दैनिक भास्कर रेड: IT का खुलासा, 700 करोड़ की टैक्स चोरी, फर्जी कंपनियां बना हेरीफेरी का आरोप – Jansatta

दैनिक भास्कर रेड: IT का खुलासा, 700 करोड़ की टैक्स चोरी, फर्जी कंपनियां बना हेरीफेरी का आरोप

दैनिक भास्कर समूह पर छापेमारी के दो दिनों के बाद आयकर विभाग ने मीडिया ग्रुप पर पिछले 6 सालों में 700 करोड़ की टैक्स चोरी का आरोप लगाया है।

जनसत्ता ऑनलाइन
Edited By Nitesh Srivastava

नई दिल्ली | Updated: July 25, 2021 8:48 AM
भोपाल में दैनिक भास्कर समूह का कार्यालय (फोटो- ANI)

दैनिक भास्कर समूह पर छापेमारी के दो दिनों के बाद आयकर विभाग ने मीडिया ग्रुप पर पिछले 6 सालों में 700 करोड़ की टैक्स चोरी का आरोप लगाया है। आयकर विभाग के अनुसार दैनिक भास्कर ग्रुप ने स्टॉक मार्केट के नियमों का उल्लंघन करते हुए तमाम फर्जी कंपनियां बना ली थी, इन कंपनियों के बीच 2200 करोड़ रुपये का लेन -देन भी हुआ है।

आयकर विभाग ने दैनिक भास्कर का नाम नहीं लिया है लेकिन CBDT के अधिकारियों ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया है कि ग्रुप की दिलचस्पी मीडिया के अलावा रियल एस्टेटस, टेक्सटाइल और पावर सेक्टर में रही है। सीबीडीटी के अनुसार छापेमारी के दौरान मिली भारी मात्रा की सामग्री की जांच की जा रही है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 22 जुलाई को टैक्स चोरी के मामले में आयकर विभाग ने दैनिक भास्कर के कई दफ्तरों में एक साथ छापा मारा था। विभाग ने मुंबई, दिल्ली, भोपाल, इंदौर, नोएडा और अहमदाबाद सहित नौ शहरों में फैले 20 रेजिडेंशियल और 9 कमर्शियल कैंपस शामिल हैं। वहीं मीडिया समूह ने इस छापेमारी को लेकर सरकार का घेराव करते हुए कहा है कि कोरोना मिसमैनेजमेंट को लेकर की गई पत्रकारिता से परेशान होकर यह कदम उठाया है।

दिव्य भास्कर, गुजरात के संपादक देवेंद्र भटनागर ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि पहले उन्होंने अलग-अलग तरीकों से दवाब डालने की कोशिश की गई, पिछले ढाई महीनों में केंद्र और राज्य सरकार ने अखबार को विज्ञापन देना बंद कर दिया था। बकौल संपादक, विज्ञापन देना उनके अधिकार क्षेत्र में आता है, वह इसे रोक सकते हैं। बावजूद इसके, जब सरकार ने कुछ अच्छा किया तो हम उसको छापते रहे, जब कुछ गलत किया तो हमने उसको भी प्रकाशित किया। भटनागर के अनुसार यह छापे, भास्कर द्वारा लगातार की जा रही रिपोर्टिंग और सरकार की नाकामियां उजागर करने का इनाम है।

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सीबीडीटी के मुताबिक छापेमारी में पाया गया कि ग्रुप में करीब 100 से ज्यादा होल्डिंग सब्सिडिरी कंपनीज हैं। इन कंपनियों का संचालन कर्मचारियों के नाम पर किया जा रहा था और इसका इस्तेमाल रूट की फंडिंग के लिए भी किया जा रहा था। सीबीडीटी ने कहा कि ग्रुप की रियल एस्टेट इकाई, जो मीडिया, बिजली, कपड़ा सहित बिजनेस में शामिल है, जिसका सालाना 6,000 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार है। उसने सरकारी बैंक से 597 करोड़ रुपये का लोन लिया, इसमें से 408 करोड़ अपनी दूसरी कंपनी में डायवर्ट कर दिए।

सीबीडीटी के अनुसार छापेमारी के दौरान यह सामने आया है कि कई कर्मचारियों को इसकी जानकारी ही नहीं थी कि वह किसी कंपनी के शेयरहोल्डर्स या डायरेक्टर्स हैं। उन्होंने माना कि उन्हें ऐसी कंपनियों के बारे में पता नहीं था और उन्होंने अपने आधार कार्ड और डिजिटल सिग्नेचर कंपनी पर विश्वास करके दिए थें।”

लखनऊ स्थित हिंदी समाचार चैनल भारत समाचार के संबंध में एक अलग बयान में, सीबीडीटी ने कई छापेमारी में लगभग 200 करोड़ रुपये के बेहिसाब लेनदेन का पता लगाने का आरोप लगाया है। इनकम टैक्स ने लखनऊ, बस्ती, वाराणसी, जौनपुर और कोलकाता में दफ्तरों और कर्मचारियों के घरों पर छापेमारी की थी। विभाग का दावा है कि 3 करोड़ रुपये से अधिक की नकदी और 16 लॉकर्स बरामद किए गए हैं। इसके अलावा लगभग 200 करोड़ रुपये के बेहिसाब लेनदेन का संकेत देने वाले डिजिटल डाक्यूमेंट भी जब्त किए गए हैं।

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