Explained : NEET में OBC और गरीब सर्वणों को 37% आरक्षण से जनरल कैटिगरी के स्टूडेंट्स को नुकसान होगा? समझें पूरी बात – Navbharat Times

हाइलाइट्स

  • केंद्र सरकार ने मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में आरक्षण कोटा 37% बढ़ा दिया है
  • अब देशभर के सरकारी मेडिकल-डेंटल कॉलेजों में OBC और EWS स्टूडेंट्स को भी आरक्षण मिलेगा
  • NEET के जरिए ऑल इंडिया कोटा में जगह बनाने वाले स्टूडेंट्स को ही आरक्षण दिए जाएंगे

नई दिल्ली
केंद्र सरकार ने अन्य पिछड़ी जातियों (OBC) और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) यानी गरीब सवर्णों के विद्यार्थियों के लिए नैशल एलिजिबिलिटी-कम एंट्रेस टेस्ट (NEET) के अखिल भारतीय कोटा (All India Quota यानी AQI) में क्रमशः 27% और 10% आरक्षण को स्वीकृति दे दी। नीट के जरिए ही देशभर के मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में प्रवेश के लिए उपयुक्त विद्यार्थियों का चयन किया जाता है। नीट में उत्तीर्ण होने वाले प्रतिस्पर्धी उम्मीदवारों (Competetive Candidates) को सभी अंडग्रेजुएट (UG) और पोस्टग्रेजुएट (PG) मेडिकल और डेंटल कोर्स में दाखिला मिलता है।

1. ऑल इंडिया कोटा का मतलब क्या है?

मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में सीटों का आवंटन ऑल इंडिया कोटा और स्टेट कोटा के आधार पर किया जाता है। सरकारी मेडिकल कॉलेजों की कुल अंडरग्रेजुएट सीट के 15% जबकि पोस्ट ग्रेजुएट सीट के 50% पर ऑल इंडिया कोटा के तहत एडमिशन लिया जाता है। बाकी 85% यूजी सीट और 50% पीजी सीट पर उस राज्य के बच्चों को एडमिशन दिया जाता है जहां वह कॉलेज स्थित है। ऑल इंडिया कोटा की व्यवस्था सन 1986 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर लागू की गई। शीर्ष अदालत ने कहा था कि मेधावी छात्र-छात्राओं को अपने राज्य से इतर किसी भी अन्य राज्य के मेडिकल कॉलेज में पढ़ने का मौका मिलना चाहिए और इसकी राह में निवास स्थान का रोड़ा नहीं आना चाहिए। इसलिए, सुप्रीम कोर्ट ने हर सरकारी कॉलेज में मेरिट पर आधारित एडमिशन का रास्ता खोल दिया। ध्यान रहे कि डीम्ड और सेंट्रल यूनिवर्सिटीज, ESIC और आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल कॉलेज (AFMC) में 100% सीटें ऑल इंडिया कोटा के अंतर्गत आती हैं।

2. किसी स्टूडेंट को ऑल इंडिया कोटा में एडमिशन मिलेगा या स्टेट कोटा में, यह कैसे तय होता है?

नीट में सफल विद्यार्थियों की मेरिट लिस्ट तैयार की जाती है। इसमें जिन स्टूडेंट्स की रैंकिंग हाई होती है, उन्हें ऑल इंडिया कोटा के तहत देशभर के किसी भी कॉलेज में एडमिशन मिलता है। जिस स्टूडेंट का स्कोर हाई रैंकिंग के लिहाज से पर्याप्त नहीं होता है, उन्हें स्टेट कोटा के तहत संबंधित राज्य के ही किसी कॉलेज में एडमिशन मिलता है।

3. सिर्फ ओबीसी और ईडब्ल्यूएस कैटिगरी को ही आरक्षण मिलेगा तो अन्य आरक्षित वर्गों का क्या होगा?

