परिवार की वापसी, जो 370 के ख़त्म होने से मुमकिन हुआ

सोशल मीडिया पर दो तस्वीरें साझा करते हुए 26 जुलाई को कश्मीर के बीजेपी नेता एजाज़ हुसैन ने ट्विटर पर लिखा, “कश्मीरी पंडित समुदाय से आने वाले मेरे दोस्त ने आज बलहामा में अपने घर का भूमिपूजन किया. मैं उनको नई शुरुआत के लिए शुभकामनाएं देता हूं. सभी कश्मीरी पंडितों से मेरा निवेदन है कि कश्मीर आएं और यहां सुरक्षित महसूस करें. प्रधानमंत्री मोदी का शुक्रिया जिन्होंने 370 ख़त्म करके सुरक्षित माहौल मुहैया कराया.”

देखते ही देखते इस तस्वीर को खूब शेयर किया जाने लगा और इसके साथ कई लोगों ने सोशल मीडिया पर दावा किया कि यह कश्मीर से अनुच्छेद 370 ख़त्म होने के बाद ही संभव हो सका. कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर यह भी दावा कर डाला कि कश्मीरी पंडित परिवार 30 साल बाद कश्मीर में वापस आ सका है और यह अनुच्छेद 370 के खत्म होने से ही मुमकिन हुआ है.

कश्मीर

इमेज स्रोत, Social media

फ़ैक्ट चेक

रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘भूमि पूजन करने वाले शख़्स का नाम काका जी बट है. काका जी के परिवार से कई लोग पलायन कर गए लेकिन उन्होंने अपनी पैतृक ज़मीन किसी को नहीं बेची और आज वह अपना घर इस ज़मीन पर बना पा रहे हैं. 5 अगस्त 2019 को डाला गया बीज अब अंकुर बनकर फूट रहा है.’

इस रिपोर्ट में कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति के चेयरमैन संजय टिक्कू के हवाले से ये कहा गया कि लोगों में अब सुरक्षा और विश्वास की एक भावना आई है जिससे कश्मीरी पंडित अपने नए घर बना रहे है.

इस रिपोर्ट में भूमि पूजन करते नज़र आ रहे शख़्स का कोई बयान नहीं लिया गया.

बीबीसी ने इन तस्वीर और दावों की सच्चाई जानने के लिए उस शख़्स से संपर्क किया जो इस तस्वीर में भूमि पूजन करते नज़र आ रहे हैं. इनका नाम कुक्कु जी बट है जो श्रीनगर से लगभग 20 किलोमीटर दूर बलहामा में रहते हैं.

कुक्कु जी ने बीबीसी को बताया कि वह कश्मीर लौटे नहीं हैं बल्कि उनका परिवार हमेशा से यहीं रहता है. उनके माता-पिता, भाई और उनका परिवार बलहामा में ही हमेशा से रहते आए हैं. वो जियोलॉजी एवं माइनिंग विभाग में नौकरी करते हैं और उनकी पोस्टिंग जम्मू में थी लेकिन इस साल उनका तबादला श्रीनगर में कर दिया गया है तो वो अपने पुराने घर की जगह नया घर बनवा रहे हैं.

100 साल पुराना घर.

कुक्कु जी कहते हैं, “मुझे नहीं पता क्यों लोग मेरे घर के बहाने अपनी राजनीति कर रहे हैं. मेरा पुश्तैनी घर 100 साल पुराना था जिसके कई हिस्से जर्जर हो चुके थे इसलिए मैंने उसे तोड़ कर नया घर बनाने का फ़ैसला लिया. इस गांव में 10 से 12 पंडितों का परिवार है और हम हमेशा से यहीं रहे हैं.”

कुक्कु जी ने बताया कि उनके भाई ने पांच साल पहले ही यहां नया घर बनवाया है और वे पेट्रोल डिपो में नौकरी करते हैं.

