bengal eastern frontier regulation 1873 mizoram: bengal eastern frontier regulation 1873 kya hai : this notifi – Navbharat Times

नई दिल्ली
पूर्वोत्तर के दो राज्यों, असम और मिजोरम के बीच सीमा विवाद ने सोमवार को हिंसक रूप ले लिया। दोनों तरफ की पुलिस और आम नागरिकों के बीच झड़प में असम पुलिस के छह जवान शहीद हो गए जबकि 80 अन्य लोग घायल हैं। इन घायलों में कई अधिकारी भी शामिल हैं। घटना चाचर से गुजरती अंतरराज्यीय सीमा के पास लैलापुर में हुई।

25 सालों का झगड़ा

दरअसल, दोनों राज्यों के बीच पिछले 25 सालों से सीमा विवाद चला आ रहा है। असम के साथ मिजोरम की 164.6 किमी की सीमा लगती है। मिजोरम 1873 के बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेग्युलेशन (BEFR) के तहत 1,318 वर्ग किमी इनर लाइन रिजर्व फॉरेस्ट पर दावा करता है जबकि असम 1933 में सर्वे ऑफ इंडिया की तरफ से तैयार नक्शे और खींची गई सीमा रेखा को मानता है। दोनों राज्यों के बीच का यह विवाद खत्म करने के लिए वर्ष 1995 से कई दौर की बातचीत हुई जिनमें केंद्र सरकार भी शामिल रही, लेकिन ये कवायद बेनतीजा रहे।

वर्ष 2018 में दोनों राज्य फिर झगड़ पड़े और अगस्त 2020 में दोनों के बीच सीमा विवाद ने गंभीर रूप ले लिया। तब असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर मामले में दखल की मांग की। उस वक्त तनाव कुछ हद तक खत्म हो गए थे, लेकिन दोनों राज्य लगातार एक-दूसरे पर सीमा का अतिक्रमण करने का आरोप लगाता रहे। यही विवाद सोमवार को हिंसक रूप ले लिया।

क्या है वर्ष 1875 का वह नोटिफिकेशन
असम और मिजोरम के बीच सीमा विवाद की मुख्य वजह वर्ष 1875 का वह नोटिफिकेशन है जिसके तहत अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और नागालैंड के कुछ जिलों को आदिवासियों के लिए संरक्षित घोषित किया गया था और जहां प्रदेश से बाहर के किसी भी व्यक्ति को प्रवेश के लिए इनर लाइन परमिट (ILP) सिस्टम लागू किया गया। यह नोटिफिकेशन 27 अगस्त, 1873 को अस्तित्व में आ बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेग्युलेशन के तहत जारी किया गया था। तत्कालीन अंग्रेज शासकों ने इस रेग्युलेशन के तहत आदिवासी आबादी वाले पहाड़ी इलाकों को मैदानी इलाकों से अलग कर दिया। इसी में व्यवस्था की गई थी कि स्थानीय प्रशासन जिसे आईएलपी जारी करेगा, वही पहाड़ी क्षेत्रों में प्रवेश कर सकता है।



1873 के रेग्युलेशन में इन जिलों का जिक्र
बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेग्युलेशन के तहत कामरूप, दारंग, नोवगोंग, सिबसागर, लखिमपुर (गारो हिल्स), खासी और जनता हिल्स, नागा हिल्स, चाचर जैसे जिलों को आदिवासियों के लिए संरक्षित घोषित कर दिया गया। रेग्युलेशन के तहत व्यवस्था की गई कि इन जिलों में आईएलपी जारी करने के लिए मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) नियुक्त होंगे।

इसमें प्रावधान किया गया है कि आईएलपी एरिया में बिना पास के प्रवेश करने वालों को जेल की सजा या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जाएगा। 1873 के रेग्युलेशन में दर्ज जिलों में जाने से ब्रिटिश अधिकारियों और नागरिकों को जाने से रोका गया था। वर्ष 1950 में जब भारत का संविधान लागू हुआ तो ‘ब्रिटिश नागरिकों’ को ‘भारतीय नागरिकों’ से बदल दिया गया। यानी, जहां ब्रिटिश नागरिकों को जाने की मनाही थी, वहां अब भारतीय नागरिकों को जाने से रोकने का प्रावधान कर दिया गया। तब संविधान की छठी अनुसूचि में असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के आदिवासी क्षेत्रों के प्रशासन के लिए विशेष प्रावधान किए गए।