अनुसूचित जातियों (SCs) और अनुसूचित जनजातियों (STs) के छात्रों को वर्ष 2007 से ही यह सुविधा मिली हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने ऑल इंडिया कोटा में एससी के लिए 15% जबकि एसटी के लिए 7.5% आरक्षण लागू किया था।

4. मेडिकल और डेंटल के कौन-कौन से कोर्स हैं जिनमें एडमिशन के लिए अब ओबीसी और ईडब्ल्यूएस कैटिगरी को आरक्षण मिलेगा?

एमबीबीएस, एमडी, एमस, डिप्लोमा, बीडीएस और एमडीएस जैसे पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए ओबीसी और ईडब्ल्यूएस कैटिगरी के कैंडिडेट्स को चालू शैक्षिक सत्र 2021-22 से ही आरक्षण का लाभ मिलने लगेगा।

5. नई आरक्षण व्यवस्था से ओबीसी और ईडब्ल्यूएस कैटिगरी के कितने-कितने स्टूडेंट्स को लाभ मिलने की उम्मीद है?

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि इस शैक्षणिक सत्र से मेडिकल कॉलेजों में ऑल इंडिया कोटा वाली सीटों पर ओबीसी और ईडब्ल्यूएस कैटिगरी को आरक्षण का लाभ मिलेगा। इससे करीब 1,500 ओबीसी स्टूडेंट्स को एमबीबीएस जबकि 2,500 स्टूडेंट्स को पीजी कोर्स में प्रवेश लेते वक्त आरक्षण का लाभ मिलेगा। वहीं, ईडब्ल्यूएस स्टूडेंट्स को क्रमशः 550 और 1,000 सीटों पर आरक्षण का फायदा मिलेगा।

ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ ओबीसी एंप्लॉयीज वेलफेयर के मुताबिक, राज्य सरकारों के मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में 2017 से 2020 के बीच करीब 40,800 सीटें ऑल इंडिया कोटा के तहत आवंटित की गई थीं। यानी, इन सीटों के लिए आरक्षण लागू होता तो करीब 10,900 ओबीसी स्टूडेंट्स को आरक्षण के तहत एडमिशन मिले होते।

6. क्या आरक्षण बढ़ने के बाद सामान्य श्रेणी के स्टूडेंट्स की सीटें घट जाएंगी?

वर्ष 2009 में जब उच्च शिक्षण संस्थानों में ओबीसी रिजर्वेशन लागू किया गया था तो उसी अनुपात में गैर-आरक्षित सीटों में भी इजाफा किया गया था ताकि जनरलट सीटों का प्रतिशत कम नहीं हो। इसलिए, ओबीसी आरक्षण लागू करने वाले उच्च शिक्षण संस्थानों
ने अपने यहां सीटों में 50% का इजाफा कर दिया था। इसी तरह, ईडब्ल्यूएस कैटिगरी को 10% आरक्षण देने के लिए भी शैक्षिक संस्थानों को 20% सीटें बढ़ानी पड़ी थीं। इस लिहाज तय माना जा रहा है कि मेडिकल-डेंटल कॉलेजों में ऑल इंडिया कोटे की सीटों पर ओबीसी-ईडब्ल्यूए कैटिगरी को कुल 37% (27+10) आरक्षण देने के लिए पर्याप्त संख्या में सीटें बढ़ाईं जाएंगी ताकि यूजी-पीजी कोर्स में प्रवेश लेने वाले सामान्य श्रेणी के स्टूडेंट्स की संख्या कम नहीं करनी पड़े।

7. तो क्या 2007 से पहले मेडिकल-डेंटल कॉलेजों में एडमिशन में रिजर्वेशन सिस्टम लागू नहीं था?