वे कहते हैं, “मेरे परिवार के किसी भी सदस्य ने 90 के दशक में पलायन नहीं किया तो वापसी का सवाल ही नहीं उठता. अनुच्छेद 370 के लिए हमारा इस्तेमाल क्यों हो रहा है जबकि हमारा इससे कोई लेना देना नहीं है. हम पंडित हैं तो हमारा राजनीतिक इस्तेमाल किया जा रहा है.”

कुक्कु जी ने बीबीसी को अपने पुश्तैनी घर और अपने भाई के पांच साल पहले बने घर की तस्वीरें भी भेजी हैं.

कुक्कु जी बट के भाई का घर जिसे उन्होंने पांच साल पहले बनवाया था

इसके बाद हमने कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति के चेयरमैन संजय टिक्कू से बात की तो उन्होंने बताया कि उन्होंने किसी रिपोर्टर से इस बारे में कोई बात ही नहीं की है. वे कहते हैं, “मुझे रिपोर्टर का फ़ोन आया और इस मामले पर पूछा गया तो मैंने साफ़ बोल दिया था कि मुझे इस बात की कोई जानकारी नहीं है.”

बीबीसी ने बीजेपी नेता एजाज़ हुसैन से भी बात की तो उन्होंने कहा कि कुक्कु जी दबाव में हैं इसलिए सच नहीं बोल रहे हैं. लेकिन जब उनसे पूछा गया कि पांच साल पहले भी उनके भाई ने नया मकान बनवाया था, तो इस सवाल पर एजाज़ हुसैन चुप हो जाते हैं और फ़ोन रख देते हैं.

बीबीसी ने अपनी पड़ताल में पाया है कि ये तस्वीरें सही हैं लेकिन इनके साथ किया जाने वाला दावा गलत है. फोटो का अनुच्छेद 370 ख़त्म होने से कोई ताल्लुक नहीं है. यह परिवार हमेशा से बलाहाम में ही रहता था.

दावा 2- कश्मीर में 370 ख़त्म होने के बाद तिरंगा फहराया जा रहा है

बुधवार देर रात से ही सोशल मीडिया पर #आर्टिकल370 ट्रेंड कर रहा है. लोग इस हैशटैग के साथ कई तस्वीरें साझा कर अलग-अलग दावे कर रहे हैं. एक तस्वीर जिसे खूब इस्तेमाल किया जा रहा है उसमें कुछ बच्चियां नज़र आ रही हैं.

इस तस्वीर में एक बच्ची मंच पर तिरंगा लिए खड़ी है और उसके सामने कई बच्चे बैठे हुए हैं जिनके हाथों में तिरंगा है.

इस तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा जा रहा है, “अनुच्छेद 370 हटने के बाद कश्मीर एक बार फिर जन्नत बन रहा है.”

एक अन्य यूज़र ने इस तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा- ‘अगर कोई पूछे कि कश्मीर में अगस्त 2019 से क्या बदला है तो उन्हें ये तस्वीर दिखाना’

ऐसे ही कई दावे इस एक तस्वीर के साथ किए जा रहे हैं.

हमने रिवर्स इमेट टूल के ज़रिए जब इस तस्वीर के बारे में ढूंढा तो पता चला कि ये तस्वीर देश के 74वें स्वतंत्रता दिवस की है. उत्तर कश्मीर के मनकल गांव में यह जश्न मनाया जा रहा था. भारत ने अपना 74वां स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त 2020 को मनाया था.

वैसे 5 अगस्त 2019 के पहले भी स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम में कश्मीर में तिरंगा फ़हराया जाता रहा है.

यहाँ ये जानना ज़रूरी है कि अनुच्छेद 370 हटने के पहले सिर्फ़ जम्मू-कश्मीर में ही भारत के झंडे के साथ राज्य का अपना अलग झंडा भी था. 5 अगस्त 2019 के बाद ये परंपरा बदल गई है. अब वहाँ राज्य के अलग झंडे का इस्तेमाल नहीं होता है.

फैक्ट चेक

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