बोम्मई कर्नाटक के अगले सीएम: भाजपा ने अगला मुख्यमंत्री भी लिंगायत समुदाय से क्यों चुना? – अमर उजाला – Amar Ujala

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: गौरव पाण्डेय
Updated Tue, 27 Jul 2021 09:02 PM IST

सार

कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर पिछले 12 दिन से चला आ रहा सस्पेंस आखिरकार आज खत्म हो गया। बीएल संतोष और मुरुगेश निरानी जैसे नाम चर्चा में थे, लेकिन येदियुरप्पा के बाद सत्ता की कमान अब बसवराज बोम्मई के हाथ में होगी।

बसवराज एस बोम्मई होंगे कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री।
– फोटो : ANI

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विस्तार

बसवराज सोमप्पा बोम्मई कर्नाटक के अगले मुख्यमंत्री होंगे। मंगलवार शाम बंगलूरू में हुई भाजपा विधायक दल की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री और पार्टी पर्यवेक्षक धर्मेंद्र प्रधान ने उनके नाम का एलान कर दिया। 78 साल के येदियुरप्पा की तरह 61 साल के बोम्मई भी लिंगायत समुदाय से आते हैं। वे राज्य के गृह मंत्री हैं। उन्हें चुने जाने के दो कारण हैं…

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1. लिंगायत समुदाय की नाराजगी मोल लेना नहीं चाहती भाजपा

बोम्मई लिंगायत समुदाय के नेता हैं। इस समुदाय की कर्नाटक में 17 फीसदी आबादी है और 224 में से 100 विधानसभा सीटों पर सीधा असर है। ये भाजपा के परंपरागत वोटर रहे हैं। पिछली बार 55 विधायक इसी समुदाय से चुने गए थे। 

येदियुरप्पा पर 2011 में भ्रष्टाचार के आरोप लगे और उन्हें मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा। 2012 में उन्होंने भाजपा से अलग होकर कर्नाटक जनता पक्ष नाम की पार्टी बनाई। 2013 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा को सीधी चुनौती दी। इससे लिंगायत वोटर बंट गए और भाजपा को 70 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा। उसे महज 40 सीटें मिलीं। वोट शेयर भी 33.9 से घटकर 19.9 फीसदी पर आ गया। जब येदियुरप्पा पार्टी में लौटे तो भाजपा को फायदा हुआ और उसने 2018 के चुनाव में 104 सीटें जीत लीं। वोट शेयर भी बढ़कर 36.2 फीसदी हो गया।

2. येदियुरप्पा के भरोसेमंद हैं, इसलिए टूट का भी डर नहीं रहा

बोम्मई को येदियुरप्पा का भरोसेमंद माना जाता है। गृह मंत्री होने के नाते सरकार में उनकी नंबर दो की हैसियत रही। मंगलवार को भाजपा विधायक दल की बैठक शुरू होने से पहले बोम्मई ने येदियुरप्पा से मुलाकात की, जो करीब 20 मिनट चली। जब विधायक दल की बैठक शुरू हुई तो येदियुरप्पा ने ही उनके नाम का प्रस्ताव रखा। येदियुरप्पा एक बार पार्टी से बगावत कर चुके हैं। ऐसे में अगले मुख्यमंत्री के रूप में उनकी पसंद पर मुहर लगने से पार्टी में टूट का डर नहीं रहेगा।

सिर्फ तीन मुख्यमंत्री ही कार्यकाल पूरा कर सके

कर्नाटक का सियासी इतिहास उथलपुथल भरा रहा है। सिर्फ निजलिंगप्पा (1962-68), देवराज उर्स (1972-77) और सिद्धारमैया (2013-2018) पांच साल का कार्यकाल पूरा कर सके हैं। येदियुरप्पा चार बार सीएम रहे, लेकिन कभी पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। 2007 में उन्हें जनता दल सेक्युलर के समर्थन वापस लेने के बाद सात दिन में ही इस्तीफा देना पड़ा। दूसरी बार वे तीन साल सत्ता में रहे, लेकिन 2011 में भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद उन्होंने इस्तीफा दिया और सदानंद गौड़ा को सीएम बनाया गया। 2018 में भी बहुमत नहीं जुटा पाने के चलते उन्हें छह दिन में मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा। 2019 में उन्होंने वापसी की और अब दो साल पूरे होते ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया।

बसवराज बोम्मई तीन साल के अंदर चौथे मुख्यमंत्री

2018 से 2021 के बीच कर्नाटक को चौथा मुख्यमंत्री मिलने वाला है। मई 2018 में येदियुरप्पा ने छह दिन, मई 2018 से जुलाई 2019 के बीच एचडी कुमारस्वामी ने एक साल 61 दिन और फिर जुलाई 2019 से जुलाई 2021 के बीच येदियुरप्पा ने दो साल दो दिन सरकार चलाई। अब बोम्मई मुख्यमंत्री होंगे। राज्य में अगले चुनाव 2023 में होने हैं।

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