एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, चौधरी ने कठुआ, रियासी, राजौरी और ऊधमपुर जिलों में उपायुक्त रहते हुए अन्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश के लोगों को फर्जी नामों की मदद से हजारों लाइसेंस जारी किए थे. फिलहाल, चौधरी जम्मू-कश्मीर आदिवासी मामलों के सचिव और मिशन यूथ के सीईओ हैं. मामले को लेकर केंद्रीय एजेंसी कम से कम 8 पूर्व उपायुक्तों से पूछताछ कर चुकी है.
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रिपोर्ट के मुताबिक 2012 से लेकर अब तक जम्मू-कश्मीर से बंदूक के 2 लाख से ज्यादा लाइसेंस अवैध तरीके से जारी किए जा चुके हैं. इसे भारत का सबसे बड़ा गन लाइसेंस घोटाला भी कहा जा रहा है. बीते साल सीबीआई ने IAS अधिकारी राजीव रंजन समेत दो अधिकारियों को गिरफ्तार किया था. रंजन और इतरत हुसैन रफीकी ने कुपवाड़ा में डिप्टी कमिश्नर के कार्यकाल के दौरान कथित रूप से ऐसे कई लाइसेंस अवैध तरीके से जारी किए हैं.
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इस घोटाले का खुलासा राजस्थान एंटी-टेरर स्क्वाड ने किया था. उस दौरान उन्होंने रंजन के भाई और गन डीलर्स के साथ बिचौलिए की भूमिका निभा रहे कई लोगों को गिरफ्तार किया था. हालांकि, इस मामले में जम्मू-कश्मीर की तत्कालीन सरकार ने जांच की आड़ में आरोपियों को बचा लिया था. पूर्व राज्यपाल एनएन वोहरा को पता चला था कि यह घोटाला जम्मू-कश्मीर के सरकारी अधिकारियों की तरफ से चलाया जा रहा था. इसके बाद उन्होंने यह मामला सीबीआई को सौंप दिया था.
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