रेग्युलेशन साफ कहता है कि आईएलपी हासिल करने वाले व्यक्ति को भी आदिवासी इलाकों में पहुंचते ही कुछ शर्तें माननी होंगी। मसलन, उसे हाथी दांत, रबर आदि जंगल के किसी भी उत्पाद को हाथ नहीं लगाना होगा। वहां अपने साथ किताब, डायरी, नक्शा आदि नहीं ले जाना होगा, साथ ही वहां की तस्वीर लेने पर भी रोक है। यह रेग्युलेशन जिले से बाहर के किसी भी व्यक्ति को वहां बसने या जमीन खरीदने का अधिकार नहीं देता है।
image

Explainer: असम मिजोरम हिंसक झड़प के बीच आपको इन सवालों के जवाब जरूर जानने चाहिए
क्यों लाया गया था रेग्युलेशन
दरअसल, आईएलपी सिस्टम लागू करने का मुख्य मकसद आदिवासी संस्कृति को संरक्षित रखना था। अंग्रेज उस जमाने में आदिवासी इलाकों में चले जाते थे। पहाड़ी क्षेत्रों में अंग्रेजों के जाने का दो मकसद होता था- एक तो प्राकृतिक संसाधनों का दोहन, दूसरा आदिवासियों का धर्म परिवर्तन। इसलिए, बीईएफआर में इन दोनों गतिविधियों पर रोक लगाने के स्पष्ट प्रवाधान किए गए हैं। रेग्युलेशन में एक तरफ जंगली उत्पादों को हाथ लगाने से रोकने की व्यवस्था करता है तो दूसरी तरफ आदिवासियों को धार्मिक-सांस्कृतिक रूप से प्रभावित करने की किसी भी कोशिश के लिए भी दंड की व्यवस्था करता है।

कभी असम का एक जिला था मिजोरम
कितनी दिलचस्प बात है कि आज जिस मिजोरम की पुलिस पर असम पुलिस पर हमले का आरोप लग रहा है, वह मिजोरम कभी असम का एक जिला हुआ करता था। 1972 में यह केंद्रशासित प्रदेश बना और फिर 20 फरवरी, 1987 को इसे भारत के 23वें राज्य का दर्जा मिल गया। पूर्व और दक्षिण में म्यांमार और पश्चिम में बांग्लादेश के बीच स्थित होने के कारण भारत के पूर्वोत्तर कोने में मिजोरम का काफी सामरिक महत्व है।

ध्यान रहे कि असम वर्ष 1826 में ब्रिटिश सरकार के क्षेत्राधिकार में आया था। वर्ष 1912 में बंगाल, बिहार, उड़िसा और असम लॉज एक्ट बना जिसमें पहली बार 1937 में फिर 1950 में संशोधित किया गया। असम पूर्वोत्तर भारत का प्रहरी और पूर्वोत्तर राज्‍यों का प्रवेशद्वार है। यह भूटान और बंगलादेश से लगी भारत की अंतरराष्‍ट्रीय सीमाओं के पास है। असम के उत्तर में भूटान और अरुणाचल प्रदेश, पूर्व में मणिपुर तथा नागालैंड और दक्षिण में मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा हैं।

मिजोरम जाने के लिए कहां से-कैसे बनाएं ILP
भारत के अन्य राज्यों के नागरिकों को मिजोरम में प्रवेश के लिए प्रदेश के लायजन ऑफिसर से आईएलपी लेना पड़ता है। कोलकाता, सिलचर, शिलॉंग, गुवाहाटी या नई दिल्ली से आप आईएपली ले सकते हैं। आधिकारिक कामकाज के मकसद से मिजोरम आने वाले सरकारी अधिकारियों को आईएलपी लेने की जरूरत नहीं है। वो अपना पहचान पत्र दिखाकर जा सकते हैं।

जो लोग विमान से मिजोरम जाना चाहते हैं, उन्हें लेंगपुई एयरपोर्ट पर सिक्यॉरिटी ऑफिसर से आईएलपी लेना होगा। वहीं, विदेशी पर्यटकों को मिजोरम पहुंचने के 24 घंटे के अंदर संबंधित जिले के एसपी ऑफिस में रजिस्ट्रेशन करवाना होता है। अफगानिस्तान, चीन और पाकिस्तान के लोगों या विदेशी मूल के अफगानी, चीनी और पाकिस्तानी नागरिकों को भारत सरकार के गृह मंत्रालय से मंजूरी लेने के बाद ही आईएलपी जारी की जा सकती है।

Related posts