नहीं। जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है- सुप्रीम कोर्ट ने अभय नाथ बनाम दिल्ली विश्वविद्यालय एवं अन्य के मामले में 31 जनवरी, 2007 को मेडिकल कॉलेजों में एसटी और एसटी कैटिगरी के लिए आरक्षण की व्यवस्था कर दी। उसी वर्ष सरकार ने केंद्रीय शैक्षिक संस्थान (प्रवेश में आरक्षण) कानून पारित करके केंद्रीय शैक्षिक संस्थानों में एडमिशन के लिए ओबीसी स्टूडेंट्स को 27% आरक्षण देने का प्रावधान कर दिया था। चूंकि राज्य सरकारें अपने मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में ऑल इंडिया कोटे से इतर की सीटों पर ही ओबीसी रिजर्वेशन दिया करती थीं, इसलिए वहां ऑल इंडिया कोटा वाली सीटों पर एडमिशन में आरक्षण लागू नहीं था। केंद्र सरकार ने 2019 में 103वां संविधान संशोधन के जरिए आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए 10% आरक्षण की व्यवस्था की थी और इसे केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए लागू कर दिया था, लेकिन नीट का ऑल इंडिया कोटा अब तक अछूता था।

8. सरकार ने मेडिकल-डेंटल कॉलेजों में एडमिशन के लिए ओबीसी और ईडब्ल्यूएस को आरक्षण देने का फैसला क्यों लिया?

मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु की डीएमके गठबंधन की सरकार की याचिका पर पिछले वर्ष 27 जुलाई को ऑल इंडिया कोटा में ओबीसी स्टूडेंट्स को आरक्षण देने का आदेश दिया था। चूंकि, वक्त बहुत कम बचा था, इसलिए इसे अगले शैक्षिक सत्र से लागू करने की बात हुई थी। लेकिन जब 13 जुलाई, 2021 को NEET का नोटिफिकेशन जारी हुआ तो ऑल इंडिया कोटा में ओबीसी आरक्षण के प्रावधान का जिक्र नहीं किया गया। तब डीएमके ने 19 जुलाई को मद्रास हाई कोर्ट में अवमानना की शिकायत दर्ज करवा दी। इस पर कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मद्रास हाई कोर्ट से 26 जुलाई को कहा कि ऑल इंडिया कोटा की एमबीबीएस सीट पर ओबीसी आरक्षण लागू करने की प्रक्रिया चल रही है। 3 अगस्त को अगली सुनवाई होनी है। इससे पहले ओबीसी और ईडब्ल्यूएस कैटिगरी के लिए रिजर्वेशन का रास्ता साफ कर दिया गया।

9. NEET का आयोजन कब से और किस प्रावधान के तहत हो रहा है?

वैसे पहली बार वर्ष 2003 में ही नीट का आयोजन हुआ था, लेकिन अगले साल ही इसे बंद कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने 13 अप्रैल, 2016 को इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट में लाए गए सेक्शन 10D के प्रावधान को सही ठहराया। सेक्शन 10D के तहत ही देशभर के यूजी और पीजी लेवल के मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए एक प्रवेश परीक्षा का प्रावधान किया गया है। तब से नीट फिर से अस्तित्व में आ गया। पहले इसका आयोजन केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) किया करता था, लेकिन वर्ष 2018 से यह नैशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) के तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा है।

10. पहले AIPMT हुआ करता था। वह NEET से कैसे अलग था?

वर्ष 2016 तक मेडिकल कॉलेजों में राष्ट्रीय स्तर की प्रवेश परीक्षा के लिए ऑल इंडिया प्री-मेडिकल टेस्ट (AIPMT) का आयोजन होता रहा था। वहीं, राज्य सरकारें अपने कोटे की सीट पर प्रवेश के लिए के अलग-अलग एंट्रेस टेस्ट लिया करती थीं। यानी, एआईपीमटी से सिर्फ ऑल इंडिया कोटे की सीटों पर ही प्रवेश मिलते थे, जबकि NEET से AIQ और स्टेट कोटा, दोनों की सीटों पर एडमिशन मिलते हैं।



सांकेतिक तस्वीर।

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